सड़क विहिन है चक्रधरपुर प्रखंड का कोटसोना गांव, पीठ पर लाद मरीजों को अस्पताल ले जाने को मजबूर ग्रामीण

आधुनिक भारत की एक ऐसी तस्वीर सामने आयी है. जिसने सरकार के विकास व सिस्टम की पोल खोल कर रख दी है. पश्चिम सिंहभूम जिले के चक्रधरपुर प्रखंड अंतर्गत होयोहातु पंचायत का कोटसोना गांव अब भी सड़क विहिन है. इस वजह से लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 8, 2022 11:03 AM

Jharkhand News: आधुनिक भारत की एक ऐसी तस्वीर सामने आयी है. जिसने सरकार के विकास व सिस्टम की पोल खोल कर रख दी है. पश्चिम सिंहभूम जिले के चक्रधरपुर प्रखंड अंतर्गत होयोहातु पंचायत का कोटसोना गांव अब भी सड़क विहिन है. इस वजह से लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. स्थिति यह है कि यदि कोई बीमार पड़ जाता है तो उसे कंधे या खटिया पर लिटाकर अस्पताल ले जाना पड़ता है. मरीज को पीठ पर लाद कर अस्पताल ले जाने का मामला सामने आया है.

गांव तक नहीं पहुंची सड़क, पीठ पर मरीज को लाद कर पहुंचाया

मिली जानकारी के अनुसार गांव के 62 वर्षीय गोमीया लोहार की अचानक तबीयत बिगड़ गई. मरीज को अस्पताल ले जाने के लिए साधन नहीं मिल पाया. दरअसल गांव में सड़क नहीं होने के कारण गाड़ी नहीं पहुंच पायी. इसके बाद मरीज के बेटे अतवा लोहार ने अपने बीमार पिता को कंधे में उठाकर करीब ढाई किलोमीटर पैदल चलकर मुख्य सड़क तक पहुंचा. जिसके बाद बीमार गोमीया को वाहन की मदद से इलाज के लिए चक्रधरपुर अनुमंडल अस्पताल में भर्ती कराया गया. जहां मरीज का इलाज चल रहा है.

200 परिवार का है कोटसोना गांव

कोटसोना गांव नक्सल प्रभावित क्षेत्र लांजी पहाड़ में बसा हुआ है. गांव में 200 परिवार रहते हैं. गांव में बिजली, पानी, सड़क और शिक्षा तक की व्यवस्था नहीं है. आज भी लोग खुले आसमान के नीचे गड्ढा खोदकर दूषित पानी पीने को मजबूर हैं. देश आजाद हुए 75 साल हो गया लेकिन गांव जाने के लिए एक पक्की सड़क तक नहीं बन सकी. ग्रामीणों ने गांव जाने के लिए मात्र 2.5 किलोमीटर पक्की सड़क निर्माण के लिए प्रशासन से गुहार लगा रहे हैं.

खेती-बाड़ी कर परिवार चलाते हैं लोग

कोटसोना गांव में निवास करने वाले तमाम लोग खेती-बाड़ी कर अपना परिवार चलाते हैं. खेती-बाड़ी में सब्जी, मक्का, धान आदि लगाकर उसे झरझरा हाट बाजार में बेचते हैं. साथ ही कई लोग वन उपज जैसे पता -दातुन बेच कर भी अपना परिवार चलाते हैं.

रिपोर्ट: रवि मोहंती

Next Article

Exit mobile version