Jamshedpur News: लौहनगरी जमशेदपुर की महिलाएं आज हर क्षेत्र में आगे बढ़ ऐतिहासिक उपलब्धियां हासिल कर रही हैं. वे उच्च शिक्षा ग्रहण कर समाज एवं देश के विकास में अपना अहम योगदान दे रही है. चिकित्सा, इंजीनियरिंग, कंप्यूटर, प्रौद्योगिकी, प्रशासनिक एवं पुलिस सेवा में महिलाएं परचम लहरा रही हैं. यहां की कंपनियों में महिलाएं फावड़ा से लेकर ड्रिलिंग मशीन तक और डंपर चलाने से लेकर डोजर-शॉवेल जैसी हेवी मशीनें भी चला रही हैं.
जमशेदपुर की महिलाओं की शक्ति का सूरज अब रात में भी उगेगा. महिलाएं अब नाइट शिफ्ट में भी ड्यूटी करेंगी. टाटा स्टील ने कंपनी की एक पूरी यूनिट को महिलाओं के जिम्मे सौंपने का निर्णय लिया है. इस यूनिट में महिलाएं तीनों शिफ्ट में काम करेंगी. स्थापना काल से ही कंपनी कर्मचारियों और समाज के लिए कई ऐसी योजनाएं लायी है, जिसे बाद में केंद्र सरकार ने कानून का रूप दिया.
इसमें पीएफ, ग्रेच्युटी, मेडिकल सुविधा समेत अन्य कई ऐसी सुविधाएं हैं, जिसकी पहल टाटा स्टील ने की, जिसने बाद में देश में कानून का रूप लिया. इसी तरह की एक और बड़ी पहल टाटा स्टील महिला सशक्तीकरण की दिशा में करने जा रही है. टाटा स्टील के ग्लोबल सीइओ एंड एमडी टीवी नरेंद्रन ने पिछले दिनों एक कार्यक्रम के दौरान इस बात का जिक्र करते हुए कहा कि नाइट शिफ्ट में महिलाओं के काम करने को लेकर प्रबंधन ने झारखंड, ओडिशा और गुजरात सरकार को प्रस्ताव बना कर भेजा है.
ओडिशा और गुजरात सरकार ने सहमति दे दी है. जबकि झारखंड सरकार से सहमति का इंतजार है. प्रभात खबर टीम ने इस विषय पर टाटा स्टील की महिला कर्मचारियों और शहर की छात्राओं से बात कर यह जानना चाहा कि औद्योगिक क्षेत्र में महिलाओं के लिए नाइट शिफ्ट ड्यूटी कितनी अनुकूल है. पेश है उनसे बातचीत के प्रमुख अंश.
मैं वर्ष 1990 से टाटा स्टील में कार्यरत हूं और 2012 से कमेटी मेंबर भी हूं. मैं जिस जॉब में हूं, उसमें चौबीस घंटे ड्यूटी करनी पड़ती है. टाटा स्टील की प्लांट में नाइट शिफ्ट शुरू करवाने की योजना सराहनीय है. अब समय बदल रहा है. महिलाएं हर जॉब में खुद को निखार रही हैं और बेहतर कर रही हैं. अब उनके लिए रात या दिन को लेकर कोई संकोच नहीं है.
टाटा स्टील ऐसी कंपनी है, जहां वीमेन इंपावरमेंट, वीमेन सेफ्टी और वीमेन एमिनिटी पर विशेष ध्यान देती है. कंपनी अपने एथिक्स और सेफ्टी को लेकर काफी सचेत व गंभीर है. ऐसे में प्लांट में महिलाकर्मियों के लिए नाइट शिफ्ट ड्यूटी शुरू होती है, तो उनके लिए हर व्यवस्था व सुरक्षा देगी, यह तय है.
-निशा निधि, टाटा स्टील कर्मी, मेडिकल सर्विसेस
महिलाओं के नाइट शिफ्ट वाली ड्यूटी का स्वागत है. मैं पिछले 30 वर्षों टाटा स्टील में कार्यरत हूं. आज तक मुझे प्लांट में असुरक्षा का अनुभव नहीं हुआ बल्कि टाटा स्टील ऐसी कंपनी है जहां महिलाओं की सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया जाता है. अब तो जगह-जगह सीसीटीवी कैमरा लगे हैं. ड्यूटी दिन की हो या रात की, कामकाजी महिलाएं अब हर वक्त के लिए खुद को ढाल चुकी हैं. नाइट ड्यूटी की यह पहल औद्योगिक जगत और महिला सशक्तीकरण के लिए माइल स्टोन साबित होगा.
-रेबा मोहंती, टाटा स्टील कर्मी, एचआर विभाग
मैं 2015 से ट्रेड अप्रेंटिस के माध्यम से टाटा स्टील से जुड़ी हूं. मैंने कभी भी कंपनी में खुद को असुरक्षित महसूस नहीं किया है.मैंने सीएनसी ऑपरेटर, मेंटेनेंस तक का वर्क किया है. बी शिफ्ट में मेंटेनेंस का भी मुझे काफी काफी अच्छा अनुभव रहा है. मेरे साथ एचआर विभाग के लोग भी होते हैं. टाटा स्टील महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने की दिशा में काम कर रही है. ऐसे में नाइट ड्यूटी कोई मुद्दा नहीं है. महिलाओं को अब इसके लिए तैयार रहना होगा.
स्मिति तिवारी , टाटा स्टील कर्मी
पुरुषों के साथ महिलाएं कदम से कदम मिला कर काम कर रही हैं. इसलिए नाइट शिफ्ट की पहल अच्छी है. लेकिन महिला सुरक्षा, ट्रांसपोर्ट की व्यवस्था की सुविधा मिलनी चाहिए. यह चुनौतीपूर्ण है, लेकिन शुरुआत होनी चाहिए.
– लक्ष्मी मुर्मू, एमएससी (थर्ड सेमेस्टर), वीमेंस यूनिवर्सिटी
परिणाम कुछ भी शुरुआत होनी चाहिए.अच्छी पहल होगी. लेकिन सुरक्षा व्यवस्था और ट्रांसपोर्ट व्यवस्था मिलना चाहिए. नाइट शिफ्ट होने पर महिलाओं के लिए नौकरी के अवसर खुलेंगे.
– संपा नाग, एमएससी(फाइनल ईयर), वीमेंस यूनिवर्सिटी
स्वेच्छिक रूप से जो महिला नाइट शिफ्ट करना चाहे उसे ही दिया जाये. तो बेहतर अवसर हो सकते हैं. सुरक्षा अहम विषय है इस पर ध्यान देना बहुत जरूरी है.
– श्वेता कुमारी , पीजी, ग्रेजुएट स्कूल कॉलेज फॉर वीमेन
सुविधा के साथ अच्छी पहल, कंपनी ने महिला हितों के बारे में सोचा
नाइट शिफ्ट की पहल अच्छी है. महिलाओं को नये अवसर मिल रहे हैं. निश्चित रूप से कंपनी ने महिला हित के बारे में सोच कर ही यह निर्णय लिया है. सुविधा मिले तो महिलाएं भी पुरुषों के समान नाइट शिफ्ट ड्यूटी कर सकती है.
सिमरन दास, सेमेस्टर-4, ग्रेजुएट स्कूल कॉलेज फॉर वीमेन
समानता की बात होती है तो समान अधिकार और समान जिम्मेदारी भी मिलनी चाहिए. महिलाओं के लिए नाइट शिफ्ट की शुरुआत होना एक अच्छी पहल साबित हो सकती है. लेकिन इसमें महिलाओं के हित व सुरक्षा का भी ध्यान रखा जाये.
– ज्योति दे, एमएससी (थर्ड सेमेस्टर), वीमेंस यूनिवर्सिटी
जब पुरुष नाइट शिफ्ट कर सकते हैं तो महिलाएं क्यों नहीं . शुरुआत होनी चाहिए. महिला सेफ्टी का ध्यान रखा जाये. यह बेहतर अवसर है. समस्या आने पर सुधार की पहल भी होनी चाहिए.
– आंकाक्षा सुमन, पीजी, मास कम्युनिकेशन, करीम सिटी कॉलेज
अब तक नाइट शिफ्ट की पहल नहीं हुई थी. अवसर मिलना चाहिए लेकिन सुरक्षा और ट्रांसपोर्टिंग की व्यवस्था भी तो महिलाओं के लिए सहज होगी.
– शालिनी, एम-कॉम, ग्रेजुएट स्कूल कॉलेज फॉर वीमेन