Loading election data...

कोरोना से निपटने के लिए जमशेदपुर के लुपुंगडीह में सबर समुदाय के लोग खुद रखते हैं अपना ध्यान, इन्हें जागरूक करने नहीं आता कोई

Coronavirus in Jharkhand (जमशेदपुर) : जमशेदपुर शहर के लोग जहां हर तरह की स्वास्थ्य सुविधा, जानकारी मिलने के बाद भी न केवल लापरवाही बरत रहे हैं, बल्कि संक्रमित भी हो रहे हैं. लेकिन, वहीं सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में लोग कोरोना के बारे में जितना जानते हैं एक- दूसरे से सुन कर ही उन्हें जानकारी हुई है. बावजूद वह इस महामारी से बचने के लिए खुद का ध्यान रख रहे हैं और जितना जानते हैं उतने नियम का पालन भी कायदे से कर रहे हैं.

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 21, 2021 4:12 PM

Coronavirus in Jharkhand (विकास श्रीवास्तव, जमशेदपुर) : जमशेदपुर शहर के लोग जहां हर तरह की स्वास्थ्य सुविधा, जानकारी मिलने के बाद भी न केवल लापरवाही बरत रहे हैं, बल्कि संक्रमित भी हो रहे हैं. लेकिन, वहीं सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में लोग कोरोना के बारे में जितना जानते हैं एक- दूसरे से सुन कर ही उन्हें जानकारी हुई है. बावजूद वह इस महामारी से बचने के लिए खुद का ध्यान रख रहे हैं और जितना जानते हैं उतने नियम का पालन भी कायदे से कर रहे हैं.

टेल्को कॉलोनी जहां से अब तक हजारों कोरोना पॉजिटिव केस मिल चुके हैं. उससे सटी हुरलुंग पंचायत के लुपुंगडीह में सबर टोला है. सबर समाज के सबसे पिछड़े स्थान पर रहने वाली विलुप्त हो रही प्रजाति है. लेकिन, यह लोग न केवल अपने स्वास्थ्य के प्रति सजग हैं, बल्कि बीमार होने पर घबराते नहीं हैं. 15 परिवार वाले इस सबर टोला में कुल 37 सदस्य रहते हैं.

प्रभात खबर की टीम इस गांव में पहुंची, तो देखा कि बच्चे आराम से खेल रहे थे. एक मां खटिया पर बैठी अपनी एक वर्षीय कुपोषण की शिकार बच्ची को गोद में लेकर पांच साल के बेटे को पढ़ा रही थी. बीमारी से भयभीत शहर के मुकाबले यहां काफी शांति थी. कोई डर का माहौल नहीं था.

Also Read: कोरोना के थर्ड वेब को लेकर जमशेदपुर में प्रशासन सतर्क, बच्चों के लिए शहर के सभी हॉस्पिटल में 30 फीसदी बेड रिजर्व करने की जरूरत, जानें बच्चों में क्या हो सकते हैं लक्षण

यहां के लोगों से पूछने पर उन्होंने बताया कि कोरोना एक बीमारी है और यह कैसे होता है इसके बारे में सुने हैं. लेकिन, गांव में उसका प्रभाव नहीं है. टोला में रहने वाले बिराज सबर ने बताया कि उन लोगों को बाहरी (बाहर से गांव आने वाले) से डर लगता है.

लोगों ने बताया कि इस बीमारी के बारे में एक डेढ़ साल से सुन रहे हैं, लेकिन आज तक स्वास्थ्य विभाग की एक भी टीम उनके गांव में न तो जांच करने पहुंची और न ही उन्हें इस संबंध में कोई जानकारी देने पहुंची. अच्छी बात है कि सबर टोला के साथ इस लुपुंगडीह गांव में अब तक न तो कोई कोरोना से संक्रमित है और न ही किसी की ऐसी स्थिति में मौत हुई है.

सर्दी खांसी होने पर खुद कर लेते हैं उपचार

टोला के लोगों ने बताया कि सर्दी, खांसी, बुखार होने पर घरेलू उपचार करते हैं जिससे उनकी तबीयत ठीक रहती है. वे लोग पहले से इसका पालन करते हैं कि जिसे सर्दी होगा वह एक दूसरे से दूर रहेंगे.

Also Read: झारखंड के सोनू सूद ने नेपाल में फंसे राज्य के 26 मजदूरों के लिए बढ़ाये हाथ, पूर्व विधायक कुणाल के ट्वीट के बाद मदद को आगे आया भारतीय दूतावास
सबरों में दिखी सजगता

सबर कोरोना संक्रमण को लेकर सजग दिखे. प्रभात खबर की टीम से बात करने के पूर्व बिराज व उनके परिवार के सदस्य अपने मुंह को ढंकने लगे, बिराज बात करने के पूर्व घर से एक हरे रंग का मास्क निकाल कर लाये और मुंह पर लगा लिया. बात भी उन्होंने काफी दूर से ही किया. दो गज की दूरी और मास्क है जरूरी, ऐसा कोई स्लोगन सुनने की बात से उन्होंने इनकार किया. लेकिन यह बताया कि सुना हैं सांस से और छींकने से कोरोना होता है, इसिलए दूर रहना ही सही है.

Posted By : Samir Ranjan.

Next Article

Exit mobile version