86 बस्तियों में 10 डिसमिल जमीन का मिलेगा लीज इससे अधिक एरिया में घर बना है, तो भी नहीं टूटेगा

सरयू राय के सवाल पर प्रभारी मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव ने स्वीकार किया कि टाटा लीज नवीकरण समझौता के शेड्यूल-5 में 86 बस्तियों को लीज भूमि से अलग किया गया है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 27, 2024 7:21 AM

जमशेदपुर : झारखंड सरकार जमशेदपुर की 86 बस्तियों में रहने वाले लोगों को लीज पर जमीन देगी. लेकिन अगर 10 डिसमिल से ज्यादा एरिया पर मकान या अन्य कब्जा है, तो भी उसे तोड़ा नहीं जायेगा. यह जानकारी प्रभारी मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव ने सोमवार को विधानसभा में दी. वह जमशेदपुर पूर्वी से विधायक सरयू राय के द्वारा पूछे गये सवाल का जवाब दे रहे थे. विधायक सरयू राय ने ध्यानाकर्षण के दौरान झारखंड विधानसभा में 86 बस्तियों के मालिकाना हक का मुद्दा उठाया. कहा कि पूर्ववर्ती सरकार ने 10 डिसमिल जमीन पर लीज देने की घोषणा की थी. इसके लिए आवेदन मंगाये गये थे, लेकिन कई ऐसे लोग हैं, जिनके पास 10 डिसिमल से ज्यादा जमीन या मकान है, उनका क्या होगा ? श्री राय ने राज्य सरकार से आग्रह किया कि पूर्ववर्ती सरकार के लीज के प्रस्ताव को रद्द कर दिया जाये और सीधे दिल्ली और इंदौर की तर्ज पर मकानों को मालिकाना हक दे दिया जाये.

विधायक के सवाल का मंत्री ने दिया जवाब :

सरयू राय के सवाल पर प्रभारी मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव ने स्वीकार किया कि टाटा लीज नवीकरण समझौता के शेड्यूल-5 में 86 बस्तियों को लीज भूमि से अलग किया गया है. इसके बाद 86 बस्तियों का सर्वे हुआ. सर्वे में यह जानकारी सामने आयी कि 14,167 प्लाॅटों की लगभग 1800 एकड़ भूमि लीज से बाहर की गयी है. इसमें 17,986 मकान बने हुए हैं, जिसका क्षेत्रफल करीब 1100 एकड़ है. उन्होंने कहा कि रघुवर दास की सरकार ने ये निर्णय लिया कि 10 डिसमिल तक भूमि की बंदोबस्ती लीज पर की जायेगी, जो पूरे झारखंड के लिए है और जमशेदपुर में भी लागू है.

इस पर प्रतिवाद करते हुए विधायक सरयू राय ने कहा कि सरकार उनके ध्यानाकर्षण का सही उत्तर नहीं दे रही है. एक तो सरकार यह नहीं बता रही है कि क्षितिज चंद्र बोस बनाम आयुक्त, रांची के मुकदमा में रांची नगर निगम की भूमि पर सर्वोच्च न्यायालय ने उनके प्रतिकूल कब्जा को मान्यता दिया है, क्योंकि यह प्रतिकूल कब्जा साबित हो गया है. उसी तरह जब वर्ष 2005 में टाटा लीज नवीकरण समझौता के समय सर्वे हुआ और साबित हो गया कि करीब 1100 एकड़ भूमि पर 17,986 मकान बने हुए हैं यानी कि अपने मकानों पर आवासितों का प्रतिकूल कब्जा साबित हो गया, तो सर्वोच्च न्यायालय के उपर्युक्त निर्णय के अनुसार इस भूमि पर आवासितों को मालिकाना उन्हें दे देना चाहिए. श्री राय ने कहा कि उन्होंने मंत्री से स्पष्ट कहा कि पूर्ववर्ती सरकार द्वारा मालिकाना हक देने के बदले में केवल 10 डिसमिल जमीन पर लीज का अधिकार देने का निर्णय ही मालिकाना हक के मार्ग में सबसे बड़ी बाधा है, तो उन्होंने इससे इनकार नहीं किया.

अब चूंकि एक बार झारखंड सरकार 10 डिसमिल के बाहर लीज देने के लिए तैयार है और यह माना गया कि जिसकी जितनी भूमि पर मकान बने हुए हैं, उसका पूरे पर कब्जा रहेगा, तो अब मालिकाना की बात बहुत दूर नहीं है. सरयू राय ने कहा कि मंत्री के आश्वासन की यह डोर पकड़कर वे भविष्य में सरकार पर इन बस्तियों को मालिकाना हक दिलाने के लिए दबाव बनाते रहेंगे.

15 व 20 डिसमिल पर घर है, तो भी नहीं टूटेगा

विधायक सरयू राय ने मंत्री से पूछा कि यदि किसी आवासित का मकान 15 व 20 डिसमिल पर बना हुआ है और उसे पूर्ववर्ती सरकार के निर्णयानुसार केवल 10 डिसमिल जमीन को ही लीज पर सरकार देगी, तो क्या बाकी जमीन पर बना हुआ उसका घर का ढांचा टूटेगा ? इस पर प्रभारी मंत्री ने कहा कि जो मकान जितनी जमीन पर बना हुआ है, उसका कोई भी अंश नहीं टूटेगा. विधायक ने इस पर फिर कहा कि ऐसा तभी होगा जब यह सरकार पूर्ववर्ती रघुवर दास सरकार की 10 डिसमिल तक लीज देने की नीति से कोई अलग निर्णय करे. मंत्री ने कहा कि पिछली सरकार का जो निर्णय है, उससे सरकार अलग निर्णय लेने की स्थिति में अभी नहीं है. न ही कोई ऐसा फैसला लेने का सरकार का कोई विचार है.

सरकार पर बनाते रहेंगे दबाव: सरयू राय

सदन में मंत्री के जवाब पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए विधायक सरयू राय ने कहा कि वे आगे भी इस विषय को उठायेंगे. उन्होंने कहा कि उनको खुशी है कि मंत्री ने 10 डिसमिल के लीज के बंधन से आवासितों को अलग किया, जिसका मकान जितनी भूमि पर है, उतनी भूमि पर उसका अधिकार रहेगा, परंतु उसे सरकार लीज देगी, मालिकाना हक नहीं देगी. क्योंकि पूर्ववर्ती सरकार के मंत्रिपरिषद का एक निर्णय हो गया है, इसलिए सम्यक दृष्टिकोण से इस पर विचार करने के बाद इस निर्णय को बदला जायेगा.

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