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सुवर्णरेखा व खरकई नदी का पानी पीने से हो सकती है किडनी और लीवर की बीमारियां, PH लेवल 9 के करीब

रिपोर्ट के अनुसार, सुवर्णरेखा व खरकई नदियों के पानी का पीएच लेवल 9 के करीब है, जबकि इसका सही मानक 7 पीएच होना चाहिए. पानी में ऑक्सीजन की मात्रा भी मानक के अनुरूप नहीं है.

जमशेदपुर, ब्रजेश सिंह:

शहर की लाइफलाइन सुवर्णरेखा और खरकई नदी का पानी पीने लायक नहीं है. झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद की ओर से राज्य मुख्यालय को भेजी गयी रिपोर्ट में इसका खुलासा हुआ है. नदियों के 14 अलग-अलग स्थानों से लिये गये सैंपल की जांच में यह चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है. ये सैंपल जनवरी 2023 में लिये गये थे. इन नदियों का पानी पीने से किडनी और लीवर की बीमारी हो सकती है.

रिपोर्ट के अनुसार, नदियों के पानी का पीएच लेवल 9 के करीब है, जबकि इसका सही मानक 7 पीएच होना चाहिए. पानी में ऑक्सीजन की मात्रा भी मानक के अनुरूप नहीं है. रिपोर्ट में पानी के लेवल को डी ग्रेड दिया गया है. ऐसे में इन दोनों नदियों का पानी पीने लायक नहीं है. इसका इस्तेमाल स्नान और इंडस्ट्रियल उपयोग के लिए ही किया जा सकता है. जांच के लिए पानी के नमूने ऐसे स्थानों से लिये गये हैं, जहां पानी का बहाव है.

झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद ने राज्य मुख्यालय को भेजी रिपोर्ट

जनवरी 2023 में दोनों नदियों के पानी का लिया गया था सैंपल

इन नदियों का पानी पीने से किडनी और लीवर की बीमारी हो सकती है

रिपोर्ट में पानी के लेवल को डी ग्रेड दिया गया है

दोनों नदियों के पानी का इस्तेमाल स्नान और इंडस्ट्रियल उपयोग के लिए ही किया जा सकता है

इन स्थानों से लिया गया था पानी का सैंपल :

चांडिल रोड ब्रिज, सुवर्णरेखा नदी के खरकई नदी से मिलने के पहले और बाद के स्थान, मानगो के डाउन स्ट्रीम, गालूडीह बराज, घाटशिला एचसीएल, बहरागोड़ा रोड ब्रिज, कोयलकारो नदी मनोहरपुर, चांडिल डैम, डिमना डैम, घाटशिला रोड ब्रिज, कोइना नदी मनोहरपुर.

आदेश के पांच साल बाद भी निकायों ने नहीं लगाया एसटीपी

नगर निकाय क्षेत्रों में 39 जगहों पर नाले से खरकई और सुवर्णरेखा नदी में गंदा पानी छोड़ा जाता है. करीब पांच साल पहले एनजीटी ने सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) लगाने को कहा था, लेकिन नगर निकायों ने अब तक इसे स्थापित नहीं किया है. कोल्हान में निजी कंपनियों ने 16 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) लगाये हैं. इनमें टाटा स्टील ने पांच, टाटा मोटर्स ने एक, एचसीएल ने एक, यूसीआइएल ने दो, एसीसी ने एक, लाफार्ज ने एक, रामकृष्णा फोर्जिंग कंपनी ने एक, मेटल्सा ने एक, टीजीएस ने एक व टाटा कमिंस ने एक, टाटा पिगमेंट ने एक प्लांट लगाया है.

इसलिए दोनों नदियों का यह हाल:

रिपोर्ट में कहा गया है कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के आदेश के बाद भी वाटर ट्रीटमेंट प्लांट नहीं लगाये गये हैं, जिससे यह स्थिति उत्पन्न हुई है. जमशेदपुर, मानगो और जुगसलाई के नगर निकायों से सीवरेज का पानी सीधे नदी में बहाया जा रहा है.

दोनों नदियों में प्रदूषण का लेवल काफी अधिक

नदियों में प्रदूषण का लेवल काफी अधिक है. इसका पानी पीने लायक नहीं है. नहाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है. नाले का पानी सीधे नदी में बहा दिया जा रहा है. इसको रोकने के लिए हमने नगर निकायों को पत्र लिखा है. हर माह नदी और हवा के प्रदूषण की रिपोर्ट दी जा रही है.

-जीतेंद्र सिंह, क्षेत्रीय पदाधिकारी, झारखंड प्रदूषण नियंत्रण पर्षद

पानी पीने से शरीर को हर स्तर पर नुकसान

गंदा पानी पीने से शरीर को हर स्तर पर नुकसान होता है. गंदा पानी पीने से किडनी से लेकर लीवर और पेट से संबंधित तमाम बीमारियां होंगी. चर्म रोग से संबंधित तमाम परेशानियां भी हो सकती हैं.

-डॉ उमेश खां, चिकित्सक

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