झारखंड के इस गांव में है 225 साल पुराना राम मंदिर, यहां भी भव्य होगा दीपोत्सव

रघुनाथ मंदिर में राम, सीता, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न व हनुमान की अष्टधातु निर्मित प्रतिमा स्थापित है. हर दिन दो पुजारी पूजा-अर्चना करते हैं. चांदी के बर्तन (थाली, कटोरी, ग्लास, चम्मच ) में भोग लगाया जाता है.

By Prabhat Khabar News Desk | January 17, 2024 4:57 PM

Chaibasa News: अयोध्या (उत्तर प्रदेश) में आगामी 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा है. इसे लेकर देशभर में उत्सव का माहौल है. चाईबासा भी इस पावन उत्सव से वंचित नहीं है. कोल्हान के राम मंदिरों में विशेष उत्सव की तैयारी चल रही है. चाईबासा से सटे कुजू नदी तट पर ईचा गांव में करीब 225 वर्ष पुराने रघुनाथ मंदिर में 22 जनवरी को राजघराने मंदिर कमेटी की ओर से फूलों से सजाकर 101 दीये जलाकर दीपोत्सव मनाया जायेगा. वहीं, कलश पूजा करायी जायेगी. इसके पूर्व सुबह में 140 बाइक से राजनगर तक उत्सव जुलूस निकाला जायेगा. इस जुलूस में चाईबासा से 60, कुजू से 30 व ईचा से 50 बाइकें शामिल होंगी. जुलूस की शक्ल में ईचा और राजनगर के बीच विभिन्न गांवों का भ्रमण किया जायेगा. राम मंदिर में दर्शन के लिये पहुंचने वाले करीब 700- 800 श्रद्धालुओं के बीच पूड़ी- सब्जी और बुंदिया परोसा जायेगा.

खासियत

रघुनाथ मंदिर में राम, सीता, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न व हनुमान की अष्टधातु निर्मित प्रतिमा स्थापित है. हर दिन दो पुजारी पूजा-अर्चना करते हैं. चांदी के बर्तन (थाली, कटोरी, ग्लास, चम्मच ) में भोग लगाया जाता है. इस रघुनाथ मंदिर के पास शिव मंदिर और राजघराने की इष्ट देवी मां पाउड़ी की भी मंदिर है, यहां रोजाना पूजा होती है. मा पाउड़ी को पूजा में दाल- भात का भोग भी लगाया जाता है.

यह भी जानें

मंदिर का निर्माण करीब 225 वर्ष पूर्व ईचा के तत्कालीन राजा गंगाराम सिंहदेव ने कराया था. वे प्रभु राम के भक्त थे. सुर्खी व चूना से बने मंदिर के लिए तत्कालीन राजा ने मुख्य कारीगर खुदाबख्श को ओडिशा से बुलाया था. मंदिर की नक्काशी व बनावट देखते ही बनती है. यह मंदिर सिर्फ ईचा ही नहीं, बल्कि आसपास के गांव के लोगों के लिए आस्था का केंद्र है. गांव में दुर्गा पूजनोत्सव पर चाईबासा व राजनगर से लोग यहां पहुंचते हैं.

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मंदिर का निर्माण करीब 225 वर्ष पहले

ईचा के राजेश्वर सिंहदेव ने बताया कि, रघुनाथ मंदिर का निर्माण करीब 225 वर्ष पहले राजा गंगाराम ने कराया था. मंदिर के निर्माण के लिए तत्कालीन राज ने खजाना खोल दिया था. यहां हर दिन पूजा- अर्चना होती है. प्रारंभ में रघुनाथ मंदिर में राम, सीता, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न की पूजा होती थी. छह थाली का भोग लगता था. सन 1980 में राज परिवार के सदस्य रोमी सिंहदेव ने हनुमान की प्रतिमा स्थापित कर पूजा- अर्चना शुरू करायी. अब सात थाली का भोग लगता है. वहीं, आगे बताते हुए पुरोहित भिखारी चरण कर ने बताया कि, इस मंदिर में मेरे दादा-परदादा ने पूजा करायी है. उनके बाद मैं 60 साल से पूजा कर रहा हूं. इस मंदिर में पूजा करने वालों की मनोकामना पूरी होती है. इस मंदिर में 200 वर्षों से अन्नभोग लगता है. खासकर रामनवमी में मंदिर में भक्तों का तांता लगता है.

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