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राम भरोसे जंगल, एक डीएफओ को चार प्रभार

झारखंड जल, जंगल, जमीन के लिए जाना जाता है. इसी के इर्द गिर्द यहां की राजनीति चलती है. लेकिन हकीकत इसके उलट है. जंगल की देखरेख करने पर सरकारों का कोई ध्यान नहीं रहा है.

वन रक्षियों की भी भारी कमी, कैसे संभलेंगे हाथी और कैसे बचेगा जंगल

1000 वर्ग किलोमीटर के जंगल को बचाने और जानवरों की देखरेख के लिए 69 वनरक्षी

जमशेदपुर :

झारखंड जल, जंगल, जमीन के लिए जाना जाता है. इसी के इर्द गिर्द यहां की राजनीति चलती है. लेकिन हकीकत इसके उलट है. जंगल की देखरेख करने पर सरकारों का कोई ध्यान नहीं रहा है. जमशेदपुर वन क्षेत्र 890 वर्ग किलोमीटर का है. इसमें 13 एलीफेंट कॉरिडोर भी हैं और मानव की कॉलोनियां भी है. लिहाजा, इतने बड़े एरिया की देखरेख के लिए और आपात स्थिति से निपटने को लेकर वन विभाग के पास पर्याप्त मैनपावर नहीं है. यहां 8 रेंज ऑफिसर का पद है, जिसमें 6 खाली हैं, जबकि एसीएफ का दो पद है, दोनों खाली है. इसके अलावा 145 की जगह मात्र 69 वनरक्षी कार्यरत हैं. एक डीएफओ को चार प्रभार सौंपा गया है. डीएफओ के तौर पर सबा आलम अंसारी की पोस्टिंग जमशेदपुर डिवीजन में की गयी है. लेकिन उनको तीन अतिरिक्त प्रभार दिया गया है. दलमा वन क्षेत्र के डीएफओ का प्रभार भी उनके पास ही है. इसी तरह चाईबासा का वन संरक्षक (सीएफ) का भी अतिरिक्त प्रभार सबा आलम अंसारी को ही दिया गया है. उनके पास हजारीबाग का वन उत्पाद विक्रय कमेटी के जीएम का भी प्रभार है.

वहीं दलमा वन क्षेत्र का दायरा करीब 194 वर्ग किलोमीटर है. वहां भी दो रेंज है. लेकिन हर जगह करीब 50 फीसदी कर्मियों की कमी है. कुल मिलाकर राम भरोसे पूरा विभाग चल रहा है.

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