Tata Steel: ट्रांसजेंडरों को नयी जिंदगी के लिए 2 लाख रुपए व 30 दिनों का अवकाश, स्पेशल पैकेज भी देती है टाटा स्टील

टाटा स्टील ट्रांसजेंडरों को नयी जिंदगी देने में जुटी है. इसके लिए 2 लाख रुपए व 30 दिनों का अवकाश देती है. इन्हें कंपनी स्पेशल पैकेज भी देती है, ताकि ये भी समाज की मुख्यधारा से जुड़कर सम्मानजनक जिंदगी जी सकें.

By Guru Swarup Mishra | June 18, 2024 10:01 PM

जमशेदपुर, ब्रजेश सिंह: टाटा स्टील ट्रांसजेंडरों यानी एलजीबीटीक्यूआइए प्लस (लेस्बियन, गे, बाइसेक्सुअल, ट्रांसपर्सन, क्वीर, इंटरसेक्स, एसेक्सुअल और कई अन्य) को मुख्यधारा से जोड़ने वाली देश की पहली कंपनी है. कंपनी ने काफी रिसर्च के बाद अपने कार्यस्थल पर एलजीबीटीक्यूआइए के लायक माहौल तैयार किया है. करीब चार साल के प्रयास के बाद इन्हें अन्य कर्मचारियों के साथ काम कराया जा रहा है. वर्ष 2019 से ट्रांसजेंडरों को लेकर टाटा स्टील काम कर रही है. वर्तमान में टाटा स्टील में 113 ट्रांसजेंडर काम कर रहे हैं, जिसमें से 28 वेस्ट बोकारो, 9 नोवामुंडी, 12 कलिंगानगर, दो हल्दिया और 52 जमशेदपुर में कार्यरत हैं.

एलजीबीटीक्यूआइए कर्मचारियों को विशेष लाभ दे रही कंपनी


टाटा स्टील एलजीबीटीक्यूआइए कर्मचारियों को विशेष लाभ दे रही है. एलजीबीटीक्यूआइए प्लस कर्मचारियों और उनके पार्टनर्स की अनूठी जरूरतों को पूरा करने के लिए ये लाभ दे रही है. इनमें ज्वाइंट हाउसिंग प्वाइंट्स, विशेष हनीमून पैकेज, शीर्ष स्तरीय स्वास्थ्य सेवा प्रावधान और लिंग परिवर्तन के लिए समर्पित समर्थन शामिल हैं. ताकि प्रत्येक व्यक्ति मूल्यवान और सम्मानित महसूस करे. लिंग परिवर्तन के लिए कंपनी 30 दिनों का विशेष अवकाश देती है. साथ ही दो लाख रुपये की वित्तीय मदद भी करती है.

पहली बार 14 ट्रांसजेंडर को कंपनी में मिली थी नौकरी


ट्रांसजेंडर क्रेन, जेइ, इलेक्ट्रिकल मेंटेनेंस, मैकेनिकल मेंटेनेंस विभागों में काम कर रहे है. मैनुफैक्चरिंग सेक्टर में तीनों शिफ्ट में उनको काम दिया गया है. उनको नयी पहचान मिली है. उनको कार्य करने में कोई दिक्कत न हो, इसलिए एथिकल डिपार्टमेंट खुद इसकी मॉनिटरिंग करता है. दिसंबर, 2019 में वेस्ट बोकारो में 14 ट्रांसजेंडर की नियुक्ति हुई थी. अब कंपनी में इनकी संख्या 113 हो गयी है. टाटा स्टील देश की पहली कंपनी है, जिसने ट्रांसपर्सन प्रतिभाओं को काम पर रखने के लिए विशेष नियुक्ति अभियान की शुरुआत की. 100 से अधिक सदस्यों की भर्ती की. कंपनी ने वर्ष 2015 में इसकी शुरुआत की. कंपनी को अगले कुछ वर्षों में उम्मीद है कि उसके कार्यबल में कम से कम एक चौथाई लोग विविध समूहों (लिंग, सकारात्मक कार्रवाई समुदाय- हाशिये पर रहने वाले समूह, पीडब्ल्यूडी, एलजीबीटीक्यूआइए ) से हों.

हर व्यक्ति मूल्यवान, सम्मानित और सशक्त महसूस करे


टाटा स्टील की चीफ डायवर्सिटी ऑफिसर जया सिंह पांडा ने कहा कि कंपनी एक ऐसे कार्यस्थल को विकसित करने में विश्वास करती है, जहां हर व्यक्ति मूल्यवान, सम्मानित और सशक्त महसूस करे, चाहे उनका यौन अभ्यास या लिंग पहचान कुछ भी हो. विविधता कंपनी की सबसे बड़ी ताकत है और इस अभ्यास को जारी रखना दीर्घकालिक सफलता और नवाचार के लिए एक महत्वपूर्ण कारक है.

ऐसे कर्मचारियों ने क्या कहा-

  1. नोवामुंडी की एक ट्रांस-महिला कर्मचारी ने कहा कि पहले मेरे माता-पिता को मुझसे मतलब नहीं था, लेकिन जब टाटा स्टील में नौकरी लगी, तो माता-पिता ने मुझे महत्व देना शुरू कर दिया.
  2. जमशेदपुर के ट्रांस-पुरुष कर्मचारी ने कहा कि जबसे वह टाटा स्टील में काम कर रहा है, उसने अपनी बहन की शादी में माता-पिता की मदद की. इसकी न तो उनके माता-पिता और न ही उसने कभी कल्पना की थी.
  3. जमशेदपुर के ट्रांस-पुरुष कर्मचारी ने कहा कि टाटा स्टील में नौकरी लगने के बाद से माता-पिता साथ में रहते हैं और टाटा मेन हॉस्पिटल से चिकित्सा लाभ उठा रहे हैं, जो निःशुल्क है, क्योंकि वे उन पर आश्रित हैं. उन्हें उन पर गर्व है.
  4. जमशेदपुर की ट्रांस-महिला कर्मचारी ने कहा कि उनके पास रहने के लिए कोई जगह नहीं थी. टाटा स्टील ने उनके नाम पर आवास दिया, जिसे वह अपना कह सकती है .
  5. जमशेदपुर की ट्रांस-महिला कर्मचारी ने कहा कि टाटा स्टील में नौकरी के बाद उनके परिवार के सदस्य और दोस्त जो कभी उनसे बात नहीं करते थे, अब खुद के साथ-साथ अपने बच्चों के लिए भी उनसे मार्गदर्शन मांगते हैं.

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