जमशेदपुर के दलमा वन क्षेत्र में मिले पुराने, दुर्लभ व औषधीय पेड़- पौधों को संरक्षित किया जायेगा. ऐसे पेड़-पौधों को संरक्षित करने के लिए उसकी पहचान के साथ-साथ उनके नाम का टैग भी लगाया जायेगा, ताकि पर्यटकों को इसकी पहचान हो सके. पिछले दिनों कराये गये सर्वे में यह बातें सामने आयी थी कि दलमा में कई ऐसे पेड़-पौधे हैं, जो दुर्लभ हैं और ये देश के दूसरे हिस्से में नहीं मिलते हैं.
अरब, फीलीपिंस और दक्षिण पूर्व एशिया में पाये जाने वाली हेमिग्राफिस यहां मिला है. वहीं, चीन, अफगानिस्तान और भूटान जैसे देशों में पाये जाने वाले डिक्लिप्टेरिसिया प्लांट भी यहां मिले हैं. ये प्लांट हिमालय क्षेत्र में पाये जाते हैं. बन कपास (थेसपेसिया लैंपस), राक्स्बयूरघियाना बवहिया समेत अन्य प्लांट भी यहां पाये गये हैं.
करीब 194 वर्ग किलोमीटर के दायरे में फैले दलमा वन क्षेत्र में कई तरह के औषधीय पौधे पाये गये हैं. इनमें कालमेघ, गुलर, अर्जुन, इमली, पीपल, काला शीशम, बीजाशाल, बरगद, आंवला, चिरयता, हर्रे, बहेरा जैसे कई औषधीय गुण वाले पौधे हैं. काला शीशम के कई पेड़ हैं, जिसे भारत सरकार ने इंडिया फॉरेस्ट एक्ट 1972 के तहत संरक्षित घोषित किया है और इसका व्यापार गैर कानूनी है.
दलमा डीएफओ डॉ अभिषेक कुमार ने कहा कि दलमा वन क्षेत्र में कई ऐसे पुराने और बहुमूल्य व औषधीय पेड़-पौधे मिले हैं. सर्वे में इनसे संबंधित जानकारी मिली है. इसके लिए लोगों को ट्रेनिंग दिलायी जायेगी कि किस तरह से ऐसे पेड़-पौधों को संरक्षित किया जा सकता है.
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