जमशेदपुर अक्षेस द्वारा नक्शा विचलन, रेसीडेंसियल एरिया में कॉमर्शियल बिल्डिंग समेत अन्य मामलों में सिर्फ जांच कमेटियों का गठन किया गया, लेकिन कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति ही की गयी. जब भी हाइकोर्ट में सुनवाई से नोटिस जारी हुई, तो आनन-फानन में कार्रवाई के नाम पर सिर्फ जांच के लिए पदाधिकारियों की नियुक्ति कर दी गयी. हाइकोर्ट के निर्देश भी जमशेदपुर अक्षेस ने गंभीरता से नहीं लिया और इन मामले में कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति ही गयी.
जमशेदपुर अक्षेस के पूर्व पदाधिकारी कृष्ण कुमार ने नौ मार्च 2019 को जमशेदपुर अक्षेस के अंतर्गत अवैध रूप से भवन निर्माण, पारित भवन मानचित्र में विचलन कर बनाये गये भवनों की जांच करने के संबंध में पांच सदस्यीय कमेटी का गठन किया था. इस कमेटी में नगर प्रबंधक ज्योति पूंज, नगर प्रबंधक रवि शंकर भारती, सहायक अभियंता महेश प्रभाकर, कनीय अभियंता महेंद्र कुमार प्रधान और कनीय अभियंता अक्षेस पीके ठाकुर को शामिल किया गया था. टीम को निर्देश दिया गया था कि अवैध रूप से निर्मित भवन की मापी एवं मानचित्र से विचलन कर अवैध रूप से बनाये गये विचलित भाग की मापी कर जांच प्रतिवेदन चार माह के अंदर समर्पित करना सुनिश्चित करें, ताकि झारखंड नगर पालिका अधिनियम 2011 एवं झारखंड भवन उपविधि 2016 के प्रावधानों के तहत आवश्यक कार्रवाई की जा सके.
कमेटी बनाकर हाइकोर्ट को गुमराह किया : अखिलेश
जमशेदपुर में नक्शा विचलन समेत अन्य कई मामलों को लेकर हाइकोर्ट में जमशेदपुर अक्षेस के खिलाफ मुकदमों में पैरवी कर रहे अधिवक्ता अखिलेश श्रीवास्तव ने बताया कि जमशेदपुर अक्षेस के विशेष पदाधिकारी ने सिर्फ नोटिस-जांच के नाम पर खानापूर्ति कर निजी स्वार्थ पूरा करने का काम किया. जब भी हाइकोर्ट ने कोई आदेश जारी किया, तुरंत एक कमेटी बनाकर हाइकोर्ट को भी गुमराह करने का काम किया. अक्षेस के पदाधिकारियों ने खुद अपने हलफनामा में लिखित रूप से जांच कमेटी, प्रतिवेदन और की गयी आंशिक कार्रवाइयों का जिक्र किया है, लेकिन नक्शा विचलन करनेवाले फ्लोर को हटाकर अपनी रिपोर्ट नहीं सौंपी. अधिवक्ता ने बताया कि पार्किंग का कॉमर्शियल इस्तेमाल हर हाल में बंद करना है. तमाम अवैध निर्माणों को अक्षेस द्वारा तोड़ा जाना है. झारखंड बिल्डिंग बायलॉज में बगैर ऑक्युपेंसी के भवन में बिजली पानी का संयोजन नहीं किया जा सकता है, यदि करने में कोई सहयोग करता है, तो वह भी अवैध निर्माण में सहयोगी होगा.
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जमशेदपुर में नक्शा विचलन कर बनाये गये लगभग 300 भवनों को अधिसूचित क्षेत्र समिति द्वारा बिल्डरों के साथ सांठगांठ कर उन अवैध निर्माणों को अब तक तोड़ा जाना उच्च न्यायालय ने 2011 में जारी आदेशों की खुली अवहेलना है. जमशेदपुर में बिल्डरों और अधिसूचित क्षेत्र समिति के पदाधिकारियों की सांठगांठ से नक्शा विचलन कर सैकड़ों भवन बनाये गये हैं, जो नगर नियोजन का उल्लंघन, अपार्टमेंट/ फ्लैट के स्वामियों और आम लोगों के बुनियादी और कानूनी अधिकारों का हनन होने के साथ ही पर्यावरण कानूनों का भी उल्लंघन है.
यही कारण है कि जमशेदपुर में बने सैकड़ों अपार्टमेंट में से अधिकांश को अक्षेस द्वारा पूर्णता प्रमाणपत्र नहीं दिया गया है, पार्किंग क्षेत्रों को व्यावसायिक इस्तेमाल के लिए दुकानों में तब्दील कर दिया गया है, दो तल्ला मंजूरी वाले भवनों को गैरकानूनी निर्माण कर सात तल्ला भवनों में बदल दिया गया है. अवैध निर्माणों को तोड़ने की बजाय अनधिकृत तौर पर नियमित कर दिया गया. कई भवनों को दिखावे की कार्रवाई करते हुए सील किया गया. बाद में बिल्डरों से हलफनामा स्वयं लेकर उन अवैध निर्माणों को तोड़ने का आश्वासन लिया, सिलिंग हटा ली गयी, ऐसा कर अक्षेस द्वारा उच्च न्यायालय को गुमराह किया गया.