एमजीएम मेडिकल कॉलेज में नियुक्त डॉक्टरों की बायोमेट्रिक सिस्टम से 75% से कम हाजिरी होने को गंभीरता से लेते हुए नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी ) ने कॉलेज के प्राचार्य डॉक्टर केएन सिंह को शोकॉज किया है. 15 दिनों के अंदर जवाब मांगा है. इसपर प्राचार्य ने 30 जनवरी को बैठक बुलायी है. इसे लेकर मेडिकल अस्पताल के अधीक्षक, उपाधीक्षक व सभी विभागाध्यक्ष को पत्र लिखा है.
कुछ दिन पहले बायोमेट्रिक उपस्थिति को लेकर एनएमसी ने जमशेदपुर स्थित एमजीएम को चेतावनी भी दी थी, जिसके आलोक में एमजीएम के प्राचार्य ने अधीक्षक सहित सभी विभागाध्यक्षों को पत्र जारी किया था. इसमें कहा गया था कि एनएमसी द्वारा 75% बायोमेट्रिक उपस्थिति दर्ज करने का निर्देश दिया गया है. पूर्व में इसे लेकर कई चिकित्सकों का वेतन भी रोका गया था. विगत कई माह के उपस्थिति के अवलोकन से स्पष्ट हुआ है कि बायोमेट्रिक उपस्थिति में काफी गिरावट आयी है. इस क्रम में कॉलेज के प्रिंसिपल पर पांच लाख रुपये का दंड का प्रावधान किया गया है. कॉलेज पर एक करोड़ रुपये का जुर्माना किया जायेगा.
एनएमसी ने शोकॉज किया है, जिसका 15 दिनों के अंदर जवाब देना है. 30 जनवरी को सभी चिकित्सकों की एक बैठक बुलायी गयी है. इस मामले में लापरवाही करने वाले डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई की जायेगी.
डॉ केएन सिंह, प्राचार्य एमजीएम मेडिकल कॉलेज
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बायोमेट्रिक सिस्टम से हाजिरी नहीं बनाने वाले या कम हाजिरी को लेकर एनएमसी ने मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य को 294 डॉक्टरों की सूची भेजी है, जिसमें 57 डॉक्टर ऐसे हैं, जिनके द्वारा एक दिन भी बायोमेट्रिक सिस्टम से हाजिरी नहीं बनायी गयी है. वहीं एक डॉक्टर एक दिन व एक डॉक्टर ने दो दिन हाजिरी बनायी है. सूची में कई ऐसे डॉक्टर हैं, जिन्होंने तीन, चार, पांच दिन हाजिरी बनायी है. कॉलेज प्रबंधन सूची की जांच कर रही है. प्रबंधन के अनुसार, कई ऐसे डॉक्टर होंगे, जिन्होंने छुट्टी भी ली होगी. इस कारण उनकी हाजिरी 75 प्रतिशत से कम हो गयी होगी. फिलहाल, इसकी जांच की जा रही है.
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एमजीएम अस्पताल में चल रहे रजिस्ट्रेशन काउंटर में से दो काउंटर का प्रिंटर खराब होने के कारण शनिवार को उन्हें बंद कर दिया गया था. केवल दो ही काउंटर का संचालन हुआ. इससे मरीजों व कर्मचारियों को काफी परेशानी हुई. गणतंत्र दिवस के अवसर पर एक दिन के लिए ओपीडी बंद होने के कारण अस्पताल में मरीजों की काफी भीड़ थी. काउंटर बंद होने से कई लोगों को रजिस्ट्रेशन नहीं हो सका. लोगों को बिना इलाज कराये वापस जाना पड़ा. व्यवस्था के विरोध में मरीजों व उनके परिजनों ने हंगामा किया. मौके पर तैनात होमगार्ड के जवानों ने लोगों को समझाकर मामला शांत कराया.
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