Tata Lease Renewal: टाटा लीज रिन्यूअल से 86 बस्तियों का तय होगा भविष्य, मालिकाना हक मिलेगा या कोई आधिकारिक दस्तावेज?
Tata Lease Renewal: टाटा लीज के रिन्यूअल (नवीकरण) का वक्त आ गया है. एक जनवरी 2026 से पहले टाटा लीज का समझौता हो जाना है. एक जनवरी 2026 से नया लीज समझौता प्रभावी होने जा रहा है. इससे 86 बस्तियों का भविष्य तय होगा.
Tata Lease Renewal: जमशेदपुर, ब्रजेश सिंह-टाटा लीज के रिन्यूअल (नवीकरण) का वक्त आ गया है. एक जनवरी 2026 से पहले टाटा लीज का समझौता हो जाना है. एक जनवरी 2026 से नया लीज समझौता प्रभावी होने जा रहा है. ऐसे में एक बार फिर से यह सवाल उठना शुरू हो गया है कि क्या इस बार का लीज समझौते में 86 बस्तियों (अब 117 बस्तियां) को मालिकाना हक मिलेगा. इसे लेकर अब यह भी कयास लगाये जा रहे हैं कि क्या टाटा लीज से अलग हुई बस्तियों को फिर से लीज में समाहित किया जायेगा या फिर टाटा लीज से बाहर की गयी 1800 एकड़ जमीन को अलग से मालिकाना हक देने को लेकर भी कोई फैसला लिया जायेगा. जाहिर सी बात है कि यहां बड़ी आबादी निवास करती है, जहां की आबादी करीब चार से पांच लाख है. ऐसे में इन बस्तियों के लोगों के भविष्य को भी टाटा लीज समझौता के वक्त तय किया जायेगा या नहीं, यह सवाल उठ रहा है.
बस्तीवासियों को मिलेगा मालिकाना हक या झुनझुना !
टाटा लीज समझौते के करीब 20 साल के बाद भी बस्तियों के मालिकाना हक को लेकर कोई कदम नहीं उठाया गया. शिड्यूल 5 में अवैध बस्तियों को लेकर एक सर्वे कराया गया था, जिसमें पाया गया था कि 14,167 प्लॉटों में निहित लगभग 1800 एकड़ भूमि लीज से बाहर की गयी है. इसमें 17,986 मकान बने हुए हैं, जिसका क्षेत्रफल करीब 1100 एकड़ है. 2005 के लीज समझौता के वक्त तय किया गया था कि शिड्यूल चार यानी सबलीज की जमीन पर भी कई बस्तियां बस गयी है. इसका अलग से सर्वे होना था, जिसका सर्वे कार्य पूरा नहीं हो पाया. यहीं नहीं 1800 एकड़ पर बसी बस्तियों को भी किसी तरह का कोई कदम नहीं उठाया गया. अब यह सवाल उठना लाजिमी है कि क्या इस बार मालिकाना हक या कानूनी अधिकार इन बस्तियों को मिलेगा या फिर से लोगों को झुनझुना ही तो नहीं पकड़ा दिया जायेगा.
रघुवर दास की सरकार ने लीज बंदोबस्त का लाया था प्रावधान, सिर्फ तीन लोगों को मिली लीज
राज्य में जब जमशेदपुर पूर्वी के विधायक और तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास की सरकार थी, तब एक प्रावधान लाया गया था कि एक जनवरी 1985 का आधार मानते हुए एक डिसमिल से 10 डिसमिल जमीन को लीज पर 30 सालों के लिए दिया जायेगा. सरकार के रिकॉर्ड के मुताबिक बस्तियों में करीब 22 हजार से अधिक मकान हो चुका है. लोगों ने एक एकड़ से पांच एकड़ भूखंड पर अतिक्रमण कर अपना बड़ा मकान व बिल्डिंग बना रखा है. कई लोगों ने दूसरे को जमीन तक बेच दी है. जमीन खरीदने वालों के पास दखल का कोई दस्तावेज तक नहीं है. बताया जाता है कि जिला प्रशासन के पास कई लोग ऐसे पहुंचे, जिनके पास एक जनवरी 1985 के पहले के दस्तावेज मौजूद नहीं है. यही वजह है कि इतने सालों में तीन लोगों ने जमीन पर लीज पर ली, जबकि 13 लोगों के आवेदन अब तक लंबित ही है. 118 लोगों के आवेदन खारिज हो चुके थे.
86 बस्तियों को लेकर अब तक क्या हुआ?
कब-कब क्या हुआ
1996 : मालिकाना हक को लेकर बिष्टुपुर रीगल मैदान (वर्तमान में गोपाल मैदान) में बैठक हुई, जिसमें नयी कमेटी बनी.
1996 : 86 बस्तियों के आंदोलन के लिए केंद्रीय बस्ती विकास समिति का गठन, अध्यक्ष जयनारायण सिंह को बनाया गया.
1997 : केंद्रीय बस्ती विकास समिति के बैनर तले बस्ती स्तर पर बस्ती विकास समिति का गठन का काम शुरू हुआ
1998 : 86 बस्तियों के अलावा शहर की अन्य बस्तियों को मालिकाना हक के लिए मांग शुरू हुई.
2000 : एग्रिको स्थित ट्रांसपोर्ट मैदान में मालिकाना को लेकर सबसे बड़ी बैठक हुई. इसमें राज्य के कल्याण मंत्री अर्जुन मुंडा, श्रम मंत्री रघुवर दास, भूमि सुधार एवं राजस्व मंत्री मधु सिंह, टाटा स्टील के एमडी शामिल हुए.
2001 : तत्कालीन मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी की साकची बारी मैदान में सभा, सभा से पहले 86 बस्ती को मालिकाना हक देने की मांग को लेकर सबसे बड़ी रैली निकली, जिसमें हजारों लोग शामिल हुए. सभा में मुख्यमंत्री को बस्तियों को मालिकाना देने की मांग की गयी. सीएम ने मामले पर विचार करने का आश्वासन लोगों को दिया.
2001 : मालिकाना हक को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की.
2003 : केंद्रीय बस्ती विकास समिति के अध्यक्ष रामबाबू तिवारी बने. स्थानीय स्तर पर बस्तियों का मामला उठता रहा.
2005 : टाटा लीज एरिया के 86 बस्ती को अलग किया गया.
2005 : हाईकोर्ट में बस्ती विकास समिति की याचिका वापस ली गयी.
2016 : केंद्रीय बस्ती विकास समिति के अध्यक्ष खेमलाल चौधरी बनाये गये.
20 अगस्त 2005 : टाटा लीज नवीकरण समझौते से 1800 हेक्टेयर भूखंड, जो लीज से बाहर हुआ, उसका लीज बंदोबस्त का अधिकार मिलेगा.
2011 : केंद्रीय बस्ती विकास समिति के अध्यक्ष चंद्रशेखर मिश्रा बने. हाईकोर्ट में मुकदमा दायर किया.
11 फरवरी 2018 : सीएम ने आदित्यपुर के जयप्रकाश उद्यान में शिलान्यास समारोह में जमीन का अधिकार दिये जाने की थी घोषणा.
86 बस्तियों में शामिल होने वाले बस्तियों के नाम
बिरसानगर जोन नंबर एक से जोन नंबर 10 तक, बारीडीह बस्ती, भोजपुर कॉलोनी, मिथिला कॉलोनी, बागुननगर, बागुनहातु, कानू भट्ठा, लाल भट्ठा, नागाडुंगरी, भुइयांडीह, निर्मलनगर, इंदिरा कॉलोनी, छायानगर, चंडीनगर, रघुवर नगर, भक्तिनगर, जेम्को महानंद बस्ती, लाल बाबा फाउंड्री, मछुआ टोला, प्रेमनगर, लक्ष्मीनगर, झागरुबागान, काशीडीह, बाबूडीह बस्ती, कैलाशनगर, ईस्ट प्लांट बस्ती, शांतिनगर, कल्याणनगर, बारीडीह पटना कॉलोनी, मोहरदा, कंचन नगर, मनीफीट बस्ती, ग्वाला बस्ती, विद्यापतिनगर, हाड़ गोदाम क्षेत्र, काशीडीह, बागान एरिया, अर्जुन कॉलोनी, लॉन्ग टॉन्ग बस्ती, देवनगर, कुष्ठ आश्रम बर्मामाइंस बीपीएम हाईस्कूल के समीप कई इलाकों में बसी बस्तियां.
शिड्यूल 4 की इन बस्तियों को लेकर संशय
भुइयांडीह, छायानगर, चंडीनगर, प्रेमनगर, लक्ष्मीनगर, झगरुबागान, काशीडीह, निर्मलनगर, पंचवटी नगर व कदमा व सोनारी के ऐसे क्षेत्र, जो कंपनी के लीज क्षेत्र में शामिल है. शिड्यूल 4 को लेकर सर्वे की बातें हुई थी, लेकिन आज तक उसका सर्वे नहीं हो पाया.
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