Jharkhand News, जमशेदपुर न्यूज (विकास कुमार श्रीवास्तव) : टाटा स्टील ने आज अपने जमशेदपुर वर्क्स में 5 टन प्रति दिन (टीपीडी) क्षमता वाले कार्बन कैप्चर प्लांट का शुभारंभ किया. जिससे यह ऐसी कार्बन कैप्चर टेक्नोलॉजी अपनाने वाली देश की पहली स्टील कंपनी बन गई, जो ब्लास्ट फर्नेस गैस से सीधे कार्बन डाईऑक्साइड खींचकर निकालती है. सर्कुलर कार्बन इकोनॉमी को बढ़ावा देने के लिए टाटा स्टील साइट पर निकाले गए (कैप्चर किए गए) कार्बन डाईऑक्साइड का पुनः उपयोग भी करेगी. कंपनी के अधिकारियों और अन्य की उपस्थिति में टाटा स्टील के सीईओ व एमडी टी. वी. नरेंद्रन ने इस सीसीयू प्लांट का उद्घाटन किया.
यह कार्बन कैप्चर एंड यूटिलाइजेशन (सीसीयू) सुविधा अमाइन-आधारित टेक्नोलॉजी का उपयोग करती है और कैप्चर किए गए कार्बन का पुनः उपयोग के लिए इसे साइट पर ही उपलब्ध कराती है. इस प्रकार क्षीण कार्बन डायऑक्साइड गैस को बढ़े हुए ऊष्मीय मान (कैलोरीफिक वैल्यू) के साथ गैस नेटवर्क में वापस भेज दिया जाता है. इस परियोजना को ’कार्बन क्लीन’ नामक संस्थान के तकनीकी सहयोग से कार्यान्वित किया गया है, जो कम लागत वाली कार्बन टेक्नोलॉजी कैप्चर टेक्नोलॉजी में एक वर्ल्ड लीडर है.
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इस मौके पर श्री नरेंद्रन ने कहा कि टाटा ग्रुप के पथप्रदर्शक मूल्यों के अनुरूप हमने डी-कार्बोनाइजेशन की दिशा में अपनी यात्रा में एक महत्वपूर्ण रणनीतिक कदम उठाया है. हम बेहतर कल के लिए नये मानक स्थापित कर सस्टेनेबिलिटी में इंडस्ट्री लीडर बने रहने की अपनी खोज जारी रखेंगे. विश्व स्तर पर और विशेष रूप से भारत जैसे विकासशील देश में स्टील इंडस्ट्री की स्थिरता के लिए यह आवश्यक है कि हम बड़े पैमाने पर कार्बन डायऑक्साइड को कैप्चर कर इसका उपयोग करने के लिए किफायती समाधान खोजें. उत्सर्जन को कम करने, कम लागत वाली स्वच्छ ऊर्जा तक पहुंचने और सर्कुलर इकोनॉमी समाधान प्रदान करने में लीडरशिप ही इस सेक्टर में हमारी आगे की यात्रा को परिभाषित करेगा.
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‘कार्बन क्लीन’ के सीईओ अनिरुद्ध शर्मा ने कहा कि इस सफल परियोजना पर टाटा स्टील के साथ काम कर हमें बेहद प्रसन्नता हो रही है. वर्तमान में हम प्रति दिन 5 टन कार्बन डाइऑक्साइड कैप्चर कर रहे हैं, लेकिन हमारे सफल प्रदर्शन के बाद, हम कार्बन कैप्चर परियोजनाओं की संख्या में तेजी से वृद्धि करने की योजना बना रहे हैं. ब्लास्ट फर्नेस गैस से कार्बन डायऑक्साइड को पकड़ने से न केवल स्टील प्लांट कार्बन-रहित बनेंगे, बल्कि हाइड्रोजन इकोनॉमी के रास्ते भी खुलेंगे. कार्बन कैप्चर एंड यूटिलाइजेशन (सीसीयू) जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग के खिलाफ लड़ाई में एक महत्वपूर्ण साधन है. सीसीयू के क्षेत्र में ’टाटा स्टील’-’कार्बन क्लीन’ सहयोग एक सामयिक पहल है और स्थायी कल की दिशा में एक कदम है.
पिछले कुछ वर्षों में टाटा स्टील ने स्वच्छ और नवीकरणीय ऊर्जा के दोहन, ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन व उपयोग और वेस्ट हीट (अपशिष्ट ताप) रिकवरी टेक्नोलॉजियों को अपनाने के लिए कई पहल की है. टाटा स्टील ‘रिस्पॉन्सिबलस्टील’ का एक सदस्य है, जो सस्टेनेबिलिटी के लक्ष्यों को आगे बढ़ाने के लिए उद्योग की पहली वैश्विक मल्टी-स्टेकहोल्डर स्टैंडर्ड व सर्टीफिकेशन पहल है. टाटा स्टील ने अपनी स्टील रिसाइक्लिंग बिजनेस पहल में भी प्रगति की है, जो सस्टेनेबल स्टील के उत्पादन की दिशा में एक ठोस कदम है. कंपनी ने हरियाणा के रोहतक में अपना पहला स्टील रिसाइक्लिंग प्लांट स्थापित किया है, जो कम कार्बन-उत्सर्जन, कम संसाधन-खपत और कम ऊर्जा-उपयोग को सक्षम करेगा.
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यूके, यूएसए, जर्मनी, भारत, नॉर्वे और नीदरलैंड सहित 10 से अधिक स्थानों पर पॉवर, सीमेंट, रिफाइनरियों, सीएचपी और भारी उद्योग बॉयलरों में यह टेक्नॉलाजी बड़े पैमाने पर कारगर साबित हुई है. फिलहाल केमिकल सेक्टर में भारत के तूतीकोरिन में स्थित औद्योगिक पैमाने पर दुनिया के सबसे बड़े कार्बन कैप्चर और यूटिलाइजेशन प्लांट में इस टेक्नॉलाजी का उपयोग किया जा रहा है. ब्रिटेन की सरकार ने प्रतिस्पर्धी अनुदानों के माध्यम से ’कार्बन क्लीन’ को अपनी टेक्नोलॉजी विकसित करने में मदद की है. कंपनी को वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम द्वारा ’टेक्नोलॉजी पायनियर’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया है और हाल ही में इसे ‘सीमेक्स वेंचर टॉप्स50 कॉनटेक’ स्टार्टअप्स में से एक के रूप में चुना गया और इसे ‘2021 ग्लोबल क्लीनटेक 100 कंपनी’ का तमगा भी दिया गया.
Posted By : Guru Swarup Mishra