1000 तुलसी के पत्ते से होगा रामलला का शृंगार, जलेंगे 5000 दीये, जानें बिष्टुपुर श्रीराम मंदिर का इतिहास
अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर आंध्र भक्त श्रीराम मंदिर बिष्टुपुर में अभी से उत्साह दिखने लगा है. मंदिर में 22 जनवरी की सुबह भगवान राम और माता जानकी का 1000 तुलसी के पत्ते से अभिषेक होगा. इस मंदिर का इतिहास काफी पुराना है. वहीं इसकी खासियत भी अलग है.
Jamshedpur News: अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर जमशेदपुर में अभी से उत्साह दिखने लगा है. आंध्र भक्त श्रीराम मंदिर बिष्टुपुर में 22 जनवरी की सुबह भगवान राम और माता जानकी का 1000 तुलसी के पत्ते से अभिषेक होगा. संध्याकाल में महिलाओं द्वारा कोलाटम (स्टिक डांस) किया जायेगा. इसके बाद पांच हजार दीये जला कर दीपोत्सव मनेगा. अयोध्या की प्राण प्रतिष्ठा को देखने के लिए मंदिर में एलइडी स्क्रीन लगाने की भी तैयारी है.
मंदिर की खासियत
मंदिर में भगवान राम, माता जानकी व लक्ष्मणजी की मूर्ति है. भगवान के चरणों में हनुमानलला विराजमान हैं. मंदिर में लेडी गांधी मेमोरियल होम्योपैथिक सेंटर का संचालन होता है. जहां मुफ्त में इलाज होता है. राम मंदिर मिडिल स्कूल संचालित होता है. तिरुपति दर्शन के लिए एक ई -दर्शन काउंटर भी है.
मंदिर का इतिहास
श्रीराम मंदिर की शुरुआत वर्ष 1919 में हुई. उस समय झोपड़ीनुमा मंडप में नरसिंहा दास, इ बुच्ची सूबेदार, दामोदर लक्ष्मण दास, गोरले नारायण स्वामी मंडली के रूप में भगवान राम व अन्य देवी-देवताओं के भजन कीर्तन किया करते थे. वर्ष 1922 में मंडप में आग लग गयी. तब टिस्को मैनेजमेंट से भजन-कीर्तन के लिए 120 गुणा 120 वर्ग फीट की जगह दी गयी. वर्ष 1929 में 120 गुणा 180 वर्गफीट जमीन मिली. बीआरएल पंतलु ने मंदिर की बुनियाद रखी.
अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को देखते हुए मंदिर में 125 किलोग्राम के घंटे को पुनर्स्थापित किया जा रहा है. जिसे मकर संक्रांति से पहले लगा दिया जायेगा.
दुर्गा प्रसाद, महासचिव
रामनवमी के समय प्रत्येक वर्ष सीताराम-कल्याणम का आयोजन होता है. जिसमें स्थानीय के साथ-साथ आंध्र प्रदेश के पंडित भी शामिल होते हैं.
केशवाचार्लु, पुरोहित
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