जमशेदपुर: एमजीएम मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ केएन सिंह को नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) ने शोकॉज नोटिस भेजा है. इस नोटिस में बताया गया है कि कॉलेज के विभिन्न विभागों के प्रोफेसर और डॉक्टर ऑनलाइन अटेंडेंस नहीं बनाते हैं. इस मामले में एक सप्ताह के भीतर जवाब सौंपने को कहा गया है. ऑनलाइन अटेंडेंस नहीं बनाने वाले फैकल्टी व प्रोफेसरों की संख्या करीब 54 है. एनएमसी की ओर से जारी पत्र के अनुसार विभागवार ब्योरा दिया गया है. प्रिंसिपल डा. केएन सिंह ने कहा कि एनएमसी की ओर से शोकॉज जारी किया गया है. नोटिस का जवाब समय पर दे दिया जायेगा. एनएमसी ने जिस बातों का उल्लेख किया है, उसकी शिकायतों को दूर किया जायेगा. ऑनलाइन अटेंडेंस अनिवार्य होगा.
पत्र में उठाये गये सवाल
मनोरोग व रेडियोडायग्नोसिस विभाग में कोई फैकल्टी या रेजिडेंट डॉक्टर ऑनलाइन अटेंडेंस नहीं बनाते हैं. वहीं, एनाटॉमी विभाग में सिर्फ दो ट्यूटर ने अटेंडेंस बनाया है. अन्य सभी गायब पाये गये हैं. हड्डी रोग विभाग में सिर्फ एक एसोसिएट प्रोफेसर ने अटेंडेंस बनाया है. विभाग में किसी भी रेजिडेंट डॉक्टर ने अटेंडेंस नहीं बनाया है. मेडिसिन विभाग में किसी ने ऑनलाइन अटेंडेंस नहीं बनाया है. इसमें एसोसिएट प्रोफेसर से लेकर असिस्टेंट प्रोफेसर, सीनियर रेजिडेंट व जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर तक शामिल हैं. इसके अलावा सर्जरी, महिला एवं प्रसूति रोग विभाग, नेत्र, फोरेंसिक मेडिसिन, माइक्रोबायोलाजी, ईएनटी, शिशु रोग विभाग, पैथोलॉजी सहित अन्य विभाग के फैकल्टी व डॉक्टर भी आनलाइन हाजिरी नहीं बना रहे हैं.
एमजीएम में टीचिंग फैकल्टी की है 18.08 फीसदी की कमी
एमजीएम मेडिकल कॉलेज में टीचिंग फैकल्टी की 18.08 फीसदी कमी, रेजीडेंट डॉक्टरों की 15.94 फीसदी कमी होने की जानकारी दी गयी है. साथ ही एमजीएम मेडिकल कॉलेज में स्किल्स लैब मौजूद नहीं हैं. पीडियाट्रिक डिपार्टमेंट में क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट व हेल्थ एजुकेटर नहीं हैं.
मान्यता पर हो सकता है संकट
नेशनल मेडिकल कमीशन ने जारी किये गये पत्र में प्रिंसिपल डॉ केएन सिंह से पूछा है कि कॉलेज में जब शिक्षक ऑनलाइन अटेंडेंस नहीं बना रहे हैं, संसाधनों की कमी है तो फिर किस परिस्थिति में 100 सीटों पर एमबीबीएस की मान्यता के लिए आवेदन किया गया. ऐसे में मान्यता पर संकट खड़ा हो सकता है.
देश के सभी कॉलेजों पर सॉफ्टवेयर के जरिये रखी जा रही है नजर
एनएमसी ने अपना एक ऑनलाइन साफ्टवेयर डेवलप किया है, जो देशभर के सभी मेडिकल कॉलेजों में लगी बायोमीट्रिक मशीन से जुड़ी हुई है. इस सॉफ्टवेयर के जरिये मेडिकल कालेजों के प्रोफेसर, असिस्टेंट प्रोफेसर, ट्यूटर, वरीय रेजिडेंट सहित अन्य डॉक्टरों की लगातार निगरानी की जा रही है.