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Jamshedpur news. 18 साल बाद भी अबूझ पहेली बना हुआ है शहीद सांसद सुनील महतो हत्याकांड

शहीद सांसद सुनील महतो की 59वीं जयंती आज

जन्म : 11 जनवरी 1966

शहीद : 04 मार्च 2007

Jamshedpur news.

शहर और झारखंड के आदिवासी-मूलनिवासी 11 जनवरी को झारखंड आंदोलनकारी व जमशेदपुर के सर्वाधिक लोकप्रिय सांसद रहे शहीद सुनील महतो की 59वीं जयंती मनायेंगे. शहीद सांसद को शहरवासी व पार्टी कार्यकर्ता अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करने के साथ-साथ यह सवाल हर बार पूछेंगे कि आखिर क्या कारण और कौन साजिशकर्ता इस हत्याकांड को अंजाम देने के पीछे है. जमशेदपुर के सांसद रहे सुनील महतो की 41 साल की आयु में चार मार्च 2007 को उस वक्त नक्सलियों ने गोलियां बरसा कर हत्या कर दी थी, जब वे घाटशिला अनुमंडल के किशनपुर गांव के बाघुड़िया में एक फुटबाल प्रतियोगिता के दौरान अंधाधुंध गोलियां चलाकर की गयी थी, जिसमें उन्हें मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया था.

14वीं लोकसभा के सदस्य रहते हुए जमशेदपुर के सांसद सुनील महतो की हत्या होने और इस घटना के 17 साल बीत जाने के बाद भी आज भी यह अबूझ पहेली है. इस मामले के आरोपी रहे नक्सली राहुल को पुलिस, सीआइडी, सीबीआइ और एनआइए रिमांड पर लेकर पूछताछ तक नहीं कर सकी. चार एजेंसियों ने मामले की जांच की, फिर भी अब तक न्याय नहीं मिल सका. सांसद सुनील महतो, प्रभाकर महतो, दो अंगरक्षकों की गोलियां बरसाकर हत्या कर दी गयी थी.

बंगाल सरकार ने पुनर्वास नीति के तहत राहुल को नौकरी भी प्रदान कर दी. सुनील महतो की हत्या क्यों हुई, कौन इस साजिश के पीछे थे, आखिर ऐसा क्या हो गया कि सुनील महतो को हमेशा के लिए मौत की नींद में सुला दिया गया. इन सभी सवालों का जवाब आज भी जमशेदपुर ही नहीं, झारखंड की जनता जानने को व्याकुल है, लेकिन जवाब देने के लिए कोई सक्षम सामने नहीं आ रहे हैं. सांसद बनने के बाद सुनील महतो की पत्नी सुमन महतो ने भी इस हत्याकांड के कारणों का पता लगाने काफी प्रयास किया, लेकिन जब उन्हें यह जानकारी मिली कि नक्सली राहुल, जिसने उनके पति सुनील महतो की हत्या की है, वह पश्चिम बंगाल में दूल्हा बना हुआ है, तो कहां-किसके पास फरियाद के लिए जायें, किससे इंसाफ मांगें. पिछले दिनों सुमन महतो की बड़ी बेटी का भी निधन हो गया, वे अब काफी टूट चुकी हैं. मार्च 2018 में केस का अनुसंधान एनआइए ने अपने हाथ में लिया, लेकिन राहुल जो हत्याकांड का मुख्य साजिशकर्ता था, उसे रिमांड पर लेकर पूछताछ नहीं कर सकी. 17 साल बीत जाने के बावजूद कोर्ट में केस विचाराधीन है. पूर्व में सीबीआइ ने आरोप पत्र दाखिल करते हुए केस को फाइनल कर दिया था. सीबीआइ की चार्जशीट में राहुल सहित अन्य का नाम शामिल है. नक्सली रंजीत पाल उर्फ राहुल पर सीबीआइ ने 10 लाख रुपये इनाम की घोषणा की थी. बाद में राहुल और उसकी पत्नी ने 25 जनवरी 2017 को पश्चिम बंगाल में आत्मसमर्पण कर दिया. इसके सरेंडर करने के बाद भी सीबीआइ उसे रिमांड पर लेने के प्रति सक्रियता नहीं दिखा पायी.

नक्सली राहुल और असीम दस्ते की थी संलिप्तता

सांसद सुनील महतो की हत्या में नक्सली राहुल उर्फ रंजीत पाल और असीम मंडल दस्ते की संलिप्तता जांच में सामने आयी थी. राहुल और उसकी पत्नी के आत्मसमर्पण के बाद बंगाल सरकार की सरेंडर पॉलिसी के तहत नक्सलियों को न्यायिक हिरासत में नहीं भेजा जाता है, जिसका फायदा राहुल और उसकी पत्नी को मिला. सीबीआइ दोनों को रिमांड पर भी नहीं ले पायी. हत्या में नक्सली राजेश मुंडा समेत जितने भी नक्सली पकड़े गये, सभी ने एक ही जानकारी दी कि हत्या की योजना नक्सली संगठन के शीर्ष नेतृत्व ने बनायी थी. आदेश हुआ कि हत्या को अंजाम देना है. कब क्या करना है, इससे अवगत कराया गया और वारदात को अंजाम दिया. हत्या में बंगाल के नक्सली असीम मंडल उर्फ आकाश, जमशेदपुर पटमदा के राम प्रसाद मार्डी उर्फ सचिन, उसकी पत्नी, जयंती, झरना, रंजीत उर्फ राहुल पाल, विकास, बेला समेत अन्य का नाम सामने आया था.

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