No Detention Policy In Education Ends Students fail in class 5th and 8th no longer promoted| जमशेदपुर-भारत सरकार ने एक बड़ा निर्णय लिया है. अब पांचवीं और आठवीं क्लास की परीक्षा में फेल होनेवाले विद्यार्थियों को अगली कक्षा में प्रमोट नहीं किया जाएगा. सरकार ने नि:शुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम-2009 में संशोधन किया है. सरकार ने ‘नो डिटेंशन पॉलिसी’ खत्म कर दी है. अब तक नि:शुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत आठवीं तक बच्चों को फेल नहीं किया जाता था. इससे संबंधित एक गजट का प्रकाशन किया गया है. इसके अनुसार सोमवार से इसे लागू कर दिया गया है. भारत सरकार की नि:शुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम-2009 में संशोधित नीति का असर केंद्रीय विद्यालयों, नवोदय विद्यालयों और सैनिक स्कूलों समेत प्राइवेट और सरकारी स्कूलों पर लागू होगा.
फेल होने पर दो माह बाद फिर देनी होगी परीक्षा
भारत सरकार द्वारा जारी गजट के अनुसार अगर कोई विद्यार्थी पांचवीं और आठवीं क्लास में फेल हो जाता है तो उसे दो माह के भीतर दोबारा परीक्षा देने का मौका दिया जाएगा. अगर किसी कारण से वह दोबारा भी फेल होता है, तो उसे प्रमोट नहीं किया जाएगा. उसे उसी क्लास में फिर से पढ़ाई करनी होगी, जिस क्लास में वह पहले से पढ़ रहा था.
आठवीं तक किसी बच्चे को स्कूल से नहीं निकाल सकेंगे
सरकार के गजट में यह प्रावधान जोड़ा गया है कि नि:शुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत कोई भी कमजोर बच्चे को किसी भी हाल में आठवीं तक स्कूल से बाहर नहीं कर सकता है. अगर कोई विद्यार्थी कमजोर है तो इस प्रकार के बच्चे की एक सूची स्कूल प्रबंधन द्वारा तैयार की जाएगी. समय-समय पर इन बच्चों की स्पेशल क्लास करवायी जाएगी. इसके साथ ही कमजोर बच्चों की अलग से मॉनिटरिंग की जाएगी. फेल होने वाले बच्चों के साथ अभिभावकों की काउंसलिंग एक्सपर्ट द्वारा करवायी जाएगी. यह व्यवस्था स्कूल प्रबंधन को करनी होगी.
नो डिटेंशन पॉलिसी यहां पहले ही हो चुकी है समाप्त
देश के 16 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों (दिल्ली और पुडुचेरी) में नो डिटेंशन पॉलिसी पहले ही समाप्त हो चुकी है. इस आदेश के लागू होने के बाद झारखंड सरकार अपने स्तर से इस फैसले पर कोई निर्णय लेगी. अब झारखंड सरकार को तय करना है कि वे इसे अमल में लाती है या नहीं, क्योंकि स्कूली शिक्षा राज्य का विषय है. यही कारण है कि राज्य इस संबंध में अपना निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र है.