झारखंड: खरसावां गोलीकांड की बरसी पर शहीदों के परिजन होंगे सम्मानित, गदड़ा को शहीद आदर्श ग्राम बनाने की मांग

आदिवासी हो समाज के लोग खरसावां जाकर शहीदों को श्रद्धासुमन अर्पित करेंगे. डेमका सोय ने बताया कि गदड़ा, गोविंदपुर, बिरसानगर, सरजामदा से मोटरसाइकिल रैली निकालकर समाज के लोग खरसावां जाएंगे और शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे.

By Guru Swarup Mishra | December 29, 2023 7:45 PM

जमशेदपुर: खरसावां गोलीकांड की बरसी 1 जनवरी 2024 को है. इस दिन कार्यक्रम का आयोजन पर शहीदों को उनके बलिदान के लिए नमन किया जाता है. झारखंड के जमशेदपुर प्रखंड क्षेत्र से शहीद हुए चार लोगों के परिजनों को एक जनवरी को अंग वस्त्र देकर मां निरसो सेवा समिति सम्मानित करेगी. समिति के संयोजक बिरजू पात्रो ने बताया कि उनकी अगुवाई में तुपुडांग के शहीद गुमांग सामद, डुमकागोड़ा के शहीद चमरू सामद, गोविंदपुर के शहीद सूखा भूमिज व गदड़ा के शहीद शिबू हेंब्रम के परिजनों के घर जाकर उन्हें अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया जाएगा. समिति का एक प्रतिनिधिमंडल विधायक मंगल कालिंदी से मिलकर गदड़ा गांव को शहीद आदर्श ग्राम बनाने की मांग करेगा.

हो समाज खरसावां जाकर शहीदों को देगा श्रद्धांजलि

आदिवासी हो समाज के लोग खरसावां जाकर शहीदों को श्रद्धासुमन अर्पित करेंगे. डेमका सोय ने बताया कि गदड़ा, गोविंदपुर, बिरसानगर, सरजामदा से मोटरसाइकिल रैली निकालकर समाज के लोग खरसावां जाएंगे और शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे.

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क्या है खरसावां गोलीकांड

कहा जाता है कि आजादी का जश्न खत्म भी नहीं हुआ था कि झारखंड के खरसावां गोलीकांड ने एक बार फिर जालियांवाला बाग हत्याकांड की याद दिला दी. दरअसल एक जनवरी 1948 को हुई इस घटना में बड़ी संख्या में लोग शहीद हो गये थे. सैकड़ों लोगों की खून से खरसावां का हाट मैदान लाल हो गया था. इस घटना के संबंध में कहा जाता है कि 1947 में आजादी के बाद पूरा देश राज्यों के पुनर्गठन के दौर से गुजर रहा था. तभी अनौपचारिक तौर पर 14-15 दिसंबर को ही खरसावां व सरायकेला रियासतों का ओड़िशा में विलय का समझौता हो चुका था. 1 जनवरी, 1948 को यह समझौता लागू होना था. इस दौरान उसी दिन आदिवासी नेता जयपाल सिंह ने खरसावां व सरायकेला को ओड़िशा में विलय करने के विरोध में खरसावां हाट मैदान पर एक विशाल जनसभा का आह्वान किया था. इस जनसभा में कोल्हान समेत कई इलाकों से हजारों की संख्या में लोग पहुंचे थे. रैली के मद्देनजर पर्याप्त संख्या में पुलिस बल भी तैनात किये गये थे, लेकिन किसी कारणवश जनसभा में जयपाल सिंह नहीं पहुंच सके थे. तभी पुलिस व जनसभा में पहुंचे लोगों में किसी बात को लेकर विवाद हो गया और वहां पर गोलियां चल गयीं. इसमें पुलिस की गोलियों से सैकड़ों लोगों जान चली गयी.

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