जमशेदपुर में बीते 48 घंटे में नौ लोगों ने खत्म कर ली अपनी जिंदगी, मामूली बात पर कर ली खुदखुशी
बीते 48 घंटे में जमशेदपुर और आसपास के नौ लोगों ने मौत को गले लगा लिया. ये लोग घर में हुई मामूली बात को गंभीरता से ले लेते हैं औरअपनी जान देने पर उतारु हो जाते हैं
शहर में आत्महत्या की घटनाएं लगातार बढ़ रही है. भाग-दौड़ की जिंदगी, परेशानी और छोटी-छोटी बातों को लेकर लोग सांसों की डोर तोड़ ले रहे हैं. इसमें हर उम्र और तबके के लोग शामिल हैं. बदलते परिवेश में मनुष्य की जिंदगी में उतार-चढ़ाव तो आमतौर पर आते ही रहते हैं. कुछ लोग इनसे हार जाते हैं और आत्महत्या कर मौत को गले लगा लेते हैं. ये लोग घर में हुई मामूली बात को गंभीरता से ले लेते हैं और फांसी या फिर जहरीला पदार्थ खाकर अपनी जान देने पर उतारु हो जाते हैं. ये जिंदगी बहुमूल्य है, इसे ऐसे न समाप्त करें. बीते 48 घंटे में शहर और आसपास के नौ लोगों ने मौत को गले लगा लिया.
शहर और आसपास के क्षेत्रों में हर उम्र के लोगों ने की खुदकुशी
सिदगोड़ा : कंपनी नौकरी पर नहीं बुला रही थी, तो लगा ली फांसी
विजय नगर के संजय साहा (55) ने बुधवार की रात घर में फांसी लगा ली. परिजन जब कमरे में गये, तो देखा कि संजय फंदे से लटके थे. वह प्राइवेट कंपनी में नौकरी करते थे. बीमारी के कारण उन्हें नौकरी पर नहीं बुलाया जा रहा था, जिससे सात दिनों से तनाव में थे.
कदमा : कपड़ा बदलने के लिए कमरे के अंदर गये, फंदे से लटके मिले
मनीष कुमार सिंह (36) ने बुधवार रात अपने कमरे में गये और फांसी लगा ली. परिजन बुलाने के लिए कमरे में गये, तो देखा कि फंदे से लटके हुए हैं. उसके बाद आनन- फानन में टीएमएच लेकर गये, जहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गयी.
कीताडीह : पति गये थे बच्चों को छोड़ने स्कूल, पत्नी ने लगा ली फांसी
कीताडीह में रहने वाली पूनम चौधरी (39) गुरुवार सुबह 8 बजे कमरे में फांसी लगा ली. उसके पति घर लौटे, तो घटना के बारे में जानकारी मिली. पुलिस ने बताया कि पूनम के पति टेंपो चालक हैं. वह टेंपो से बच्चों को स्कूल छोड़ने गये थे. लौटा तो पत्नी फंदे से लटकी हुई थी.
बोड़ाम : रात में घर में सोया, सुबह फंदे से लटका मिला विशाल का शव
हलुदबनी निवासी विशाल मुर्मू (20) ने बुधवार की रात घर में फांसी लगा ली. गुरुवार सुबह परिजन जगाने गये, तो देखा कि वह फंदे से लटका था. उसके बाद परिवार के लोग उसे लेकर एमजीएम अस्पताल पहुंचे, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया.
बागबेड़ा : पति बैंक में करते हैं नौकरी गये थे ड्यूटी, पत्नी ने की खुदकुशी
रानीडीह की मंजू देवी (46) बुधवार की दोपहर करीब दो बजे अपने घर में फांसी लगा ली. उसके पति बैंक में नौकरी करते हैं. बुधवार को वह ड्यूटी गये, उसके बाद मंजू ने फांसी लगा ली. दोपहर को जब वह गेट नहीं खोली, तो दरवाजा तोड़ा गया.
कोवाली : तालाब से फकरे आलम का शव मिला, खुदकुशी की आशंका
हल्दीपोखर मुस्लिम बस्ती निवासी फकरे आलम (50) का शव तालाब से बरामद किया गया है. उनके पॉकेट में कई कागजात मिले हैं. पुलिस आशंका जता रही है उसने तालाब में कूद कर आत्महत्या कर ली है.
आदित्यपुर : कीटनाशक खायी, अस्पताल में गयी जान
1. रिया कुमारी (16) ने छोटी से बात पर नाराज होकर कीटनाशक पदार्थ खाकर आत्महत्या कर ली. घटना गुुरुवार 11 बजे की बतायी गयी है. घटना के बाद रिया को इलाज के लिए सदर अस्पताल ले जाया गया, जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गयी.
2. ममेरे भाई के यहां रह कर कर रहा था ट्रेनिंग, लगायी फांसी
जय प्रकाश नगर के दिव्यांशु कुमार (17) ने फांसी लगा ली. वह ममेरे भाई के घर पर रह कर इंडो- डेनिश टूल रूम में ट्रेनिंग कर रहा था. बुधवार की रात आत्महत्या कर ली.
मानगो : वर्कर्स कॉलेज के छात्र ने की आत्महत्या
पोस्ट ऑफिस रोड गौड़ बस्ती निवासी रोशन कुमार (21) ने अपने ही घर में बुधवार को फांसी लगा ली. वह वर्कर्स कॉलेज में बीए थर्ड इयर का छात्र था. खुदकुशी करने के कारण का पता नहीं चल पाया है.
एक्सपर्ट बोले
बात करें,ताकि दूर हो परेशानी
अगर आपके मन में कभी भी आत्महत्या करने का विचार आता है, तो उसे सबसे पहले अपने मन से बाहर निकालने का प्रयास करना चाहिए. आपके मन में तनाव क्यों पैदा हो रहा है, इसके बारे में जानने की जरूरत है. आत्महत्या का सबसे बड़ा कारण तनाव है. लोग अपने मन की बातों को शेयर नहीं कर पाते हैं, जिससे वह इस प्रकार का कदम उठाते हैं. ऐसी भावना मन में आने पर सबसे पहले अपने किसी भी परिचित से बात करें. इससे आपका तनाव कम होगा. घर में लोगों से बात करें. संवाद बढ़ायें, ताकि आपकी परेशानी की जानकारी परिवार के लोगों को हो.
-डॉ महावीर राम, संस्थापक, जीवन संस्था
परिवार में संवाद बहुत जरूरी
अभाव, अवसाद और नशा, ये तीन कारण अक्सर आत्महत्या के लिए व्यक्ति को प्रेरित करते हैं. वहीं, बच्चों में सहनशीलता की कमी और संवादहीनता भी उन्हें इस प्रवृत्ति की ओर प्रेरित करती है. एकल परिवार होने के कारण परिवार के सदस्यों में संवाद की कमी हो गयी है. लोग अपनी परेशानियों को एक-दूसरे से शेयर नहीं कर पाते हैं. इससे उनका तनाव का स्तर बढ़ता है. लोगों में सहनशीलता की कमी हो गयी है. जिससे बच्चे बात-बात पर रिएक्ट करने लगे हैं. अभिभावक और परिवार के लोगों को बच्चों के साथ संवाद करते रहना चाहिए.
– डॉ. निधि श्रीवास्तव, मनोवैज्ञानिक
तनाव से दूर रहें
-सुसाइट का कोई एक कारण नहीं होता है. ज्यादा केस में तनाव कारण होता है. डिप्रेशन, नशा और मानसिक बीमारी आदि के कारण भी लोग सुसाइड करते हैं. ऐसे में सबसे पहले लोगों को जागरूक होने की जरूरत है. अगर आपको अपने परिवार या आसपास के लोग मानसिक बीमारी से परेशान दिखे, तो उन्हें सबसे पहले किसी मनोरोग विशेषज्ञ के पास इलाज करायें. अचानक से कोई अगर शांत रहने लगे, तो उसके कारण के बारे में पता लगायें. उसके तनाव को दूर करने का प्रयास करें.
डॉ दीपक गिरि, मनोचिकित्सक
अध्यात्म को आत्मसात करें
माता-पिता को बच्चों की बात समझनी चाहिए. हमेशा अपनी बात नहीं थोपनी चाहिए. बच्चों की अपनी इच्छाएं और तमन्नाएं हैं. हमेशा इसका ख्याल रहना चाहिए. न्यूक्लियर फैमिली की वजह से आज के बच्चे एकांकी फील करते हैं. उसके मन की बात समझने वाला कोई नहीं. इसलिए माता-पिता को चाहिए कि बच्चों को समय दें. नौ-दस साल की उम्र में बच्चों को फ्रेंड चाहिए. माता-पिता ही उसके दोस्त बन सकते हैं. बच्चों को सुप्रीम फ्रेंड यानी ईश्वर से जोड़ने की कोशिश करें. अध्यात्म सक्षम बनाता है. हर चीज को सहने की शक्ति देता है.
-अंजु दीदी, ब्रह्माकुमारी, कोल्हान प्रमुख