जमशेदपुर, दशमथ सोरेन: वीर शहीद तिलका मांझी की स्मृति में उनकी जयंती के अवसर पर झारखंड के जमशेदपुर के तिलकागढ़ गांव में भव्य समारोह का आयोजन किया गया और बाबा तिलका मांझी के अमूल्य योगदान को याद किया गया. गांव की महिलाओं ने उपवास रखकर उनकी पूजा-अर्चना की. गोन के पुजारी बाबा नाइकी बाबा ने नारियल और धूप-दीप व धुना दिखाकर पारंपरिक तरीके से उनकी पूजा की. गांव की महिलाएं पारंपरिक साड़ी पहनी हुई थीं. पूजा-अर्चना के बाद सभी ने बाबा तिलका मांझी के जयकारे लगाए. तिलकागढ़ गांव बाबा तिलका मांझी के नाम पर ही रखा गया है. इस वजह से यहां उनकी जयंती पर अलग ही माहौल रहता है. गांव में बाबा तिलका मांझी को भगवान की तरह ही पूजा जाता है.
स्वतंत्रता संग्राम का फूंका था बिगुल
आजादी के सात दशक बाद भी हमारे देश के शहीदों को समाज में उचित सम्मान नहीं मिल सका है. अंग्रेजी हुकूमत को उखाड़ फेंकने एवं अजादी की लड़ाई में इन्होंने हंसते-हंसते अपने प्राणों की आहुति दे दी. इन्हीं वीर शहीदों में से एक थे बाबा तिलका मांझी. भागलपुर से 1784 में इन्होंने स्वतंत्रता संग्राम का प्रथम बिगुल फूंका था और अंग्रेजी सम्राज्य के खिलाफ संघर्ष करते हुए हंसते-हंसते उन्होंने अपने प्राण की आहुति दे दी. भागलपुर में वटवृक्ष पर इन्हें फांसी दे दी गयी थी.
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बाबा तिलका मांझी के नाम पर है इस गांव का नाम तिलकागढ़
यह तिलकागढ़ गांव बाबा तिलका मांझी के नाम पर ही रखा गया है. इस वजह से यहां उनकी जयंती पर अलग ही माहौल रहता है. गांव में बाबा तिलका मांझी को भगवान की तरह ही पूजा जाता है. लौह नगरी जमशेदपुर में दर्जनों जगहों पर बाबा तिलका मांझी की जयंती का आयोजन किया गया. इसके अलावा विभिन्न शहरों एवं कस्बों में भी उनकी जयंती का आयोजन कर उनके बलिदान को याद किया गया.
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