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120 घंटे बाद कुड़मी समाज का आंदोलन खत्म, रेलवे ट्रैक पर दौड़ने लगीं ट्रेनें, 500 करोड़ से अधिक का नुकसान

कुड़मी समाज का आंदोलन समाप्त किये जाने की घोषणा के बाद रेलवे ट्रैक पर आंदोलनकारियों द्वारा लगाये गये अवरोध हटा लिये गये. सबसे पहले कुश्तौर स्टेशन पर रेल पटरियों की मेटल डिटेक्टर से जांच की गयी. पहले एक मालगाड़ी चलायी गयी. इसके बाद यात्री ट्रेन सेवा शुरू की गयी.

By Guru Swarup Mishra | September 26, 2022 6:43 AM

Kurmi Protest: कुड़मी समाज का बेमियादी हाइवे और रेल चक्का जाम पांच दिन (120 घंटा) बाद रविवार को समाप्त हो गया. आंदोलन खत्म करने की घोषणा के बाद सुबह 7 बजे से हाइवे और रेलमार्ग खुल गये. रेल सेवा बहाल कर दी गयी. पिछले पांच दिनों से अनुसूचित जनजाति का दर्जा समेत अन्य मांगों को लेकर कुड़मी समाज पश्चिम बंगाल के खेमाशुली और कुस्तौर स्टेशन के रेलवे ट्रैक और एनएच 49 पर बैठा था. आंदोलन के समाप्त होते ही रेलवे ट्रैक पर ट्रेनें दौड़ने लगीं. रविवार को टाटानगर से खड़गपुर के लिये रेलवे की ओर से दो पैसेंजर ट्रेनों का परिचालन किया गया. आंदोलन के कारण 500 करोड़ से अधिक के राजस्व का नुकसान पहुंचा है.

आंदोलन समाप्त के बाद यात्री ट्रेन सेवा शुरू

कुड़मी समाज का आंदोलन समाप्त किये जाने की घोषणा के बाद रेलवे ट्रैक पर आंदोलनकारियों द्वारा लगाये गये अवरोध हटा लिये गये. सबसे पहले कुश्तौर स्टेशन पर रेल पटरियों की मेटल डिटेक्टर से जांच की गयी. पहले एक मालगाड़ी चलायी गयी. इसके बाद यात्री ट्रेन सेवा शुरू की गयी. इससे पहले शनिवार की रात डीएम, एसडीओ समेत अन्य पदाधिकारियों और आंदोलनकारी नेताओं के बीच लंबी बातचीत हुई. इसके बाद आंदोलनकारियों ने जाम वापस लेने की घोषणा की.

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फिर से आंदोलन की चेतावनी

28 सितंबर को इस मामले में राज्य सरकार से वार्ता होगी. दुर्गा पूजा के बाद इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं होने पर फिर से कुड़मी आंदोलन की चेतावनी दी गयी है. आंदोलन की वजह से 600 से अधिक रेलगाड़ियों को रद्द करना पड़ा था, वहीं 150 से अधिक ट्रेनों का मार्ग परिवर्तित करना पड़ा था. आंदोलन के कारण 500 करोड़ से अधिक के राजस्व का नुकसान पहुंचा है. आंदोलन के समाप्त होते ही रेलवे ट्रैक पर ट्रेनें दौड़ने लगीं और एनएच 49 पर वाहनों की रफ्तार बढ़ गयी. पांच दिनों से इस आंदोलन से परेशान हजारों रेलयात्रियों और हाइवे पर खड़े सैकड़ों वाहन चालकों ने भी राहत की सांस ली

टाटा-खड़गपुर स्टेशन के बीच चलीं ट्रेनें

रविवार को टाटानगर से खड़गपुर के लिये रेलवे की ओर से दो पैसेंजर ट्रेनों का परिचालन किया गया. पहली ट्रेन सुबह सवा नौ बजे (08160) चली. दूसरी ट्रेन शाम के 6.05 (08072) बजे खड़गपुर से टाटानगर के बीच चली. पिछले पांच दिनों से उत्कल और पुरुषोत्तम एक्सप्रेस ट्रेन बदले मार्ग से ही चल रही थी. ठीक उसी तरह से रविवार को भी पुराने मार्ग पर ही चली. इन ट्रेनों का परिचालन सोमवार को पहले जैसा ही रेलवे की ओर से कर दिया जायेगा. टाटा-धनबाद सुर्णरेखा एक्सप्रेस, टाटा-आसनसोल पैसेंजर और हावड़ा-साइनगर शिरडी एक्सप्रेस रविवार को रद्द रही. इधर, रेल चक्का जाम हटते ही रेलवे की ओर से मालगाड़ी का परिचालन रविवार की सुबह से ही शुरू कर दिया गया. चक्रधरपुर रेल मंडल की बात करें तो सबसे ज्यादा राजस्व मालगाड़ी से ही रेलवे को मिलता है. पूरे जोन में यह कई सालों से राजस्व देने के मामले में पहले पायदान पर है.

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शनिवार को दो गुट में बंट गये थे आंदोलनकारी

दरअसल, शनिवार की दोपहर में आदिवासी कुड़मी समाज के प्रतिनिधियों के साथ प्रशासनिक बैठक के बाद आदिवासी कुड़मी समाज के प्रधान मुखिया अजीत प्रसाद महतो ने रेल रोको आंदोलन वापस लेने का ऐलान किया, लेकिन कुछ लोगों ने इसे मानने से इंकार कर दिया था. शनिवार दोपहर से पुन: रेल रोको आंदोलन आरंभ हो गया. इस बीच रविवार की सुबह छह बजे आंदोलनकारियों ने रेल रोको आंदोलन दोबारा वापस ले लिया. आंदोलनकारी नेता सजल महतो ने बताया कि प्रशासनिक दबाव में हमलोग रेल रोको आंदोलन वापस ले रहे हैं. आनेवाले दिनों में कुड़मी जाति को आदिवासी जनजाति की स्वीकृति, कुरमाली भाषा को संविधान की मान्यता एवं सरना धर्म कोड आरंभ करने की मांग को लेकर वृहद आंदोलन आरंभ होगा. यह आंदोलन किसी नेता के इशारे पर नहीं, बल्कि समाज के हर स्तर के लोगों को लेकर होगा.

रिपोर्ट : संजीव भारद्वाज, जमशेदपुर

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