जमशेदपुर के सोनारी मरीन ड्राइव के कचरा डंपिंग साइट में डेढ़ महीने से लगी है आग, जहरीले धुएं से घुट रहा दम
जमशेदपुर स्थित सोनारी मरीन ड्राइव के कचरा डंपिंग साइट में पिछले डेढ़ महीने से आग लगी है. जिला प्रशासन की चुस्ती के कारण जहां लोगों का जहरीले धुएं से दम घुट रहा है, वहीं हजारों लोग मुसीबत में आ गये हैं. वहीं, जुगसलाई नगर परिषद क्षेत्र में आग लगने से बड़ी आबादी प्रभावित हो रही है.
जमशेदपुर, ब्रजेश सिंह. जमशेदपुर अक्षेस क्षेत्र और मानगो नगर निगम के कचरा डंपिंग यार्ड सोनारी मरीन ड्राइव में आग पिछले डेढ़ माह से लगी हुई है. लेकिन, अब तक उसे बुझाने के लिए कोई कारगर कदम नहीं उठाया गया है. इसी रास्ते से राज्य के मंत्री, विधायक, सांसद, डीसी और एसएसपी तक आते-जाते हैं, लेकिन इस आग पर काबू पाने के लिए कोई ठोस उपाय नहीं किया गया है. हालात यह है कि लोगों का जीना दुभर हो गया है. अकेले सोनारी इलाके में लगी आग के कारण करीब दस हजार की आबादी प्रभावित है. दूसरा इलाका है जुगसलाई नगरपरिषद का. यहां भी आग लगी है, जिससे धुआं लगातार उठ रहा है, जिसका असर यह है कि जुगसलाई की बड़ी आबादी प्रभावित हो रही है. करीब आठ हजार की आबादी प्रभावित हुई है.
चार किलोमीटर तक फैला धुआं
सोनारी मरीन ड्राइव के डंपिंग साइट पर लगी आग के कारण करीब चार किलोमीटर तक धुआं फैल रहा है. कई किलोमीटर दूर से ही धुआं दिख रहा है. धुएं के गुब्बार के कारण आसपास के इलाके में कृत्रिम बादल छा जा रहे हैं. इससे नीचे से गाड़ी लेकर जाने से भी आपको डर लग जायेगा. यहीं हाल जुगसलाई का भी है. जुगसलाई महाकालेश्वर घाट के पास की गयी कचरा डंपिंग में भी लगातार धुआं उठ रहा है. इसको रोकने के लिए कोई इंतजाम नहीं हुआ है, जिस कारण आसपास के लोगों का दम घुंट रहा है.
ट्रामेल मशीन लगायी गयी, उसका इस्तेमाल नहीं, पानी का छिड़काव भी नाममात्र
जब पहली बार आग का मामला आया था, तब जमशेदपुर अक्षेस और मानगो निगम ने मिलकर वहां ट्रामेल मशीन लगायी. सोनारी मरीन ड्राइव के कचरा पर यह मशीन लगाकर छोड़ दिया गया है. वही हाल जुगसलाई का भी है. यहां भी ट्रामेल मशीन लगायी गयी है, जिसका इस्तेमाल नहीं हो रहा है. पानी का छिड़काव के नाम पर गाड़ी लगा दी जाती है, लेकिन पानी का छिड़काव नहीं किया जाता है. आज तक इसमें दमकलों तक को भी नहीं भेजा गया है, ताकि आग पर काबू पाया जा सके.
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जहरीली गैसें निकल रहीं, हवा में घुल रहा जहर
एक्सपर्ट के अनुसार, आग से आसपास के लोग कई तरह की बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं. जमशेदपुर के प्रदूषण में भी इसका बड़ा रोल है. मीथेन लीक होने का सीधा असर जलवायु परिवर्तन पर पड़ता है. इसमें से हाइड्रोजन सल्फाइड जैसी जहरीली गैसें भी निकलती हैं, जो सालों तक हवा में बनी रहती हैं. हवाओं की गति के साथ लैंडफिल साइट की आग का यह धुंआ कई किलोमीटर तक जाने की क्षमता रखता है. लैंडफिल साइट में प्लास्टिक के साथ बैट्री आदि भी होती है, जिससे जहरीले केमिकल, हैवी मेटल भी आग के जरिए हवा में आ जाते हैं. आग के समय कुछ दूरी तक लोगों को गले में खराश, आंखों में जलन जैसी समस्या हो सकती है.
प्रदूषण बोर्ड ने भेजी रिपोर्ट, खतरनाक है हालात
झारखंड प्रदूषण नियंत्रण पर्षद की ओर से अपने हेड ऑफिस को रिपोर्ट भेजी गयी है. इसमें बताया गया है कि खतरनाक हालात है. एयर क्वालिटी खराब हो रही है. हजारों लोग प्रभावित हो रहे हैं, जिसको रोकने के लिए कोई उपाय नहीं हो रहा है. इसके लिए ठोस उपाय करने की जरूरत बतायी गयी है. इसकी पुष्टि प्रदूषण बोर्ड के कोल्हान प्रमुख जीतेंद्र सिंह ने बताया कि आग लगने की घटना के बाद से ही लिखा जा रहा है कि हालात सुधारा जाए, लेकिन नहीं सुधारा गया है. हमने हेड ऑफिस को रिपोर्ट कर दी है.