जुलाई से बंद होगी मेडिका की जर्मा एंबुलेंस सेवा
अगर कोई सड़क दुर्घटना या हादसे में घायल हो जाता था तो 6600100 या 100 नंबर पर फोन करने पर मदद मिलती थी. सूचना मिलते ही बताये पते पर जर्मा एंबुलेंस पहुंचती थी तथा घायल को नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया जाता था. प्राथमिक उपचार के बाद जरूरत के अनुसार उसे दूसरे अस्पताल में रेफर कर दिया जाता था. जर्मा के पास छह एंबुलेंस हैं. जिसे शहर में अलग- अलग स्थानों पर रखा गया था. जो एंबुलेंस नजदीक रहता था वह घटनास्थल पर फौरन जाता था.
ऐसे मिलती थी सेवा
अगर कोई सड़क दुर्घटना या हादसे में घायल हो जाता था तो 6600100 या 100 नंबर पर फोन करने पर मदद मिलती थी. सूचना मिलते ही बताये पते पर जर्मा एंबुलेंस पहुंचती थी तथा घायल को नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया जाता था. प्राथमिक उपचार के बाद जरूरत के अनुसार उसे दूसरे अस्पताल में रेफर कर दिया जाता था. जर्मा के पास छह एंबुलेंस हैं. जिसे शहर में अलग- अलग स्थानों पर रखा गया था. जो एंबुलेंस नजदीक रहता था वह घटनास्थल पर फौरन जाता था.
जमशेदपुर : जमशेदपुर एक्सीडेंट रिस्पांस एंड मेडिकल असिस्टेंट (जर्मा) सेवा जुलाई से बंद कर दी जायेगी. मेडिका की ओर से जर्मा यूनिट में काम करने वाले 23 स्टाफ की सेवा समाप्त की जा रही है. 30 जून के बाद से उन्हें काम पर नहीं आने को कहा गया है. इस यूनिट के कर्मचारियों से इस संबंध में हस्ताक्षर भी करा लिये गये हैं..
वर्ष 2014 में शुरू की गयी थी सेवा: वर्ष 2014 में टाटा स्टील, मेडिका अस्पताल और जमशेदपुर पुलिस के सहयोग से जर्मा एंबुलेंस सेवा शुरू की गयी थी. झारखंड पुलिस एंबुलेंस, डीजल, ड्राइवर और एक कांस्टेबल उपलब्ध कराती थी. वहीं ट्रेंड स्वास्थ्य कर्मी सहित अन्य सुविधाएं मेडिका अस्पताल प्रबंधन की ओर से मुहैया करायी जाती थी.
जर्मा में काम करने वाले कर्मचारी और अन्य सुविधाओं का खर्च टाटा स्टील वहन करती थी. टाटा स्टील की ओर से बताया गया है कि 108 एम्बुलेंस सेवा शुरू होने और जर्मा की कॉलिंग कम होने के बाद झारखंड पुलिस, मेडिका और कंपनी के बीच आपसी सहमति के बाद इसे बंद किया जा रहा है