जमशेदपुर : झारखंड लोक सेवा आयोग द्वारा जारी किये गये छठी सिविल सेवा परीक्षा के रिजल्ट में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की बात सामने आ रही है. यही कारण है कि सरकार के स्तर पर नये सिरे से जांच की जायेगी. इसके लिए जल्द ही एक कमेटी बनेगी. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन इस मुद्दे को लेकर गंभीर हैं. ये बातें शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने जमशेदपुर में जिला शिक्षा विभाग के अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक करने के बाद कही. साथ ही शिक्षा मंत्री ने कहा कि प्राइवेट स्कूल प्रबंधकों को हर हाल में बच्चों की तीन माह की फीस माफ करनी होगी. वे बहानेबाजी कर इससे बच नहीं सकते हैं. छठी जेपीएससी में पास को फेल, तो फेल को पास कर दिया गया है : शिक्षा मंक्षी ने कहा कि छठी जेपीएससी में पास को फेल, तो फेल को पास कर दिया गया है. कट अॉफ मार्क्स में भी गड़बड़ी की शिकायत है.
किसी परीक्षा को लेकर जब युवाअों में इतने बड़े पैमाने पर संदेह पैदा हो, तो लाजिमी है कि संदेह को दूर किया जाये. मामले की जांच के लिए जल्द ही हाइ लेवल कमेटी गठित की जायेगी. उन्होंने कहा कि युवाअों को इस मामले में कोर्ट जाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी. सरकार खुद पूरे मामले की जांच करेगी. ज्ञात हो कि छठी जेपीएससी के फाइनल रिजल्ट को लेकर परीक्षार्थियों में काफी आक्रोश है. जेपीएससी में नियम था कि पेपर एक की परीक्षा क्वालिफाइंग होगी और पेपर 100 अंकों का होगा, इसमें दो खंड होंगे. 50 अंक हिंदी, जबकि अंग्रेजी के 50 अंक होंगे. इसमें 30 अंक लाना अनिवार्य होगा, लेकिन जेपीएससी पर इस शर्त के उल्लंघन का आरोप लगाया जा रहा है. इन बिंदुअों पर जताया जा रहा है संदेह फाइनल रिजल्ट जारी करने में जनरल केटेगरी का कटऑफ 600 तय किया गया था.
एसटी/एससी/बीसी-1/बीसी-2 के कई छात्र फाइनल मेरिट लिस्ट में 600 से अधिक अंक लाकर जेनरल केटेगरी में चयनित हुए, लेकिन उनकी प्राथमिकता वाले सेवा चुनाव को दरकिनार कर नियम के विरुद्ध मेरिट लिस्ट तैयार की गयी. एक ही केटेगरी में कम अंक हासिल करनेवाले उम्मीदवार का चयन प्रशासनिक सेवा में हो गया, जबकि दूसरे का नहीं. बीसी-3 केटेगरी में अंतिम रूप से चयनित ऐसे उम्मीदवार जिनका चयन जनरल केटेगरी में प्रशासनिक सेवा या पुलिस सेवा में होना था, उक्त दोनों ही केटेगरी में उनका चयन नहीं किया जा सका. साथ ही आयोग की अोर से फाइनल मेरिट लिस्ट न ही मार्क्सवाइज और न ही सेवा के अनुसार कट ऑफ मार्क्स जारी किया है. उक्त मुद्दे को लेकर विधायक दशरथ गागराई ने बिंदुवार सीएम को पत्र लिख आपत्ति जतायी है.
अॉनलाइन क्लास सिर्फ दिखावा शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो ने कहा कि पूरी दुनिया अभी कोरोना से लड़ रही है. राज्य में लॉकडाउन है. इस बीच प्राइवेट स्कूल प्रबंधक अगर मुनाफा कमाने की बात करते हैं, तो यह अमानवीय है. जब लॉकडाउन अवधि में स्कूल बंद है, बसें नहीं चल रही हैं, तो फिर फीस क्यों दी जाये? कई स्कूल प्रबंधकों की अोर से दलील दी जा रही है कि वे बच्चों को अॉनलाइन क्लास करा रहे हैं, लेकिन यह सिर्फ दिखावा है. री-एडमिशन पर रोक लगी, तो उसका नाम बदल कर एनुअल चार्ज या डेवलपमेंट फंड कर दिया गया है.
सरकार के संज्ञान में ये सारी बातें है. सरकार के स्तर पर एक कमेटी की गठित की गयी है, जो फीस माफी के मामले में जल्द ही आदेश जारी करेगी. अगर किसी भी प्राइवेट स्कूल प्रबंधक द्वारा झारखंड एजुकेशन ट्रिब्युनल की अोर से बढ़ोतरी या फिर अन्य तय मानक का उल्लंघन किया जाता है, तो कड़ी कार्रवाई की जायेगी.