पंचतत्व में विलीन हुईं नवगीत की हस्ताक्षर शांति सुमन

नवगीत की हस्ताक्षर शांति सुमन के निधन के बाद रविवार को बिष्टुपुर स्थित पार्वती घाट के लिए उनकी अंतिम यात्रा निकली. उनके पुत्र अरविंद कुमार वर्मा ने मुखाग्नि दी.

By Prabhat Khabar News Desk | November 17, 2024 8:08 PM

जमशेदपुर.

नवगीत की हस्ताक्षर शांति सुमन के निधन के बाद रविवार को बिष्टुपुर स्थित पार्वती घाट के लिए उनकी अंतिम यात्रा निकली. इसमें उनके परिजन, शहरभर के साहित्यप्रेमी, समाजसेवी शामिल हुए. पार्वती घाट में उनके पुत्र अरविंद कुमार वर्मा ने मुखाग्नि दी. इस तरह वह पंचतत्व में विलीन हो गयीं. इससे पहले अपराह्न बारह से एक बजे तक टीएमएच बिष्टुपुर में उनके शव को अंतिम दर्शन के लिए रखा गया, जहां शहरभर के लोगों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी. टीएमएच बिष्टुपुर से ही उनकी अंतिम यात्रा निकली.सांस में तकलीफ होने के कारण उन्हें तीन दिन पहले अस्पताल में भर्ती कराया गया था. उन्हें वेंटीलेटर पर रखा गया था. 16 नवंबर की संध्या 7:22 बजे इलाज के दौरान उन्होंने अंतिम सांस ली. वह 80 वर्ष की थीं. उनकी ससुराल बिहार के अररिया जिला अंतर्गत फारबिसगंज के भतरेश्वर है. मायके सुपौल जिला के कासिमपुर में है. इंटर से लेकर एमए तक की पढ़ाई उन्होंने मुजफ्फरपुर में की. यहीं से पीएचडी की. मुजफ्फरपुर में ही महंत दर्शन दास महिला महाविद्यालय में प्राध्यापक रहीं. सेवानिवृत्ति के बाद जमशेदपुर अपने पुत्र के पास आ गयी थीं और यहीं की होकर रह गयीं.

कई सम्मान से हुई थीं सम्मानित

साहित्यकार शांति सुमन को गत नौ नवंबर को मान बहादुर सिंह लहक सम्मान मिला था, लेकिन तबीयत ठीक नहीं रहने के कारण वह कार्यक्रम में शामिल नहीं हो पाई थीं. इसके अलावा महादेवी वर्मा सम्मान, विशिष्ट साहित्य सम्मान, विद्यावाचस्पति सम्मान, भारतेंदु सम्मान, साहित्यमणि सम्मान, साहित्य भारती सम्मान, निर्मल मिलिंद सम्मान, मिथिला विभूति साहित्य सहित कई सम्मान से वह नवाजी गयी थीं.

प्रमुख रचनाएं

ओ प्रतीक्षित, परछाई टूटती, सुलगते पसीने, पसीने के रिश्ते, मौसम हुआ कबीर, तप रहे कचनार, भीतर-भीतर आग, पंख-पंख आसमान, चुने हुए एक सौ एक गीतों का संग्रह, एक सूर्य रोटी पर, धूप रंगे दिन, नागकेसर हवा, मेघ इन्द्रनील (मैथिली गीतों का संग्रह), लय हरापन की, समय चेतावनी नहीं देता, सूखती नहीं वह नदी, जल झुका हिरन, लाल टहनी पर अड़हुल, सानिध्य, ””””मध्यवर्गीय चेतना और हिंदी का आधुनिक काव्य””””, कामायनी का मैथिली में अनुवाद आदि शांति सुमन की प्रमुख कृतियां हैं.

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