झारखंड : लैंपस अब मल्टीपर्पज को-ऑपरेटिव सोसाइटी कहलायेगी, बढ़ेगी इनकम
राज्यभर के लैंपस को अब मल्टीपर्पज को-ऑपरेटिव सोसाइटी कहा जाएगा. लैंपस के नाम और काम में बदलाव होगा. इससे इनकम भी बढ़ेगी.
पूर्वी सिंहभूम समेत राज्य के सभी लैंपस अब मल्टीपर्पज को-ऑपरेटिव सोसाइटी कहलायेंगे. विभागीय आंकड़े के मुताबिक वर्ष 2013 में सरकार ने प्रत्येक पंचायत स्तर पर लैंपस का गठन करने का निर्णय लिया. इसके कारण पंचायत स्तर पर लैंपस गठित की गयी. सुचारू रूप से लैंपसों का संचालन व मॉनिटरिंग नहीं होने के कारण अधिकांश लैंपस घाटे में चलने लगे. इस कारण लैंपसों को अप-टू-डेट करने करने के लिए उसके पुनर्गठन का निर्णय लिया गया है. लैंपस के नाम और काम में बदलाव होगा. इस कारण पुराने नाम लैंपस के बायलॉज में संशोधन करने के लिए सभी जिलों के डीसी, जिला सहकारिता पदाधिकारी को जरूरी निर्देश दिये गये हैं.
सोसाइटी की ऐसे बढ़ेगी आय
सूत्रों के मुताबिक मल्टीपर्पज को-ऑपरेटिव सोसाइटी की आय बढ़ाने के लिए पंचायत स्तर पर सोसाइटी के अध्यक्ष व अन्य पदाधिकारी व सदस्यों के नाम से पेट्रोल पंप, गैस एजेंसी, पीडीएस डीलर, पीएम भारतीय औषधि केंद्र, जलापूर्ति योजना के संचालन, मेंटेनेंस के काम आदि का लाइसेंस दिया जायेगा.
अब पंचायत के नाम से सोसाइटी गठित होगी
अब पंचायत के नाम से मल्टीपर्पज को-ऑपरेटिव सोसाइटी बनेगी. पूर्व में पंचायत में किसी अन्य जगह के नाम से लैंपस बना हुआ था. बैंक खाता भी पंचायत की सोसाइटी के नाम से खुलेगा.
छूटे हुए तीन पंचायतों में हाल में बना लैंपस
सूत्रों के मुताबिक जिले में 231 पंचायतों में से 228 पंचायतों में लैंपस पहले से बने हुए थे. उतरी करनडीह पंचायत, पूर्वी हलुदबनी पंचायत और पुड़ीहासा पंचायत में लैंपस सृजन और गठन की औपचारिकता पूरी की गयी. इस तरह जिले के सभी 231 पंचायतों में लैंपस बन गया है.
जिले के सभी 231 पंचायतों के लैंपस अब मल्टीपर्पज को-ऑपरेटिव सोसाइटी कहलायेंगे. लैंपस की आय बढ़ाने और आत्मनिर्भर बनाने के लिए जरूरी कदम उठाये जा रहे हैं.
– विजय प्रताप तिर्की, जिला सहकारिता पदाधिकारी, पूर्वी सिंहभूम.
Also Read: Good News: टाटा मोटर्स में हर साल 800 से अधिक कर्मचारियों का होगा स्थायीकरण, बनी सहमति
फसल राहत योजना से जिले के किसानों को मिलेंगी सुविधाएं
झारखंड सरकार की ओर से राज्य फसल राहत योजना के तहत किसानों से आवेदन मंगाये गये हैं, जिसके जरिये किसानों को सुविधाएं दी जा रही हैं. वहीं, सुखाड़ की स्थिति का आकलन करने के बाद पूर्वी सिंहभूम को सुखाड़ग्रस्त जिले में शामिल नहीं किया गया है. राज्य सरकार ने राज्य फसल राहत योजना का लाभ देने को कहा है. इसके लिए पुराने लंबित सारे फाइलों का निबटारा करने को कहा गया है.
जिले के कृषि पदाधिकारी रिटायर, पद खाली
पूर्वी सिंहभूम जिला कृषि पदाधिकारी मिथिलेश कालिंदी रिटायर हो चुके हैं. यह पद खाली है. इस पद पर अब तक किसी की पोस्टिंग नहीं हो पायी है. ऐसे में जिले में कई मामले फंसे हुए हैं और किसानों की योजनाएं धरातल पर नहीं उतर पा रही हैं.
Also Read: Good News: टाटा मोटर्स में स्थायी होंगे 600 से अधिक बाई सिक्स, जारी रहेगी पुत्र-पुत्रियों की बहाली