24.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

Shravani Mela 2024: जमशेदपुर का बूढ़ा शिव मंदिर, जहां अलग-अलग आकार के हैं दर्जनों शिवलिंग

Shravani Mela 2024: सुवर्णरेखा नदी तट पर स्थित जयदा बूढ़ा बाबा शिव मंदिर है. इस मंदिर में एक जैसे दो शिवलिंग है. जिन्हें जोड़ा शिवलिंग भी कहा जाता है.

Shravani Mela 2024: जमशेदपुर से करीब 35 किलोमीटर हाईवे सुवर्णरेखा नदी तट के पास प्राचीन जयदा बूढ़ा बाबा शिव मंदिर है. मंदिर के पीछे हरा-भरा जंगल है. 18वीं व 19वीं सदी के मध्यकालीन दिनों में केरा (वर्तमान खरसावां) के महाराज राजा जयदेव सिंह एक बार सुवर्णरेखा नदी के तट पर स्थित केरा के जंगलों में शिकार करने पहुंचे थे. दरअसल इस दौरान वह हिरण का करना चाहते थे, लेकिन वह हिरण जिसका राजा शिकार करना चाहते थे वह एक पत्थर के पास जाकर छुप गयी. राजा ने देखा कि वह साधारण पत्थर नहीं बल्कि शिवलिंग था.

राजा ने नहीं किया हिरण का शिकार

हिरण जब भगवान शिव के शरण में चली गयी, तो राजा ने उसका शिकार नहीं किया क्योंकि तीर के शिवलिंग में लगने की आशंका थी. जब राजा जयदेव सिंह घर लौटे तो बूढ़े शिव बाबा की कृपा हुई और उन्हें यह सपना आया कि वे शिवलिंग की पूजा करें. महाराज जयदेव सिंह ईचागढ़ के राजा विक्रमादित्यदेव के पास गए और उनकी देखरेख में जयदा मंदिर की नींव रखी गई. वर्ष 1966 में इस पवित्र धाम में जूना अखाड़ा के बाबा ब्रह्मानंद सरस्वती का आगमन हुआ. फिर इसके बाद ब्रह्मानंद सरस्वती व स्थानीय ग्रामीणों के कठोर परिश्रम से मंदिर का निर्माण हुआ.

मन्दिर के पट पर लिखा है मंदिर का इतिहास

मंदिर से जुड़ा हुआ इतिहास मंदिर के समीप एक पट पर भी लिखा गया है. इससे श्रद्धालुओं को मंदिर के बारे में पूरी जानकारी मिलती है. यहां पहुंचने के लिए पक्की सड़क बनाई गई है. मन्दिर के परिसर में प्राचीन शिवलिंग के आलावा मां पार्वती, हनुमान, नंदी आदि का मंदिर भी है. पूरा सावन मंदिर व आसपास के इलाके में हर-हर महादेव का उद्घोष होता रहता है.

Read Also: Shravani Mela: बाबा बैद्यनाथ के मंदिर में बंगाल व नेपाल के कांवरियों का लगा तांता, बाबाधाम पहुंचने लगे गेरुआ वस्त्रधारी

यहां खुदाई में मिले दर्जनों शिवलिंग

बूढ़ा शिव बाबा मंदिर में 15 से 20 फीट की दूरी पर एक ही जैसे और एक ही आकार के दो शिवलिंग है इसलिए इसे जोड़ा शिवलिंग भी कहा जाता है. इसके बाद यहां खुदाई कार्य शुरू किया गया, इस दौरान जहां भी खुदाई की गयी वहां से अलग अलग आकार के शिवलिंग निकलता गया. इसलिए मंदिर कमेटी ने खुदाई कार्य को रोक दिया. दो मुख्य शिवलिंग वाले मंदिर के बगल में एक और मंदिर है जहां दर्जनों की संख्या में अलग अलग आकार वाले शिवलिंग है जो खुदाई में मिले थे.

हर सोमवार होता है प्रसाद वितरण

सावन में प्रत्येक सोमवार को यहां खीर, हलुआ आदि का प्रसाद वितरण किया जाता है. बारिश के दिनों में सुवर्णरेखा नदी पर पानी का बहाव तेज होने के कारण स्थानीय प्रशासन द्वारा सुरक्षा के लिहाज से पर्याप्त पुलिस बल की तैनाती की गई है. वहीं, नदी के तट को बैरिकेड कर दिया गया है. मंदिर परिसर में दूरदराज से आने वाले श्रद्धालुओं की ठहरने की व्यवस्था है. यहां मंदिर में पूजा-अर्चना करने वाले श्रद्धालुओं की कतार में लगने की व्यवस्था के साथ जूना अखाड़ा व स्थानीय ग्रामीणों के सैकड़ों स्वयंसेवक तैनात रहते हैं. सावन के प्रत्येक शनिवार यहां करीब 10 हजार श्रद्धालु पहुंचते हैं. यहां सुवर्णरेखा नदी से जल उठाकर व बूढ़ा बाबा का आशीर्वाद लेकर दलमा शिव मंदिर, देवघर के बाबा धाम, पश्चिम बंगाल के बेड़ादा, लोहरीया आदि जगहों के लिए शिवभक्त पैदल निकलते हैं.

Read Also: देवघर : 1783 में ऐसा था बाबा मंदिर का प्रांगण, ऐसे करें भगवान शिव की पूजा-अर्चना

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें