महाकुंभ से 520 KM पैदल चलकर 10 दिनों में लौटीं जमशेदपुर, 70 साल की बुजुर्ग की दास्तां सुन रह जाएंगे दंग

Mahakumbh 2025: प्रयागराज महाकुंभ से 70 साल की बुजुर्ग पैदल चलकर जमशेदपुर लौटी हैं. वह अपने ग्रुप से बिछड़ गयी थीं. एक रेजा की दास्तां सुनकर दंग रह जाएंगे.

By Guru Swarup Mishra | February 5, 2025 5:00 AM

Mahakumbh 2025: जमशेदपुर-प्रयागराज में महाकुंभ स्नान के बाद लापता छायानगर की कांति देवी 520 किलोमीटर पैदल चलकर 10 दिनों के बाद अपने घर लौट आयी हैं. 70 वर्षीया कांति देवी प्रयागराज में स्नान करने के बाद मुगलसराय स्टेशन पर अंतिम बार देखी गयी थीं. टाटानगर स्टेशन पर उनके साथ गये 44 लोग तो उतरे, लेकिन कांति देवी नहीं मिलीं. पुरी से लेकर प्रयागराज तक के स्टेशनों पर परिवार के लोगों ने कांति देवी को खोजने का प्रयास किया, लेकिन वह नहीं मिलीं. कांति देवी जब घर लौटीं तो परिवार वालों की आंखों से आंसू की धार बहने लगी. कांति देवी के बिछड़ने और लौटने की कहानी सुन आप दंग रह जाएंगे.

रेजा का काम करती हैं कांति देवी


कांति देवी छायानगर में अपनी बहन-बेटी के साथ रहती हैं. वह शादी-पार्टी में लाइट ढोने और रेजा का भी काम करती हैं. बचपन से आज तक जब से होश संभाली हैं, सिर्फ कमा कर ही खाती हैं. जब कुछ नहीं रहा तो भूखे रह गयीं, लेकिन किसी के आगे हाथ नहीं फैलाया. शायद यही तप उन्हें 10 दिनों तक बिना कुछ खाए-पीए रहने का सहारा बना. मुगलसराय से 10 दिनों में पैदल बिना कुछ खाए-पीए कांति जब अपने घर के मोड़ पर पहुंचीं, तो किसी ने फोन कर उनकी बहन राजो देवी को जानकारी दी. घर से लोग भागे-भागे पुराना कोर्ट मोड़ के पास पहुंचे, जिनकी आवाज सुनते ही कांति देवी बेहोश हो गयीं. उन्हें वे लोग उठाकर घर ले गये. होश आने के बाद उन्हें नहलाया.राजो देवी ने बताया कि उन लोगों ने भी उम्मीद खो दी थी. इतना जरूर था कि कहीं भी होगी मेहनत-मजदूरी कर खा लेगी.

महादेव को यहीं से बारंबार प्रणाम-कांति देवी


छायानगर की कांति देवी ने अपने बिछड़ने का किस्सा भी विस्तार से बताया. राहुल नामक युवक ने टिकट कटवा कर दे दिया था. जब ट्रेन आयी तो अपना सामान रख दिया. अचानक उन्हें याद आया कि महाकुंभ में स्नान के बाद लिया गया गंगा जल का बोतल प्लेटफॉर्म पर ही छूट गया है. जैसे ही वह बोगी से नीचे बोतल लाने के लिए उतरीं, उसी वक्त ट्रेन खुल गयी. कांति देवी के साथ एक नहीं कई दिक्कतें अचानक सामने आ गयीं. वह ग्रुप से बिछड़ गयी थीं. बैग में मोबाइल-पैसे रह गए थे. उन्हें दिखाई और सुनाई भी कम देता है. कांति ने बताया कि जमशेदपुर लौटने का रास्ता भी उन्हें महादेव ने ही दिखाया. वह कभी इतनी दूर नहीं गयीं, लेकिन घंटों खड़े रहने-चलने और काम करने की आदत थी. इसलिए उसे मुगलसराय से जमशेदपुर आने तक दिक्कत जरूर हुई, लेकिन शारीरिक परेशानी नहीं हुई. दोबारा महाकुंभ जाने के सवाल पर हाथ जोड़कर बोलीं महादेव को यहीं से बारंबार प्रणाम है.

ये भी पढ़ें: Tata Steel Jobs: टाटा स्टील में अब 8500 कर्मचारी ही करेंगे काम, ऐसे पदों पर नहीं होगी भर्ती, इतने कर्मचारी कम करने की तैयारी

Next Article

Exit mobile version