9 मई को मनाया जाएगा सेंदरा पर्व, 10,000 से अधिक लोग होंगे शामिल, जानें जानें इसका महत्व
दलमा बुरू सेंदरा समिति ने सेंदरा पर्व नौ मई को मनाने की घोषणा की है. कोरोना के कारण दो साल से सेंदरा का आयोेजन नहीं होने नहीं हो रहा था, लेकिन इस बार इसका आयोजन होने से लोग उत्साहित हैं
जमशेदपुर: दलमा बुरू सेंदरा समिति ने सेंदरा पर्व की तिथि नौ मई घोषित कर दी है. दलमा राजा राकेश हेंब्रम ने शुक्रवार को गदड़ा गांव के पैतृक आवास में 12 मौजा के प्रमुख लोगों के साथ बैठक करने के बाद सेंदरा पर्व के लिए तिथि का एलान किया.
कोरोना के कारण दो साल से सेंदरा का आयोेजन नहीं होने नहीं हो रहा था, लेकिन इस बार होने से लोग उत्साहित हैं. दलमा राजा ने कहा कि सेंदरा वीर सात मई को अपने-अपने घरों से दिन में निकल जायेंगे. सात की रात दलमा पहाड़ के तलहट्टी में बने धार्मिक स्थल पर रुकेंगे. पहले दिन साधरण पूजा होगी.
दूसरे दिन आठ मई को विशेष पूजा होगी, जिसमें छोटे जानवरों की बलि दी जायेगी. वहां प्रसाद भी बनेगा, जिसे सभी ग्रहण करेंगे. इसके बाद रात को विश्राम करने के बाद नौ मई को सभी सुबह चार-पांच बजे से दलमा पहाड़ पर चढ़ना शुरू करेंगे.
सेंदरा पर्व के मौके पर दलमा वन्य प्राणी आश्रयणी में झारखंड, ओडिशा और पश्चिम बंगाल के सीमावर्ती इलाके के आदिवासी और मूलवासी जंगली जानवरों का शिकार करेंगे. दलमा बुरू सेंदरा समिति के प्रमुख सह दलमा राजा के नाम से जनजातीय समुदाय में पहचान रखने वाले राकेश हेंब्रम ने 12 मौजा के प्रतिनिधियों के साथ सेंदरा पर्व से संबंधित सारे पहलुओं पर विचार-विमर्श किया.
गदड़ा में परंपरागत तरीके से दलमा माई, वन देवता, ग्राम देवता और ईष्ट देवता की पूजा-अर्चना की गयी. पूजा में दलमा राजा की पत्नी, दलमा बुरू सेंदरा समिति के जेना जामुदा, बेंडो बरजो, सुकरा बरजो, लिटा बानसिंह, धानो मार्डी, भगत मुर्मू, सुशील मुर्मू उपस्थित थे. बैठक में वन विभाग के दलमा रेंज के डीएफओ अभिषेक कुमार और रेंजर दिनेश चंद्रा भी मौजूद थे. उन्होंने समिति के लोगों से जानवरों का शिकार नहीं करने की अपील की. बैठक में हलुदबनी, करनडीह, नांदुप, तालसा, गदड़ा, खैरबनी, आसनबनी, खकड़ीपाड़ा, बारीगोड़ा, राहरगोड़ा, छोलागोड़ा, हरहरगुट्टू समेत कई इलाके से आदिवासी और मूलवासी पहुंचे.
शिकार के लिए पांच राज्यों में भेजा जायेगा गिरा तोल
आदिवासियों के शिकार पर्व को गिरा तोल, गिरा सिकम (निमंत्रण पत्र) सेंदरा वीरों को प्रदान किया गया. गिरा सिकम झारखंड, बिहार, बंगाल, ओडिशा व असम ले जायेंगे. दलमा राजा राकेश हेंब्रम ने बताया कि दो साल से सेंदरा नहीं होने के कारण लोगों में काफी उत्साह है. इस बार दूर-दराज से 10 हजार से अधिक सेंदरा वीर शिकार करने दलमा आयेंगे. वन विभाग के लोग सेंदरा वीरों को जंगल में जाने से रोकते हैं, ऐसा नहीं होना चाहिए.
सेंदरा वीर हर दिन एक गिरा सिकम खोलेंगे
दलमा राजा ने बताया कि सेंदरा वीर प्रतिदिन स्नान कर गिरा तोल की पूजा करेंगे. इसके बाद गिरा सिकम की एक गांठ खोलेंगे. इस तरह जिस दिन अंतिम गांठ खुलेगा सभी सेंदरा वीर दलमा की ओर कूच कर जायेंगे. दलमा की तराई फलदाेगोड़ा में पूजा-अर्चना के साथ सिंगराई नृत्य का आयोजन किया जाता है. इसके बाद सेंदरा वीर सुबह शिकार के लिए दलमा की ओर कूच कर जाते हैं.
Posted By: Sameer Oraon