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Pratibha Samman: जमशेदपुर के 900 होनहार विद्यार्थियों को प्रभात खबर ने किया सम्मानित

Pratibha Samman: टाटा वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष संजीव चौधरी ने कहा कि आज बच्चे 99 प्रतिशत से भी अधिक अंक हासिल कर रहे हैं. यह वाकई में उत्साहवर्द्धक है.

Pratibha Samman: शनिवार का दिन. स्थान था माइकल जॉन ऑडिटोरियम. मंच पर वे मौजूद थे, जिन्होंने जिंदगी में एक मुकाम हासिल कर ली है, जबकि मंच के सामने सैकड़ों वे बच्चे जिन्होंने दसवीं व बारहवीं की परीक्षा में शानदार सफलता हासिल की, लेकिन उनकी मंजिल अभी दूर है.

उस मंजिल को पाने के लिए किन-किन चुनौतियों को पार करना होगा, उससे कैसे निबटना होगा, सफलता हासिल करने की स्ट्रेटजी क्या हो, ये तमाम बातें देश के भावी कर्णधारों को सिखायी गयी. मौका था प्रभात खबर की ओर से आयोजित प्रतिभा सम्मान समारोह का. इस अवसर पर झारखंड एकेडमिक काउंसिल (JAC) की ओर से आयोजित मैट्रिक, इंटर के साथ ही आइसीएसइ, आइएससी, सीबीएसइ बोर्ड के दसवीं व बारहवीं के 900 मेधावी विद्यार्थियों को सम्मानित किया गया. पहले सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में उप विकास आयुक्त मनीष कुमार जबकि विशिष्ट अतिथि के रूप में धालभूम एसडीओ पारुल सिंह व टाटा वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष संजीव चौधरी मौजूद थे.

मुझे भी मिला था प्रभात खबर का प्रतिभा सम्मान : डीडीसी

मुख्य अतिथि के रूप में डीडीसी मनीष कुमार ने कहा कि आज वे जो कुछ भी हैं उसमें उनके गुरुजनों के साथ ही मम्मी का बहुत योगदान है. उन्होंने विद्यार्थियों के मोटिवेशन के लिए प्रभात खबर द्वारा किए जाने वाले प्रयासों की सराहना की. कहा कि 17 साल पहले उन्हें भी यह सम्मान प्रभात खबर की ओर से मिला था. वह साल था 2007 का. उस वक्त वे रांची में डीएवी पब्लिक स्कूल में दसवीं के स्टूडेंट थे.

अमूमन मां घर से निकलती नहीं थी, लेकिन मेरी मेहनत को सम्मान मिलता हुआ वह देखना चाहती थी. कार्यक्रम 11 बजे के बजाय चार बजे हो गया. घर से नहीं निकलने वाली मम्मी सिर्फ मेरे मोटिवेशन के लिए दो-दो बार कार्यक्रम में गयी. इस प्रकार के कार्यक्रम से सही मायने में माता-पिता को ही सम्मान मिलता है. कहा कि कई बार लोग कहेंगे कि 10वीं- 12 वीं के अंक महत्व नहीं रखते हैं. लेकिन ऐसी बात नहीं है, हर क्लास के अंक महत्वपूर्ण होते हैं. कहा कि कोई भी रिजल्ट विद्यार्थी के हार्ड वर्क का मुहर होता है.

डीडीसी मनीष कुमार के टिप्स

  • पैरेंट्स अपनी इच्छा विद्यार्थियों पर नहीं थोपें, विद्यार्थियों को विषय चयन व करियर बनाने में आजादी देनी चाहिए.
  • पढ़ते-पढ़ते हमारा दिमाग फिक्सेट हो जाता है. हम एक ही प्रकार से चीजों को सोचने लगते हैं, लेकिन इससे बचने की आवश्यकता है.
  • लोग अनाथ आश्रम में अपने जन्मदिन मनाने जाते हैं, यह अच्छी बात है लेकिन अगर वास्तव में आप कुछ अच्छा करना चाहते हैं तो अनाथ आश्रम जाकर वहां रहने वाले बच्चों का कभी जन्मदिन मनाइये.
  • स्टूडेंट के सफलता का एक ही मंत्र है हार्ड वर्क, हार्ड वर्क, हार्ड वर्क
  • जब भी आप कभी असफल हो जाएं तो निराश नहीं हों. माही द अनटोल्ड स्टोरी फिल्म से सीखें. उसमें जब महेंद्र सिंह धोनी का टीम में सेलेक्शन नही होता है तो वह बालूशाही व समोसा का पार्टी देता है, कहता है कि युवराज सिंह शायद उससे अच्छा होगा, उसकी मेहनत में कहीं कोई कमी हो गयी होगी. दोबारा मेहनत करेंगे, और वह कुछ दिनों के बाद वह सफल होते हैं.
  • दूसरों की सुनने के बजाए अपने दिल की सुनें और पूरी ईमानदारी से मेहनत करें.
  • पैरेंट्स, टीचर, माता-पिता और आप खुद. ये चार लोग ही होते हैं जो हमेशा अच्छे फीडबैक देते हैं.
  • आप जो कुछ भी कर रहे होते हैं तो ऐसा बिल्कुल मत समझें कि कोई नहीं देख रहा है, कोई न कोई जरूर देख रहा होता है.
  • अपने देश, भाषा, संस्कृति पर अगर आप गर्व ही नहीं कर पाते हैं तो फिर सारी पढ़ाई बेकार है.
  • भले इंजीनियर या डॉक्टर नहीं बनें, लेकिन एक अच्छे इंसान जरूर बन जाएं.

हमारे जमाने में पिटाई भी खूब होती थी, फिर भी डिप्रेशन दूर-दूर तक नहीं था : एसडीओ

मौके पर धालभूम एसडीओ पारुल सिंह ने सभी को संबोधित करते हुए कहा कि आज के दौर में बच्चों से अक्सर यह सुनने को मिलता है कि वे डिप्रेशन में हैं, एंजाइटी के शिकार हैं. लेकिन एक वह दौर था जब स्कूल में टीचर तो पिटाई करते ही थी, घर आने पर माता-पिता भी पीटते थे. कभी कोई टीचर के खिलाफ शिकायत नहीं करता था. लेकिन आज टीचर भी नहीं पीटते हैं, माता-पिता भी बच्चों की पिटाई नहीं करते हैं, लेकिन इसके बाद भी अगर युवा डिप्रेशन और एंजाइटी के शिकार हो रहे हैं तो यह चिंतनीय है. विद्यार्थियों में धैर्य की कमी हो गयी है.

उन्होंने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि अगर लगन हो तो वे किसी भी मुकाम तक जा सकते हैं. एक उदाहरण प्रस्तुत करते हुए उन्होंने अपने जीवन की एक घटना का जिक्र करते हुए कहा कि एक छात्रा जब एमबीबीएस क्लीयर नहीं कर पायी तो उसके माता-पिता ने कहा कि उसकी शादी कर दी जाएगी, इसके लिए वे छात्रा की काउंसिलिंग कर दें. लेकिन जब छात्रा से बात की गयी तो उसने बताया कि वह एमबीबीएस ही करना चाहती है. लेकिन शायद अब वह कर नहीं पाएगी क्योंकि वह उसके बस की बात नहीं.

इस पर उन्होंने छात्रा को समझाया और कहा कि समाज के ताने को भूल कर किसी को नहीं बताएं कि वह किसी चीज की तैयारी कर रही हैं. दरवाजा बंद करके खूब पढ़ाई करें. दो साल के बाद छात्रा ने एमबीबीएस की प्रवेश परीक्षा पास कर लिया. उसके माता-पिता को भी यह जानकारी नहीं थी. छुप कर पढ़ाई करने के बाद जब वह पास हो गयी तो उसके उसी माता-पिता को अब उस पर गर्व महसूस हो रहा. श्रीमती सिंह ने बच्चों को जीवन में हर मंजिल को पाने के लिए खूब लगन के साथ मेहनत करने की बात कही.

लीडरशिप सीखनी है तो बाबा भोले नाथ से सीखें : संजीव चौधरी

विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए टाटा वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष संजीव चौधरी ने कहा कि आज के दौर में बच्चे 99 प्रतिशत से भी अधिक अंक हासिल कर रहे हैं. जिस प्रकार से उनके अंक आ रहे हैं, यह वाकई में उत्साहवर्द्धक है. लेकिन, वहीं दूसरी तरफ यह भी खबरें आती है कि देश में इंजीनियरिंग करने वाले बेरोजगार हो गये. कई की प्लेसमेंट में बाद भी नौकरी चली गयी.

इसका अर्थ यह हुआ कि कहीं ना कहीं कुछ मिसिंग है. यानी आप जो पढ़ाई कर रहे हैं उसे अप्लाई नहीं कर पा रहे हैं. संजीव चौधरी ने विद्यार्थियों को आह्वान किया कि वे जिस क्षेत्र में भी रहें वहां बेस्ट परफॉर्म करें. साथ ही खुद में लीडरशिप का भाव पैदा करें. एक उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि भोले बाला के सिर पर गंगा है, वहीं उनके मस्तक पर चंद्रमा है, ज्वाला है, सांप है यानी सब कुछ एक-दूसरे से विपरीत है. लेकिन सभी के साथ संतुलन बनाते हुए भगवान भोलेनाथ सबका कल्याण कर रहे हैं. यही है वास्तव में लीडरशिप.

डिस्ट्रैक्शन के दौर में भी फोकस बनाए रखें : संजय मिश्र

समारोह के दौरान स्वागत भाषण देते हुए प्रभात खबर के स्थानीय संपादक संजय मिश्र ने सभी विद्यार्थियों का स्वागत करते हुए कहा कि यह दौर पूर्व की तुलना में काफी चुनौतीपूर्ण है. कारण है कि अब सूचना क्रांति का जमाना है. गैजेंट्स लाइफ स्टाइल का एक महत्वपूर्ण संसाधन हो गया है, जिससे काफी अधिक डिस्ट्रैक्शन होता है. लेकिन, तमाम डिस्ट्रैक्शन के बावजूद अगर शहर के विद्यार्थी लगातार अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं. यह काबिले तारीफ है. उन्होंने सभी विद्यार्थियों की हौसला आफजाई की.

सफलता उन्हीं के कदम चूमती है, जो अपने लक्ष्यों के प्रति समर्पित होते हैं : ममता प्रियदर्शी

हमारी जीवन यात्रा में सफलता की प्राप्ति के लिए कड़ी मेहनत का महत्व अत्यधिक है. जिला वन पदाधिकारी ममता प्रियदर्शी ने द्वितीय सत्र में इसी सत्य को स्पष्ट किया. प्रभात खबर सम्मान समारोह के द्वितीय सत्र में जिला वन पदाधिकारी-ममता प्रियदर्शी बतौर मुख्य अतिथि मौजूद थीं. उन्होंने कहा कि जो कड़ी मेहनत करेगा, उसे सफलता जरूर मिलेगी. सफलता के लिए कोई शॉर्टकर्ट तरीका नहीं होता. दृढ़ संकल्प और सजगता के साथ मेहनत करना ही सफलता की कुंजी है. सफलता का कोई आसान रास्ता नहीं होता.

यदि हम चाहते हैं कि हमारे सपने साकार हों, तो हमें मेहनत के पथ पर ही चलना होगा. जीवन में हर कोई सफल होना चाहता है, लेकिन सफलता उन्हीं के कदम चूमती है, जो अपने लक्ष्यों के प्रति समर्पित होते हैं. जब हम अपने सपनों की ओर मेहनत से कदम बढ़ाते हैं, तो कोई भी बाधा हमें रोक नहीं सकती. उन्होंने छात्रों से कहा कि समय का सदुपयोग करना अत्यंत आवश्यक है. समय एक अनमोल संसाधन है, जो एक बार गुजर जाने के बाद वापस नहीं आता.

यदि हम अपने समय का सही प्रबंधन और अनुशासन के साथ मेहनत करेंगे तो अपनी मंजिल को आसानी से हासिल कर सकते हैं. मेहनत का फल हमेशा मीठा होता है. यह जरूरी नहीं कि हर प्रयास तुरंत परिणाम लाए, लेकिन निरंतर प्रयास और धैर्य के साथ की गई मेहनत अवश्य रंग लाती है. सफलता के मार्ग में कठिनाइयां आ सकती हैं, लेकिन हमें उनसे घबराना नहीं चाहिए. मेहनत से हमें आत्मविश्वास मिलता है और हमारे भीतर की संभावनाओं को उजागर करता है. द्वितीय सत्र में बारहवीं के छात्र-छात्राओं को प्रशस्ति पत्र व मेडल देकर सम्मानित किया गया.

छात्रों के सवालों का जवाब दिया व उन्हें मोटिवेट किया

ममता प्रियदर्शी ने छात्रों द्वारा पूछे गये कई सवालों का जवाब दिया और उनकी जिज्ञासा को शांत किया. उन्होंने छात्रा को मोटिवेट करते हुए कहा कि जीवन में सफल होने के लिए मेहनत के अलावा कोई विकल्प नहीं है. हमें अपने लक्ष्यों के प्रति सजग और समर्पित रहना होगा. मेहनत और धैर्य से ही हम अपनी मंजिल तक पहुंचा सकता है. इसलिए हमें अपने जीवन में मेहनत और समय प्रबंधन को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी चाहिए. सफलता का स्वाद चखने के लिए हमें अपने प्रयासों में निरंतरता और दृढ़ संकल्प बनाए रखना होगा.

समाज को रिटर्न देने की कोशिश अवश्य करें : सतीश कुमार सिंह

टाटा वर्कर्स यूनियन के महासचिव सतीश कुमार सिंह ने द्वितीय सत्र में छात्रों को प्रेरित करते हुए कहा कि सफलता की ऊंचाइयों को छूने के बावजूद हमें अपनी मौलिक पहचान को नहीं भूलना चाहिए. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि किसी भी व्यक्ति की सफलता में उसके परिवार के साथ-साथ समाज का भी महत्वपूर्ण योगदान होता है. इसलिए, हमें समाज को रिटर्न देने की कोशिश अवश्य करनी चाहिए.उन्होंने छात्रों से कहा कि वे अपने शारीरिक स्वास्थ्य पर ध्यान दें. स्वास्थ्य ही हमारे जीवन की सबसे बड़ी संपत्ति है. जब हम शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ होते हैं, तो हम किसी भी चुनौती का सामना करने में सक्षम होते हैं. उन्होंने छात्रों को खूब मेहनत करने की सलाह दी.

इन स्पांसरों को किया गया सम्मानित

  • मनीष दुबे, अमेटी यूनिवर्सिटी
  • रवि शंकर राय, इक्फाइ ग्रुप
  • सुषमा, उषा मार्टिन यूनिवर्सिटी
  • अभिषेक कुमार, गोल एजुकेशन सर्विसेस प्रा. लि.
  • विवेक झा, श्रीनाथ यूनिवर्सिटी
  • मनीष सिंह, बंसल क्लासेस प्राइवेट लिमिटेड
  • आदित्य कुमार, अरका जैन यूनिवर्सिटी
  • कृष्णा, सचिन, प्रभात रंजन – मिटजी
  • डॉ निधि श्रीवास्तव, विवेकानंद इंटरनेशनल स्कूल
  • सुबोदीप पान, चाईबासा इंजीनियरिंग कॉलेज
  • सौरभ कुमार पाणी, पूजा स्वीट्स एंड नमकीन

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