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प्रकृति के साथ संतुलन बनाने में टाटा स्टील की भूमिका अहम

Tata Steel plays an important role in maintaining balance with nature

By Prabhat Khabar News Desk | April 21, 2024 10:36 PM

वर्ष 2045 तक शुद्ध शून्य उत्सर्जन प्राप्त करने का रखा है लक्ष्य

कंपनी ने अप्रैल 2023 और जनवरी 2024 के बीच लगाये 2 लाख पौधे

जमशेदपुर. हर साल 22 अप्रैल को दुनियाभर में पृथ्वी दिवस मनाया जाता है. टाटा स्टील विकास की दौड़ के साथ-साथ प्रकृति के साथ संतुलन बनाने की भूमिका वर्षों से निभा रही है. इसी कड़ी में टाटा स्टील ने 17 साइटों के लिए जैव विविधता प्रबंधन योजनाएं विकसित की हैं. इसमें झारखंड के झरिया में 110 एकड़ लीजहोल्ड और बंजर सामुदायिक भूमि पर बांस के बागान लगाना भी शामिल है. इसके अतिरिक्त, गम्हरिया में 30 एकड़ के बंजर राख के टीले पर एक समृद्ध जैव विविधता पार्क, कैलाश टॉप बनाने से वायु प्रदूषण को कम करने में मदद मिली है और 25,000 पौधों और झाड़ियों के साथ जैव विविधता को बढ़ावा दिया है. कंपनी ने अप्रैल 2023 और जनवरी 2024 के बीच अपने लोकेशंस में 2,00000 पौधा लगाया है. टाटा स्टील ने अपने कार्बन फुटप्रिंट को कम करने और सस्टेनेबल अभ्यासों की ओर बढ़ने के प्रयास में 2045 तक शुद्ध शून्य उत्सर्जन प्राप्त करने के टाटा समूह के घोषित उद्देश्य के लिए प्रतिबद्ध है. इस पहल में कई तरह की योजनाएं शामिल हैं, जो न केवल कारोबार संचालन और वैल्यू चेन को डीकार्बोनाइज़ करने पर ध्यान केंद्रित करती हैं, बल्कि संसाधनों की खपत और अपशिष्ट को कम करने के साथ-साथ प्राकृतिक पर्यावरण को संरक्षित और पुनर्जीवित करने के उद्देश्य से एक व्यवस्थित, सर्कुलर इकोनॉमी दृष्टिकोण को भी अपनाती हैं. वैश्विक जागृति के दौरान टाटा स्टील दूरदर्शिता और जिम्मेदारी का प्रतीक बन गयी है. सस्टेनेबल अभ्यासों की ओर बढ़ने की आवश्यकता को पहचाना और इसके पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने के लिए सक्रिय कदम उठाए हैं.

वैश्विक स्तर पर जमशेदपुर वर्क्स में पहल

जमशेदपुर वर्क्स में वैश्विक स्तर पर पहला कदम बढ़ाते हुए टाटा स्टील ने जीवाश्म ईंधन की खपत को कम करने और सीओ 2 उत्सर्जन को कम करने के लिए अपने ब्लास्ट फर्नेस में से एक में हाइड्रोजन गैस की एक महत्वपूर्ण मात्रा को इंजेक्ट करके एक वैश्विक-प्रथम ग्रीन स्टीलमेकिंग ट्रायल शुरू किया. वित्त वर्ष 2022-23 में, टाटा स्टील ने अपने जमशेदपुर, कलिंगानगर और मेरामंडली यूनिट्स में 100% ठोस अपशिष्ट उपयोग प्राप्त करके एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की.

पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने की पहल

टाटा स्टील अक्षय ऊर्जा स्रोतों और ऊर्जा-कुशल प्रौद्योगिकियों को एकीकृत करके इसके पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने के लिए समर्पित है. टाटा स्टील के स्कोप 2 ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने में यह प्रतिबद्धता आवश्यक है. टाटा स्टील बिजली उत्पादन और हीटिंग उद्देश्यों के लिए अपनी प्रोसेस की गयी गैसों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा सक्रिय रूप से पुन: प्राप्त करती है. भारत में ब्यूरो ऑफ एनर्जी एफिशिएंसी के साथ सहयोग करते हुए, भारतीय साइटों पर ऊर्जा दक्षता परियोजनाओं की पहचान और कार्यान्वयन कर रही है. जीवाश्म ईंधन पर अपनी निर्भरता को रणनीतिक रूप से कम करने के लिए, कंपनी कैप्टिव व्यवस्था के तहत लगभग 950 मेगावाट सोलर एंड विंड हाइब्रिड रिन्यूएबल एनर्जी क्षमता स्थापित करने के लिए टाटा पावर रिन्यूएबल एनर्जी लिमिटेड के साथ साझेदारी कर रही है. देश में कंपनी की 379 मेगावाट बिजली की आवश्यकता को पूरा करेगी और सीओ 2 उत्सर्जन में 2 मिलियन टन से अधिक की सालाना कमी लाने में मदद करेगी.

जल की कमी को दूर करने के लिए फोर आर फ्रेमवर्क तकनीक

जल की कमी को दूर करने के लिए, कंपनी फोर आर फ्रेमवर्क का अनुपालन करती है. कम करें, पुनः उपयोग करें, पुनर्चक्रण करें और पुनः प्राप्त करें. सर्वोत्तम उपलब्ध तकनीकों का उपयोग करते हुए और प्लांट के भीतर ट्रीट किये गये वेस्ट एफल्यूंट्स के पुनर्चक्रण को अधिकतम करें. इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए एफल्यूंट ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित किए गए हैं. इसके अलावा कंपनी ट्रीट किये गये म्युनिसिपल वेस्ट वाटर का पुनः उपयोग करती है और कई स्थानों पर जल संचयन अवसंरचना को लागू किया है.

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