साहब मैं अभी जिंदा हूं, फिर भी मेरा मृत्यु प्रमाण पत्र बना दिया
Sir, I am still alive, still my death certificate has been prepared.
जमशेदपुर.
साहब मैं अभी जिंदा हूं, फिर भी मेरा मृत्यु प्रमाण पत्र बना दिया गया. जबकि मेरे जीजा की मौत इलाज के दौरान हुई थी. ऐसा एमजीएम अस्पताल का एक और कारनामा सामने आया है. अस्पताल की लापरवाही ने एक बार फिर से एमजीएम अस्पताल की सक्रियता की पोल तो खोल ही दी है. अब कागजात में मृत घोषित फुचु हेंब्रम खुद को जीवित साबित करने के लिए एमजीएम अस्पताल का चक्कर काट रहे हैं.क्या है पूरा मामला
सरायकेला खरसावां जिले के तामोलिया निवासी फुचु हेंब्रम गुरुवार को एमजीएम अस्पताल अधीक्षक रवींद्र कुमार से गुहार लगाने भाजपा नेता विमल बैठा के साथ पहुंचे थे. अस्पताल अधीक्षक को बताया कि 30 मार्च को इलाज के लिए अपने जीजा हलधर माझी को एमजीएम अस्पताल में भर्ती कराया था. जहां इलाज के दौरान 1 अप्रैल को उसके जीजा की मौत हो गयी थी. जीजा का मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने के लिए एमजीएम अस्पताल आने पर उसे जानकारी मिली कि कागजात में उन्हें ही मृत घोषित कर दिया गया है. नाम सुधारने के लिए वह अस्पताल का चक्कर लगा रहे हैं. उनसे एफिडेविट मांगा जा रहा है. तब जाकर उसने पूरे मामले की जानकारी भाजपा नेता विमल बैठा को दी. गुरुवार को फुचु हेंब्रम ने अस्पताल अधीक्षक को पत्र देकर बताया कि वह जिंदा है.जिंदा रहते हुए भी अस्पताल ने मुझे मुर्दा बना दिया : फुचु हेंब्रम
फुचु हेंब्रम का कहना है कि गलती एमजीएम अस्पताल की है, लेकिन खामियाजा उसे भुगतना पड़ रहा है. जिंदा रहते हुए भी अस्पताल ने उसे मुर्दा बना दिया. साथ ही जीजा का मृत्यु प्रमाणपत्र बनाने के लिए अस्पताल का चक्कर काटना पड़ रहा है.दोषियों पर कार्रवाई हो : विमल बैठा
भाजपा नेता विमल बैठा ने कहा कि अस्पताल में बार-बार इस प्रकार की बड़ी भूल की घटनाएं हो रही है. पूरे मामले की जांच कर दोषी पर कार्रवाई होनी चाहिये.बयान
आखिर ऐसा कैसे और किस परिस्थिति में हुआ, इसकी जांच की जा रही है. नाम सुधार के लिए प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है. मृत्यु प्रमाण पत्र में नाम सुधार किया जायेगा.
-रवींद्र कुमार, अधीक्षक, एमजीएम अस्पताल, जमशेदपुरपहले भी हो चुकी है एमजीएम में इस तरह की घटनाएं
11 जुलाई 2018 :
एमजीएम के इमरजेंसी में कई घंटों तक एक मृत मरीज को स्लाइन और ऑक्सीजन चढ़ता रहा. लोगों द्वारा जानकारी देने के बाद उक्त मरीज का स्लाइन और ऑक्सीजन हटा शव को शीतगृह भेजा गया.30 अप्रैल 2023:
आदित्यपुर निवासी ललित दत्ता नामक मरीज को गंभीर चोट लगने से उसकी मौत हो गयी थी. अस्पताल ने ललित के शव को धनंजय बताकर मोर्चरी मे भेज दिया. परिजनों ने मोर्चरी में जाकर शव को देखा. तब पता चला कि ललित दत्ता का शव रखा हुआ है, लेकिन रजिस्टर में नाम धनंजय अंकित है.20 दिसंबर 2023:
डिमना बस्ती निवासी संदीप तंतुबाई के पिता गणेश तंतुबाई (53) की 17 नवंबर को सड़क हादसे में मौत हो गयी थी. गणेश के बदले उसके बेटे संदीप के नाम से मृत्यु प्रमाणपत्र जारी कर दिया गया. जबकि संदीप जीवित था.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है