राहरगोड़ा शर्मा टोली के लोग इलाके में चल रहे अलकतरा फैक्ट्री से परेशान हैं. दो वर्ष से कंपनी का संचालन हो रहा है. कंपनी परिसर में पहले वाहन के अलग-अलग पार्ट्स का निर्माण होता था. कंपनी के बंद होने के बाद परिसर में अलकतरा फैक्ट्री खोल दी गयी. लोगों का कहना है कि अलकतरा निर्माण शुरू होने के कारण पिछले दो वर्ष से रहना मुश्किल हो गया है. यहां कई परिवार वर्ष 1930 से भी पहले से रह रहे हैं.
लोगों का दावा है कि फैक्ट्री शुरू होने के बाद से सांस लेना मुश्किल हो रहा है. कंपनी से निकलने वाले धुएं के कारण लोग अलग-अलग तरह की बीमारियों से ग्रस्त हो रहे हैं. स्थानीय लोगों ने इस संबंध में क्षेत्र के मुखिया से शिकायत की. कुछ लोगों ने फैक्ट्री पर पत्थरबाजी की थी. इसके बावजूद इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुई. स्थानीय लोगों के आरोप पर कंपनी संचालक का कहना है कि कुछ लोग लेवी वसूली के लिए यह आंदोलन कर रहे हैं.
कंपनी से किसी प्रकार का कोई प्रदूषण नहीं हो रहा. इसके बावजूद कुछ महिलाएं लगातार कंपनी को बंद कराने के लिए भ्रामक शिकायतें कर रही हैं.कुछ स्थानीय लोगों ने समस्या की जानकारी प्रभात खबर को दी. बस्तीवासियों का कहना है कि रात के समय अलकतरा को गर्म कर पिघलाने और छोटे छोटे ड्रमों में भरने का काम होता है. इस दौरान काले धुएं का गुब्बार ऊपर की ओर उठता है. यह सीधे लोगों के घरों में प्रवेश करता है.इससे कई तरह की बीमारी हो रही है.
1982 से यहां रह रहे हैं. लेकिन ऐसी स्थिति कभी नहीं रही. आज बीमार हो चुकी हूं. सांस लेने में दिक्कत शुरू हो गयी. टाटा मोटर्स अस्पताल में इलाज के दौरान डॉक्टर ने बताया कि प्रदूषण में रहने की वजह से ऐसी स्थिति है. गले में भी समस्या है.
ललिता देवी, स्थानीय
वर्ष 1947 के पहले से हमारा परिवार यहां रह रहा है. बस्ती पहले बसी है. इसके बाद फैक्ट्री बनी. अब इसमें अलकतरा निर्माण शुरू कर दिया गया. कंपनी से निकलने वाले धुएं के कारण लोगों का रहना मुश्किल हो गया है. परिवार के लोग बीमार पड़ रहे हैं.
शीला देवी, स्थानीय