Loading election data...

बिना ऑक्सीजन सप्लीमेंट के फिर दुनिया की सबसे ऊंची चोटी एवरेस्ट फतह करने निकलीं टाटा स्टील की अस्मिता दोरजी

अस्मिता दोरजी 14 अप्रैल को एवरेस्ट बेस कैंप पहुंचेंगी. वहां से वे 45 दिन के कठिन सफर पर निकलेंगी. इस बीच वे परिस्थिति के अनुकूल होने के लिए अभ्यास प्रक्रिया से गुजरेंगी. अस्मिता को टाटा स्टील के वीपी सीएस चाणक्य चौधरी, टाटा स्टील एडवेंचर फाउंडेशन के चीफ हेमंत गुप्ता ने शुभकामनाएं दी.

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 9, 2023 1:57 AM

जमशेदपुर, निसार. टाटा स्टील एडवेंचर फाउंडेशन (टीएसएएफ) की सीनियर इंस्ट्रक्टर अस्मिता दोरजी अपने साहस का परिचय देते हुए एक बार फिर एवरेस्ट के कठिन अभियान पर निकल गयी हैं. अस्मिता के लिए यह अभियान और भी कठिन इसलिए हो जाता है क्योंकि वह बिना ऑक्सीजन सप्लीमेंट दुनिया की सबसे ऊंची चोटी एवरेस्ट (8,848 मीटर) फतह करने जा रही हैं. इस अभियान में टाटा स्टील उनका सहयोग कर रही है. इससे पूर्व 2022 में बिना ऑक्सीजन सप्लीमेंट के एवरेस्ट फतह करने वाली अस्मिता मात्र 100 मीटर से चूक गयी थीं. अपने लक्ष्य से मात्र 100 मीटर पहले वह गस्त खाकर गिर गयी थीं. इतने नजदीक से तकलीफ देखने के बावजूद उन्होंने एक बार फिर इस कठिन चढ़ाई को पूरी करने के लिए ठानी है.

14 अप्रैल को 45 दिन के कठिन सफर पर रवाना होंगी

अस्मिता दोरजी 14 अप्रैल को एवरेस्ट बेस कैंप पहुंचेंगी. वहां से वे 45 दिन के कठिन सफर पर निकलेंगी. इस बीच वे परिस्थिति के अनुकूल होने के लिए अभ्यास प्रक्रिया से गुजरेंगी. मई के अंतिम सप्ताह में संभवत: वे एवरेस्ट फतह कर लेंगी. अस्मिता को टाटा स्टील के वीपी सीएस चाणक्य चौधरी, टाटा स्टील एडवेंचर फाउंडेशन के चीफ हेमंत गुप्ता ने शुभकामनाएं दीं.

Also Read: झारखंड: बीजेपी का हेमंत हटाओ-झारखंड बचाओ आंदोलन 11 अप्रैल को, मुख्यमंत्री सचिवालय के घेराव की बनी रणनीति

2022 में मनास्लु फतह कर रचा था इतिहास

अस्मिता दोरजी ने अक्तूबर 2022 में नेपाल में स्थित दुनिया के आठवें सबसे ऊंचे पर्वत मनास्लु (8163) को फतह कर इतिहास रचा था. कदमा लिंक रोड निवासी अस्मिता दोरजी ने बिना ऑक्सीजन सप्लीमेंट के एवरेस्ट अभियान में जाने से पूर्व काफी कठिन ट्रेनिंग की है. एवरेस्ट विजेता हेमंत गुप्ता ने बताया कि जैसे-जैसे एवरेस्ट पर चढ़ाई बढ़ती जाती है, वैसे-वैसे ऑक्सीजन की कमी महसूस होने लगती है. इसलिए यह अस्मिता का साहस ही है कि वे इतने कठिन मिशन पर जा रही हैं.

Next Article

Exit mobile version