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जमशेदपुर, अशोक झा : जमशेदपुर में नक्शा विचलन के खिलाफ जमशेदपुर अधिसूचित क्षेत्र समिति (अक्षेस) ने हाईकोर्ट के आदेश से कार्रवाई शुरू कर दी है. धालभूम एसडीओ के आदेश से जमशेदपुर सीओ, जेएनएसी के अधिकारी, बिष्टुपुर पुलिस दल-बल के साथ अवैध निर्माण तोड़ने होटल सेंटर प्वाइंट जेसीबी लेकर पहुंच गए.
नक्शा विचलन मामले में 21 भवनों पर होगी कार्रवाई
जमशेदपुर अक्षेस ने नक्शा विचलन करने वाले 21 भवनों को चिह्नित किया है. इनके खिलाफ नक्शा के विपरीत निर्माण, जी प्लस टू से अधिक का निर्माण, बेसमेंट में पार्किंग की जगह दुकान, होटल, गोदाम, ट्यूशन क्लास सहित अन्य कई तरह की व्यावसायिक गतिविधियां संचालित की जा रही हैं. यानी नक्शे के मुताबिक, भवन मालिकों को बेसमेंट या ग्राउंड फ्लोर में पार्किंग की सुविधा देनी थी. मगर भवन मालिकों ने बिल्डिंग निर्माण के बाद बेसमेंट या ग्राउंड फ्लोर में भी दुकानें बना कर बेच दी. इसकी वजह से वाहनों की पार्किंग सड़क पर होती है.
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2010 में झारखंड हाईकोर्ट ने ऐसे भवनों पर कार्रवाई का दिया था आदेश
झारखंड हाईकोर्ट ने भी नक्शा विचलन मामले में वर्ष 2010 में ऐसी इमारतों पर कार्रवाई का आदेश दिया था. इसके बाद जमशेदपुर में कार्रवाई भी हुई. बाद में सारा मामला ठप हो गया. जिसके बाद नक्शा विचलन कर भवन बनाने वालों और पार्किंग की जगह को व्यवसायिक दुकानों में तब्दील करने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं करने पर साकची निवासी राकेश झा की हाइकोर्ट में जनहित याचिका (2078 /2018) दाखिल की.
नक्शा विचलन मामले में झारखंड हाईकोर्ट में सुनवाई 30 अप्रैल को
नक्शा विचलन मामले की सुनवाई 30 अप्रैल को झारखंड हाईकोर्ट में होगी. 23 अप्रैल को झारखंड हाइकोर्ट के न्यायाधीश रंगन मुखोपाध्याय और न्यायाधीश दीपक रौशन की पीठ में राकेश झा की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई थी. सुनवाई के दौरान अदालत ने अक्षेस के अधिवक्ता से पूछा कि कितने भवन सील किये गये हैं और कितने तोड़े गये, पहले यह बतायें.
कमीशन की रिपोर्ट देखने के बाद हाईकोर्ट ने की थी ऐसी टिप्पणी
अदालत ने साफ कर दिया कि अक्षेस पहले कुछ अवैध निर्माणों को गिराकर आये. उसके बाद उनकी दी गयी तहरीर (लिखी हुई बात ) को देखा जायेगा. अदालत ने कमीशन की रिपोर्ट देखने के बाद अक्षेस के अधिवक्ता से कहा कि अदालत ने बेसमेंट में पार्किंग और कमर्शियल काॅम्प्लेक्स बनाने की बात सुनी है, पर बेसमेंट में किचन भी बनाया गया है, यह कभी नहीं सुना गया.
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