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रतन टाटा के कहने पर ही खिलाड़ियों के उपर से खलासी व मजदूर का टैग हटा था

RATAN TATA: टाटा स्टील खेल विभाग के सहायक मैनेजर व अंतरराष्ट्रीय हैंडबॉल कोच हसन इमाम मलिक ने रतन टाटा से जुड़ी एक दिलचस्प किस्सा साझा किया.

निसार, जमशेदपुर. टाटा स्टील खेल विभाग के सहायक मैनेजर व अंतरराष्ट्रीय हैंडबॉल कोच हसन इमाम मलिक ने रतन टाटा से जुड़ी एक दिलचस्प किस्सा साझा किया. उनके बारे उन्होंने कहा कि वह हर कर्मचारी की बात को सुनते थे. उन्होंने बताया कि टाटा स्टील में कई राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ियों की नियुक्ति खलासी या मजदूर कोटे में होती थी. 1997 तक इन राष्ट्रीय खिलाड़ियों को को खलासी या मजदूर के टैग के साथ रहना पड़ता है. लेकिन 1997 में जब जेआरडी टाटा स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में नये कांफ्रेंस हॉल का उद्घाटन हुआ. उस उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि रतन टाटा थे. उन्होंने उद्घाटन से पूर्व शीर्ष अधिकारियों को कहा कि वह टाटा स्टील में कार्यरत राष्ट्रीय खिलाड़ियों से मुलाकात करना चाहते हैं. उन्होंने गर्मजोशी के साथ सभी राष्ट्रीय खिलाड़ियों से मुलाकात की. इस दौरान उन्होंने मेरे कोर्ट में ओलिंपिक से संबंधित एक बैज को देखकर काफी प्रभावित हुए. इसके बाद जेआरडी स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में सभी नेशनल खिलाड़ियों को उनसे रू-ब-रू होने का मौका मिला. जब मेरी बारी आयी तो, मैंने उनसे कहा कि टाटा स्टील राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ियों को हर सुविधा देती है. लेकिन खिलाड़ियों के साथ खलासी या मजदूर का टैग अच्छा नहीं लगता. इस बात को सुनकर तुरंत उन्होंने तत्कालीन एमडी जेजे इरानी से कान में कुछ कहा. उसके एक महीने के बाद एक विभागीय सर्कुलर जारी हुआ. जिसमें यह उल्लेख था कि कोई भी खिलाड़ी केवल स्पोर्ट्स पर्सन रहेगा. वह खलासी या मजदूर नहीं रहेगा. यह खबर टिस्को समाचार में भी प्रकाशित हुआ था.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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