पूर्वी सिंहभूम में जंगल बचाने आगे आए ग्रामीण, असामाजिक तत्वों व वन तस्करों को दी सख्त चेतावनी
पूर्वी सिंहभूम के जिला मुख्यालय जमशेदपुर से सटे तालसा कुदादा जंगल में असामाजिक तत्व लगातार आग लगा रहे हैं. इससे सदाबहार वन खत्म हो रहे हैं.
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जमशेदपुर, दशमथ सोरेन : पूर्वी सिंहभूम जिले के जमशेदपुर प्रखंड केरुवाडुंगरी पंचायत क्षेत्र के तालसा-कुदादा जंगल में असामाजिक तत्वों हर दिन आग लगा दे रहे हैं. इसकी वजह से सदाबहार जंगल नष्ट हो रहे हैं. दिन में तेज हवा के कारण ग्राम वन सुरक्षा समिति के सदस्यों को आग बुझाने में काफी परेशानी हो रही है.
जंगल लगातार जल रहे हैं. इससे जंगल व वन्यजीव प्रभावित हो रहे हैं. हर दिन हो रही अगलगी से परेशान होकर ग्राम वन सुरक्षा समिति के सदस्यों ने पहाड़ी की ओर जाने वाले हर रास्ते में सूचना पट्ट लगाकर लोगों को आग नहीं लगाने की चेतावनी दी है. हालांकि, चेतावनी के बावजूद जंगल में आग लगने की घटना कम होने का नाम नहीं ले रही है.
ग्रामीणों ने सुबह-शाम गश्ती करने का लिया फैसला
तालसा-कुदादा पहाड़ी से सटे विभिन्न गांवों के प्रमुख व ग्राम वन सुरक्षा समिति के सदस्यों ने जंगल को असामाजिक तत्वों से बचाने के लिए सामूहिक बैठक की. इसमें निर्णय लिया गया कि वे हर दिन सुबह-शाम एक टीम बनाकर पहाड़ी पर गश्ती करेंगे. जंगल में आग लगाते हुए पकड़े जाने पर असामाजिक तत्वों को दंडित भी करेंगे.
वन तस्कर व असामाजिक तत्व जंगल में लगा रहे आग
पूर्वी सिंहभूम जिले के तालसा गांव के माझी बाबा दुर्गाचरण मुर्मू ने बताया कि वन तस्करों तथा असामाजिक तत्व जंगलों में आग लगा रहे हैं. वे चोरी-छिपे जंगल में जाकर आग लगा दे रहे हैं, ताकि लकड़ी लाने का उन्हें बहाना मिल जाए.
पहाड़ी से सटे तालसा, तुरामडीह, कुदादा, भुरीडीह, बाहरडाडी व भीतरडाडी गांव के ग्रामवासी लंबे समय से वन जंगल को बचाने का काम कर रहे हैं. इसकी बदौलत जंगल हरा-भरा दिख रहा है. जंगल में वन-जंगल को काटना पूर्णत: मना है. बावजूद इसके, वन तस्कर व असामाजिक तत्व चोरी छिपे वन-जंगल को काट रहे हैं. ग्रामवासी उनकी घेराबंदी करने के लिए मुस्तैद हैं.
एक सप्ताह पूर्व जंगल में लगी थी भीषण आग
एक सप्ताह पूर्व जंगल में भीषण आग लग गयी थी. इसमें कई छोटे-बड़े पेड़ जलकर राख हो गये. लगातार चार दिनों की मशक्कत के बाद तालसा, तुरामडीह व बाहरदाड़ी के ग्रामीणों ने आग पर काबू पाया था. आग पर काबू करने में पूर्व पंचायत समिति सदस्य जितेन हेम्ब्रम, माझी बाबा दुर्गाचरण हेम्ब्रम, नायके बाबा हबीराम मुर्मू, सनातन हेम्ब्रम, रामचंद्र टुडू, सनातन सोरेन, पांडु मुर्मू, दुर्गा हांसदा, बासु मुर्मू समेत अन्य महिला-पुरुष ने बढ़-चढ़कर योगदान दिया था.