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सतत सकारात्मक बदलाव का नाम है प्रभात खबर

प्रभात खबर 25 वां वर्षगांठ

प्रभात खबर सिर्फ अखबार नहीं बल्कि परिवार का हिस्सा है. सोकर उठने के बाद सबसे ज्यादा अगर किसी का इंतजार रहता है, तो वह है प्रभात खबर. मेरे घर में एक रुटीन सा बना हुआ है कि अगर अखबार आता है तो प्रभात खबर पर सबसे पहला अधिकार मेरी पत्नी का रहता है. वह जब पूरा पेपर पढ़ लेती है तब मुझे पढ़ने देती है. कारण है कि वह मुझसे भी बड़ी इस अखबार की फैन है.

अगर किसी दिन किसी कारण से हॉकर अखबार नहीं पहुंचाता है तो उस दिन ऐसा लगता है कि मानो कुछ मिसिंग है. यह अखबार सतत व निरंतर सकारात्मक बदलाव का परिचायक है. मुझे अब भी अच्छे से वह पहला दिन याद है जिस दिन इस अखबार का प्रकाशन जमशेदपुर से हुआ था.

तब से लेकर आज तक प्रभात खबर ने हमेशा अपने पत्रकारीय दायित्व का निर्वहन पूरी जिम्मेदारी पूर्वक किया है. मैं 40 साल से पठन-पाठन के क्षेत्र से जुड़ा हुआ हूं. शिक्षा से जुड़ाव अधिक है. इसलिए शिक्षा की खबरों पर ज्यादा ध्यान देता हूं.

शिक्षा के लिए प्रभात खबर में पूरा एक पेज दिया जाता है जो काफी अच्छी बात है. इससे भावी पीढ़ी का उत्साहवर्द्धन होता है. क्योंकि मेरा मानना है कि देश व समाज का अगर उत्थान करना है तो वह बगैर शिक्षा के संभव नहीं है. पिछले 25 वर्षों में हर क्षेत्र में बदलाव आया है. पत्र-पत्रकारिता व टीवी चैनलों में भी बदलाव आये हैं. लेकिन अगर किसी में बदलाव नहीं आया तो वह है प्रभात खबर का समाज के प्रति कमिटमेंट, या फिर इसे सामाजिक जिम्मेवारी कह लें. रही बात जमशेदपुर में पिछले 25 सालों में आये बदलाव की तो इस शहर ने काफी तरक्की की है.

जमशेदपुर में एक समय था जब कुछेक स्कूल हुआ करते थे, कॉलेज भी सीमित थे. लेकिन पिछले 25 सालों में जमशेदपुर को ना सिर्फ अच्छे स्कूल व कॉलेज मिले हैं बल्कि अच्छे यूनिवर्सिटी भी मिले हैं. जहां भविष्य गढ़े जा रहे हैं. एक जमाना था जब शिक्षण संस्थानों में बच्चों का मोबाइल नॉट अलाउड था, लेकिन कोविड के संक्रमण के दौर में मोबाइल के जरिये अॉनलाइन लर्निंग ही सहारा बन गया है. बदलाव का एक उदाहरण इससे समझा जा सकता है कि अरका जैन यूनिवर्सिटी में फाइनल सेमेस्टर के कुल 797 परीक्षार्थियों ने एक सााथ अॉनलाइन परीक्षा दी.

ये होता है साकारात्मक बदलाव, अौर इस सकारात्मक बदलाव की दिशा में प्रभात खबर एक केस स्टडी के रूप में है. प्रभात खबर का संपादकीय उन्नत क्वालिटी की होती है. मैं अपने यूनिवर्सिटी के मास कॉम के साथ ही अन्य सभी विद्यार्थियों को प्रभात खबर का संपादकीय पढ़ने को जरूर कहता हूं. क्योंकि उसके संपादकीय या फिर कई अलग-अलग मसलों पर प्रकाशित होने वाली सामग्री एक प्रकार से दस्तावेज की तरह होती है.

मेरा मानना है कि प्रभात खबर सकारात्मक चीजों को लिखने के साथ-साथ समाज का आईना भी है जो समय-समय पर प्रशासन व सरकार को भी उनकी जिम्मेवारियों का बोध कराता है. मैं 25 साल पूरे होने पर इस अखबार की पूरी टीम को बधाई देता हूं अौर ईश्वर से यह कामना करता हूं कि इसी तेवर व सकारात्मक विकास के साथ प्रभात खबर एक दिन देश का नंबर वन अखबार बने.

posted by : sameer oraon

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