Summer Season: जैसे-जैसे मौसम में परिवर्तन होता है लोगों का खान-पान व दिनचर्या के साथ रोजगार का पैटर्न भी बदल जाता है. जिस तरह लोग ठंडी के मौसम में गर्म चीजों को पीना पसंद करते हैं, ठीक उसी प्रकार गर्मी का मौसम आते ही लोग ठंडी चीजों को पीना पसंद करते हैं. ऐसे में लोगों के जरूरत के अनुसार बाजारों में इसके सीजनल स्टॉल भी लग जाते हैं. इससे सैकड़ों लोगों को रोजगार भी मिल जाता है. इस समय शहर का पारा 40 डिग्री सेल्सियस के पार कर चुका है. भीषण गर्मी में घर के बाहर निकलने वाले लोग गर्मी से बचने के लिए ऐसी कई चीजें ढूंढते हैं, जिससे गर्मी से थोड़ी राहत मिल जाये. ऐसे में लोगों को तरोताजा रखने के लिए शहर में कई स्टॉल लग गये हैं जो ग्राहकों से गुलजार हैं. इसके साथ ही इससे जुड़ रोजगार करने वालों की भी अच्छी कमाई हो जा रही है.
बाजारों में इस समय हैंड मेड ठंडे रिफ्रेशिंग समर ड्रिंक्स जैसे आम पन्ना, नींबू शिकंजी, सत्तू, नींबू पानी, गन्ने का जूस, नारियल पानी, दही की लस्सी काफी डिमांड में हैं. ये आपको सेहतमंद तो रखते ही हैं, आपको तरोताजा फिल भी कराते हैं. वहीं सीलबंद कोल्ड ड्रिंक के कई ब्रांड बाजार मौजूद हैं, ये आपको तात्कालिक रूप से तो राहत देंगे पर ये आपको बीमार कर सकते हैं. ऐसे में शहर के पेय पदार्थों के नफा-नुकसान व इससे जुड़े लोगों के रोजगार के मुद्दे पर रिपोर्ट.
गर्मियों में हमारे शरीर से पानी जल्दी-जल्दी कम होता है, जिससे कई बार डिहाइड्रेशन की भी नौबत आ जाती है. तीखी धूप में बाहर घूमने या कड़ी मेहनत वाला काम करने से शरीर में मौजूद ऊर्जा व पोषण भी जल्दी-जल्दी समाप्त होते हैं. ऐसे में विशेषज्ञ गर्मी से बचने के उपाय बताते हुए रिफ्रेशिंग समर ड्रिंक्स के इस्तेमाल की सलाह देते हैं, जिससे शरीर में शीतलता बनी रहे. ठंडे पेय पदार्थों के सेवन के समय हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि हम प्राकृतिक रूप से ठंडी तासीर वाले पौष्टिक पेय पदार्थों का सेवन करें.
जमशेदपुर की गर्मी और राहगीरों की प्यास, बुझाती है, कि ठेले के प्याऊ की स्वाद. गर्मी शुरू होते ही ऐसे ठेले नजर आने लगते हैं जो प्यास बुझाने व गर्मी से बचाने के लिए कई तरह के शरबत बेचते हैं. इनके पास आम शरबत, सत्तू शरबत, बेल शरबत, नींबू पानी, ऑरेंज व कोकाकोला फ्लेवर के शरबत मौजूद हैं. महज 10 से लेकर 20 रुपये तक में ये शरबत ठेले पर मिल रहे हैं. हजारों लोगों की प्यास बुझाने वाले शरबत कारोबारी की पॉकेट भी इन दिनों गरम हो जाती है. क्योंकि यह ऐसा व्यवसाय है जिसमें मेहनत और पूंजी कम लगता है जबकि मुनाफा दो गुना होता है. महज तीन महीने का ही यह कारोबार है. मौसम के साथ कारोबार भी बदल जाता है.
बाराद्वारी मेन रोड के किनारे दशरथ साहू गर्मी भर शरबत का ठेला लगाते हैं. ठेले पर आम शरबत, नींबू पानी, सत्तू शरबत, ऑरेंज एवं कोकाकोला फ्लेवर के सत्तू बेचते हैं. अनुमानित यहां हर दिन दो सौ से ढाई सौ लोग शरबत पीने आते हैं. आम दिनों में दशरथ सब्जी बेचते हैं. उन्होंने कहा, यह मुनाफे का धंधा है. इसमें परिश्रम कम लगता है और मुनाफा अधिक है. यूं तो कुछ भी बेच सकते हैं. लेकिन शहर की गर्मी को देखते हुए यह धंधा ठीक लगता है. क्योंकि लोग प्यास बुझाने आते हैं. शरबत पीने से लू नहीं लगती और पेट के लिए भी फायदेमंद है. उन्होंने बताया कि पहले गैस चूल्हा या मिट्टी के चूल्हे पर डालकर कच्चे आम को पका लेते हैं और जब वह अच्छी तरह से पक जाता है तो उस आम के छिलके को निकाल दिया जाता है. उसके बाद उसे पूरी तरह से भरता बनाकर पानी में घोल देते हैं और उसमें जीरा पाउडर और नमक मिलाकर तैयार करते हैं. यदि किन्ही को खट्टा-मीठा पीना पसंद है तो वो इनमें चीनी या सैकरीन का इस्तेमाल करते हैं.
साकची बसंत टॉकीज के समीप ठेले पर शरबत बेच रहे बीरेंद्र श्रीवास्तव मौसम के अनुसार ठेला लगाते हैं. बारिश में वे अनारस, ठंड में पपीता और गर्मी भर ठेले पर शरबत बेचते हैं. करीब 20 साल हो गये यहां ठेला लगाते हुए. मौसमी के अनुसार ही वे अपना कारोबार करते हैं. उन्होंने बताया कि बाजार में आनेवाले लोग ठंडा पानी व शरबत पीकर प्यास बुझाते हैं. इसमें आम शरबत और नींबू पानी की बिक्री बहुत ज्यादा हो रही है. अनुमानित हर दिन तीन सौ ग्लास शरबत बिक जाते हैं. इससे अच्छी कमाई हो जाती है.
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साकची मछली मार्केट के डाब विक्रेता आरके सिंह बताते हैं कि पहले गर्मी में ही डाब की खपत ज्यादा होती थी. लेकिन कोविड के बाद से सालों भर डाब बिकता है. हां, गर्मी में इसकी बिक्री दोगुना हो जाती है. शहर में बंगाल से डाब मंगवाया जाता है. गर्मी में हर दिन चार-पांच सौ डाब बिक जाता है. आजकल अच्छी कमाई हो रही है. गर्मी बढ़ने से डाब की डिमांड बढ़ गयी है.
भुईयांडीह के रहने वाले लालु यादव दिन में शरबत व रात में अंडा बेचते हैं. लालु यादव ने बताया कि आम दिनों में वे सुबह में भी बॉयल अंडा, ब्रेड अंडा, चना आदि बेचते हैं. क्योंकि ज्यादा तर लोग यहां नाश्ता करने आते हैं. लेकिन गर्मी में लोग अंडे नहीं खाते हैं. इसलिए मैं सुबह में सत्तू व नींबू शरबत बेचता हूं. इस धंधे में फायदा बहुत ज्यादा न भी हो लेकिन नुकसान नहीं होता है. क्योंकि ग्राहक के आने के बाद ही शरबत बना कर देते हैं.
पिछले दो महीने से ठेले पर शरबत बेचने का कारोबार कर रहे काशी भगत का कहना है कि वे सीजन के अनुसार कारोबार करते हैं. इसमें पर्व-त्योहार भी शामिल है. कभी राखी तो कभी पिचकारी बेचते हैं. गर्मी में आम पन्ना, लस्सी, तो वहीं ठंड में गरमा गर्म चाय परोसते हैं. बाजार के डिमांड के अनुसार वे माल लाते हैं और बेचते हैं. गर्मी में बाजार के बीचों बीच शरबत का ठेला लगाते हैं.
जनरल फिजिशियन डॉ पंकज रंजन बताते हैं कि कच्चे आम में कुछ ऐसे विटामिन और एसिड पाये जाते हैं. जिससे इस मौसम में मानव शरीर को आवश्यकता होती है. क्योंकि इस मौसम में लोगों को खूब पसीना निकलता है. जिससे शरीर में पानी के साथ-साथ सोडियम की कमी होने लगती है. इससे लोग कमजोर होने लगते हैं और उन्हें लू लग जाता है या उन्हें अन्य समस्याएं होने लगती हैं. इन्ही चीजों की कमी को पूर्ति करने में कच्चे आम का शरबत कारगर है. नींबू पानी भी शरीर के लिए फायदेमंद है.