जिले में मैनपावर की भारी कमी, एक भी विशेषज्ञ चिकित्सक नहीं

जिले में चल रहे स्वास्थ्य संबंधित योजनाओं की स्थिति की जानकारी लेने के लिए केंद्रीय कॉमन रिव्यू मिशन की टीम ने शुक्रवार को अंतिम दिन निरीक्षण किया. इसके बाद बैठक की.

By Prabhat Khabar News Desk | November 29, 2024 9:18 PM

केंद्रीय कॉमन रिव्यू मिशन की टीम ने निरीक्षण के बाद डीसी और सीएस के साथ की बैठक, कहा

वरीय संवाददाता, जमशेदपुर .

जिले में चल रहे स्वास्थ्य संबंधित योजनाओं की स्थिति की जानकारी लेने के लिए केंद्रीय कॉमन रिव्यू मिशन की टीम ने शुक्रवार को अंतिम निरीक्षण किया. टीम के सदस्यों ने निरीक्षण के बाद सबसे पहले उपायुक्त अनन्य मित्तल के साथ बैठक की. उसके बाद शाम में सिविल सर्जन ऑफिस के सभागार में सिविल सर्जन डॉ साहिर पाल व अन्य स्वास्थ्य विभाग के पदाधिकारियों के साथ बैठक की.

बैठक में टीम ने बताया कि कहां-कहां कमी है उसको कैसे सुधार किया जा सकता है. टीम ने कहा कि हर पांच साल पर बेहतर कार्य करने वाले जिलों का चयन कर उसकी जांच की जाती है कि इसमें कुछ स्थानीय और कुछ राज्य व केंद्र स्तर से सुधार की आवश्यकता है, जिसकी रिपोर्ट सौंपी जायेगी. इसको लेकर शनिवार को रांची में राज्य स्तरीय बैठक की जायेगी. जिसमें इसकी रिपोर्ट देने के साथ कई दिशा निर्देश दिया जायेगा.

जांच के दौरान टीम ने पाया कि जिले में मैनपावर की भारी कमी है. इसमें चिकित्सक से लेकर नर्स, फार्मासिस्ट सहित अन्य कर्मचारी शामिल हैं. वहीं, एक भी विशेषज्ञ चिकित्सक नहीं है, जिसपर तत्काल काम करने की जरूरत है. टीम ने सुझाव दिया है कि जबतक कोई विशेषज्ञ चिकित्सकों की नियुक्ति नहीं हो जाती तब तक कुछ वैकल्पिक व्यवस्था की जाये ताकि मरीजों को बेहतर चिकित्सा मिल सके. इसके साथ ही एसएनसीयू (स्पेशल न्यूबार्न केयर यूनिट) में नर्सों की संख्या बढ़ाने को कहा गया.

जबकि कोल्ड चैन सेंटर (टीकाकरण भंडारण) पर फार्मासिस्टों या नर्सों की नियुक्ति करने को कहा गया है. ताकि उसका संचालन बेहतर ढंग हो सके. टीम ने यह भी कहा कि गर्भवती महिलाओं का नियमित जांच और शत प्रतिशत संस्थागत प्रसव कराने पर विशेष रूप से काम करने की जरूरत है. इस सदी में भी अगर घरों में प्रसव हो रहा है तो वह चिंता का विषय है. इस दौरान जच्चा-बच्चा दोनों को कई रूप से खतरा रहता है. उन्होंने कहा कि गर्भवती महिलाओं में खून की कमी होना खतरनाक है इसको मोनेटरिंग करने की जरूरत है.

जिनका हीमोग्लोबिन कम हो उसे आयरन, कैल्शियम सहित अन्य दवाइयां उपलब्ध करायी जाये. निरीक्षण के दौरान पाया गया कि पोटका में आयरन की दवा नहीं है, जो चिंता का विषय है. इस तरह की स्थिति नहीं होनी चाहिए. इस दौरान केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के निदेशक डॉ. इंद्रनील दास, मलय कुमार हलदर, डॉ. पीजे श्रीनिवास, डॉ, सुधीरा, डॉ. सिंधु, डॉ. प्रियंका, मृत्युंजय चंद्रा, डॉ. उर्वशी, सिविल सर्जन डॉ. साहिर पाल सहित अन्य उपस्थित थे.

एनसीडी प्रोजेक्ट पर सख्ती से काम करने का निर्देश

पहले मोटापा, मधुमेह, हार्ट, ब्लड प्रेशर, कैंसर सहित अन्य बीमारियों के मरीजों की संख्या शहरी क्षेत्रों में अधिक होती थी लेकिन अब वैसी बात नहीं रही है. बदलते जीवनशैली, खान-पान सहित अन्य कारणों से ग्रामीण क्षेत्रों में भी गैर-संचारी रोग तेजी से बढ़ रहा है, जो चिंता का विषय है. इस तरह के मरीजों की रोकथाम, उनकी पहचान और समय पर इलाज उपलब्ध कराने के मकसद से एनसीडी कार्यक्रम की शुरुआत की गयी है.

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