14 अप्रैल को कोल्हान में सरायकेला क्षेत्र के नारानबेड़ा से होगा सेंदरा पर्व का आगाज

कोल्हान में इस साल सेंदरा पर्व 14 अप्रैल से शुरू हो रहा है. झारखंड में बंगाल और ओडिशा से भी लोग कोल्हान में सेंदरा के लिए आते हैं.

By Mithilesh Jha | April 4, 2024 9:06 PM

जमशेदपुर, दशमत सोरेन : कोल्हान में इस वर्ष दिसुआ सेंदरा पर्व का आगाज 14 अप्रैल को हो रहा है. दिसुआ सेंदरा पर्व का शुभारंभ सरायकेला जिले के नारानबेड़ा पहाड़ी से किया जाता है. इसके साथ ही अन्य प्रमुख पहाड़ियों में सेंदरा अर्थात् शिकार खेलना शुरू हो जायेगा.

सेंदरा के लिए ओडिशा, बंगाल के लोग भी आते हैं सरायकेला

इस दिसुआ सेंदरा पर्व में केवल सरायकेला क्षेत्र के लोग ही नहीं, बल्कि ओडिशा व पश्चिम बंगाल के भी लोग आते हैं. नारानबेड़ा में 13 अप्रैल की शाम तक पहाड़ी की तलहटी में दिसुआ सेंदरा वीर पहुंच जायेंगे. पहाड़ी की तलहटी में रात्रिविश्राम करने के बाद 14 अप्रैल तड़के पहाड़ी पर शिकार खेलने के लिए चढ़ जायेंगे. दिन भर घने जंगलों में शिकार खेलने के बाद सूर्यास्त से पहले पहाड़ी की तलहटी में लौट आयेंगे. यहां से सभी अपने-अपने घरों को लौट जायेंगे.

आदिवासी-मूलवासी समाज में सेंदरा पर्व का है खास महत्व

आदिवासी-मूलवासी समाज का पहाड़ पर जाकर शिकार खेलना मुख्य मकसद नहीं होता. शिकार से पहले वन देवी-देवता का आवाहन किया जाता है. उनकी पूजा-अर्चना करने के बाद शिकार खेलने की अनुमति मांगी जाती है. इतना ही नहीं, इस दौरान वन देवी-देवताओं से अच्छी बारिश की कामना भी की जाती है. इस तरह आदिवासी-मूलवासी समाज के लिए सेंदरा अर्थात् शिकार पर्व का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व भी है.

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वीर सिंगराई का होता है आयोजन

शिकार पर्व की पूर्व संध्या पर पहाड़ी की तलहटी में दिसुआ सेंदरा वीरों का जमावड़ा होता है. इस दौरान रात में वीर सिंगराई का आयोजन होता है. यह आदिवासी समाज की सामाजिक पाठशाला है. इसमें वीर सिंगराई को प्रस्तुत करने वाले कलाकार विभिन्न पौराणिक कथाओं को मनोरंजक तरीके से नाच-गाकर बताते हैं. इसी अंदाज में युवाओं को सामाजिक जीवन के बारे में बताया जाता है, ताकि उन्हें पारिवारिक व सामाजिक ज्ञान प्राप्त होता है.

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लो बीर दोरबार में सामाजिक मुद्दों पर होता है मंथन

सेंदरा पर्व के दौरान कुछेक जगहों पर लो बीर दोरबार का भी आयोजन होता है. यह सामाजिक, सांस्कृतिक व न्यायिक जनसभा होती है. इसमें दिसुआ लोग शामिल होते हैं. इसमें स्वशासन व्यवस्था के माझी बाबा से लेकर परगना व देश परगना समेत समाज के बुद्धिजीवी शामिल होते हैं. इस दौरान समाज में नित नये बदलाव समेत अन्य बिंदुओं पर दिसुआ समाज के लोग अपने-अपने क्षेत्र की बातों को रखते हैं. लो बीर दोरबार में दिसुआ समाज के लोग मिलकर समस्या का समाधान निकालते हैं.

कहां-कहां होगा सेंदरा पर्व

  • नारानबेड़ा (सरायकेला)
  • पालना जंगल (चांडिल)
  • दलमा (जमशेदपुर)
  • रोडो (घाटशिला)
  • बुढ़ाबुढ़ी जंगल (पीपला क्षेत्र)
  • आरा: बुरू (नरवा)
  • रूवाम (मुसाबनी)
  • चंगुवा (ओडिशा)
  • डाबरा (ओडिशा)
  • अयोध्या (पुरुलिया)
  • मरांगबुरू (पारसनाथ)

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