जमशेदपुर : 1991 में सरायकेला से झामुमो ने चंपई सोरेन को अपनी पार्टी का प्रत्याशी बनाया था, लेकिन उनका टिकट छीन कर कृष्णा मार्डी ले गये. टिकट तो ले गये, लेकिन किस्मत में विधायक बनना चंपई सोरेन को ही लिखा था. उन्होंने पहला चुनाव निर्दलीय जीता. झामुमो के केंद्रीय महासचिव रहे आंदोलनकारी सह पूर्व सांसद शैलेंद्र महतो ने बताया कि 1991 में पार्टी सुप्रीमो शिबू सोरेन ने चंपई सोरेन को देने के लिए टिकट भेजा था. वे उस वक्त आस्तिक महतो के आवास में रहते थे. उनका घर बन रहा था. आस्तिक की झोपड़ी के बाहर टेबल पर उन्होंने टिकट रखा था. अचानक वहां दल-बल के साथ पहुंचे पार्टी के ही नेता कृष्णा मार्डी ने टिकट उठा लिया. इसका कोई विरोध नहीं कर पाया. पहले के समय में पार्टी अध्यक्ष सिर्फ अपना साइन कर टिकट दिया करते थे. उसे स्थानीय स्तर पर भर कर चुनाव पदाधिकारी के पास जमा कराना पड़ता था. कृष्णा मार्डी के टिकट ले जाने के बाद फिर से गुरुजी के पास जाकर चंपई सोरेन के लिए टिकट की मांग की. उन्होंने सहर्ष टिकट प्रदान कर दिया. कृष्णा मार्डी ने अपनी पत्नी को सरायकेला से प्रत्याशी बनाया, चंपई सोरेन ने भी पर्चा दाखिल कर दिया. दोनों ही उम्मीदवारों ने खुद को झामुमो का अधिकृत प्रत्याशी बताया, जिसे मानने से रिटर्निंग ऑफिसर ने इनकार कर दिया. इसके बाद दोनों को निर्दलीय घोषित कर दिया. चंपई सोरेन को घंटी छाप और मोती मार्डी को बैलून चुनाव निशान मिला. मतगणना में चंपई सोरेन को 17 हजार व मोती मार्डी को लगभग 14 हजार वोट मिले. झामुमो के केंद्रीय महासचिव रहे पूर्व सांसद शैलेंद्र महतो ने कहा कि भले ही कृष्णा मार्डी कागज वाले टिकट को छीन कर ले गये थे, लेकिन चंपई सोरेन की किस्मत नहीं ले पाये और जीत चंपई सोरेन की हुई. इस तरह पहली बार निर्दलीय विधायक के रूप में 1991 में चंपई सोरेन बिहार विधानसभा पहुंचे.
अर्जुन मुंडा (खरसावां) – 18 मार्च 2003-1 मार्च 2005, 12 मार्च 2005-14 सितंबर 2006, 11 सितंबर 2010-18 जनवरी 2013
मधु कोड़ा (जगन्नाथपुर) – 18 सितंबर 2006-24 अगस्त 2008
रघुवर दास (जमशेदपुर पूर्वी)- 28 दिसंबर 2014-23 दिसंबर 2019
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