कोलकाता (अमर शक्ति प्रसाद) : राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शनिवार (29 अगस्त, 2020) को राष्ट्रीय खेल दिवस (National Sports Day) के अवसर पर प्रतिष्ठित खिलाड़ियों व प्रशिक्षकों को सम्मानित किया. कोविड-19 (Covid-19) की वजह से इस वर्ष सम्मान समारोह ऑनलाइन आयोजित किया गया. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (President Ramnath Kovind) ने अवार्ड प्राप्त करने वाले खिलाड़ियों व प्रशिक्षकों को ऑनलाइन सम्मानित किया.
पूर्वी भारत के खिलाड़ियों एवं प्रशिक्षकों को सम्मानित करने के लिए कोलकाता शहर स्थित निजाम पैलेस में आयोजित समारोह में राष्ट्रपति ने टाटा तीरंदाजी अकादमी के कोच धर्मेंद्र तिवारी को द्रोणाचार्य पुरस्कार (तीरंदाजी-जीवनपर्यंत की श्रेणी) से सम्मानित किया.
इनके साथ-साथ राष्ट्रपति ने दिवंगत तैराकी कोच सचिन नाग को द्रोणाचार्य अवार्ड, बंगाल के तीरंदाज अतनु दास व ओड़िशा की एथलीट दुती चंद को अर्जुन अवार्ड से सम्मानित किया. हालांकि, दिवंगत तैराकी कोच सचिन नाग का अवार्ड कोच अशोक नाग ने ग्रहण किया.
द्रोणाचार्य अवार्ड प्राप्त करने के बाद ‘प्रभात खबर’ से बातचीत करते हुए टाटा तीरंदाजी अकादमी के कोच धर्मेंद्र तिवारी ने कहा कि देश में तीरंदाजी के क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा को बढ़ाने व प्रतिभाओं को उभारने के लिए प्रोफेशनल टीम तैयार करनी चाहिए, जिससे बच्चे व युवा इस ओर आकर्षित हो सकें.
उन्होंने कहा कि जिस प्रकार क्रिकेट के लिए आइपीएल, फुटबॉल के लिए आइएसएल, कबड्डी के लिए प्रो कबड्डी लीग व हॉकी के लिए हॉकी इंडिया लीग का आयोजन होता है, उसी तरह तीरंदाजी के क्षेत्र में भी प्रोफेशनल टीम बनाकर ऐसे लीग का आयोजन करना चाहिए.
उन्होंने कहा कि प्रत्येक टीम में पांच-छह खिलाड़ियों को शामिल किया जाये. उनका एक कोच हो, जो उन्हें प्रशिक्षित करे. कहा कि तीरंदाजी के विकास के लिए निजी कंपनियों को आगे आना चाहिए. टाटा कंपनी व सार्वजनिक क्षेत्र की सेल ने अकादमी की स्थापना की है, ऐसे ही अन्य कंपनियों को भी आगे आकर तीरंदाजी के विकास के लिए पहल करनी चाहिए.
गौरतलब है कि राष्ट्रपति ने तीरंदाजी कोच धर्मेंद्र तिवारी को द्रोणाचार्य अवार्ड प्रदान किया, तो उनके एक शिष्य अतनु दास को अर्जुन अवार्ड से नवाजा गया. इस अवसर पर श्री तिवारी ने कहा कि यह पल बहुत ही खास है, जब गुरु-शिष्य दोनों को राष्ट्रीय खेल पुरस्कार से सम्मानित किया जा रहा है. कहा कि अतनु दास उनके पांचवें छात्र हैं, जिन्हें अर्जुन अवार्ड मिला है.
गौरतलब है कि धर्मेंद्र तिवारी, टाटा आर्चरी एकेडमी से जुड़े तीसरे कोच हैं, जिन्हें द्रोणाचार्य अवार्ड प्रदान किया गया है. इससे पहले वर्ष 2007 में संजीव कुमार को तथा वर्ष 2013 में पूर्णिमा महतो को यह सम्मान मिल चुका है.
श्री तिवारी ने कहा कि भारत में प्रतिभाओं की कमी नहीं है. जरूरत है सिर्फ इसे उभारने की. देश में तीरंदाजी खेल को और विकसित करने व प्रतिभाओं की खोज के लिए प्राथमिक स्कूल से ही बच्चों को तीरंदाजी की शिक्षा दी जाये.
उन्होंने कहा कि अगर 9-10 वर्ष की आयु से ही बच्चों को तीरंदाजी का प्रशिक्षण दिया जाये, तो 18-19 की आयु तक वह एक बेहतर तीरंदाज बन जायेंगे. इसके बाद उनको स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (SAI) मे अंतर्राष्ट्रीय स्तर का प्रशिक्षण दिया जाये.
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उन्होंने कहा कि तीरंदाजी के विकास के लिए साई को विशेष एक्सलेंस सेंटर की स्थापना करनी चाहिए, जहां वर्ल्ड क्लास तकनीक व सुविधाएं उपलब्ध हों, ताकि भारतीय तीरंदाजों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर का प्रशिक्षण दिया जा सके.
Posted By : Mithilesh Jha