UPSC Result 2021: संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा में इस बार झारखंड के 31 से अधिक अभ्यर्थियों ने सफलता पायी है. इनमें अधिकांश सफल अभ्यर्थी इंजीनियरिंग बैकग्राउंड के हैं. जमशेदपुर स्थित मानेगा मून सिटी की श्रुतिराज लक्ष्मी देशभर में 25वीं रैंक लाकर झारखंड से टॉपर बनी है. प्रभात खबर से बात करते हुए श्रुतिराज लक्ष्मी ने कहा कि किसी भी परीक्षा के लिए धैर्य बहुत जरूरी है. कहा कि फोकस्ड तैयारी बेहतर होता है. जितना पढ़ें, उतना ही रिवाइज करें.
जमशेदपुर से हुई प्रारंभिक शिक्षा
श्रुतिराज लक्ष्मी की प्रारंभिक शिक्षा जमशेदपुर से हुई है. जमशेदपुर के लोयला स्कूल से 10वीं की पढ़ाई. वहीं, 12वीं की पढ़ाई उसने दिल्ली के आरकेपुरम स्थित डीपीएस से की है. इसके बाद उन्होंने बीएचयू आईआईटी से वर्ष 2019 में कंप्यूटर साइंस में पढ़ाई की. इनके पिता आनंद कुमार झारखंड हाईकोर्ट में अधिवक्ता हैं और मां प्रीति समाज कल्याण विभाग, रांची में कार्यरत हैं. श्रुतिराज को दूसरे प्रयास में सफलता मिली है.
सवाल : आपने शिक्षा कहां से हासिल की?
जवाब : मैंने लोयोला स्कूल जमशेदपुर से दसवीं तक की पढ़ाई की. मैं वर्ष 2013 बैच की छात्रा थी. 97.6 प्रतिशत अंक हासिल कर मैं झारखंड की सेकेंड टॉपर बनी थी. इसके बाद डीपीएस आरके पूरम से प्लस टू की पढ़ाई पीसीएम से की. 96.6 प्रतिशत अंक हासिल हुए थे. इसके बाद आइआइटी बीएचयू से कंप्यूटर साइंस से बीटेक किया.
Also Read: UPSC Result: जमशेदपुर की श्रुति राज लक्ष्मी को मिला 25वां रैंक, झारखंड के अन्य टॉपर्स को जानें
सवाल : बीटेक करने के बाद ये कब अौर कैसे तय किया कि सिविल सर्विसेस में जाना है?
जवाब : बीटेक करने के बाद बेंगलुरु की एक आइटी कंपनी में मेरा प्लेसमेंट हो गया था. वहां मैंने आठ माह नौकरी की. नौकरी के दौरान ही मुझे लगा कि मेरे पास टेक्नोलॉजी की अच्छी जानकारी है. इसका इस्तेमाल अगर प्रशासनिक क्षेत्र में किया जाये, तो देश के विकास में मैं काफी कंट्रीब्यूट कर सकती हूं. वहीं मैंने तय किया अौर उसके बाद नौकरी छोड़ दी.
सवाल : क्या आपने सोचा था कि आपको 25 वां रैंक या फिर इतना अच्छा रैंक हासिल होगा?
जवाब : कभी भी नहीं. ये मेरे लिए अप्रत्याशित था. मैं तो ये सोच रही थी कि क्लियर जरूर हो जायेगा, 400-500 रैंक आयेगा. रैंक सुधारने के लिए दुबारा परीक्षा देनी होगी, लेकिन मैं टॉप 30 में आ जाऊंगी यह कभी सोचा ही नहीं था.
सवाल : नौकरी छोड़ जब आपने तैयारी शुरू की,तो कभी ख्याल आया कि गलती हो गयी?
जवाब : बिल्कुल आया था. नौकरी छोड़ने के बाद फिनांशियल सिक्यूरिटी चली गयी थी. तैयारी भी सही तरीके से नहीं हो रही थी, कई बार सोची कि लगता है कि गलती हो गयी. लेकिन उसके बाद मम्मी-पापा से बात की, खुद को समझाया अौर उसके बाद पूरी ताकत से अपने आप को झोंक दिया. नतीजा सामने है.
सवाल : सबसे कठिन काम होता है विषयों का चयन करना, इसे आपने कैसे किया था?
जवाब : आपने बहुत सही कहा. मेरे साथ भी कुछ ऐसा हुआ था. मैं साइंस बैकग्राउंड से थी. क्या विषय चुन कर आगे बढ़े, इसे लेकर बहुत कन्फ्यूजन हो रहा था. कई टॉपर से बातचीत की. इसके बाद एक नये विषय के बारे में जानकारी मिली. वो विषय था एंथ्रो पॉलिटी. इसमें ह्यूमैनिटी से लेकर साइंस के सभी सब्जेक्ट यहां तक की बायोलॉजी के भी कई चैप्टर कवर हो रहे थे. ये मेरे इंट्रेस्ट का सब्जेक्ट था. यही कारण है कि मैंने यह विषय चुना.
सवाल : परीक्षा की तैयारी आपने किस प्रकार से की थी, क्या कहीं से कोचिंग ली थी?
जवाब : इस परीक्षा की तैयारी मैंने वर्ष 2020 से शुरू की. तैयारी शुरू करने से पूर्व सिविल सर्विसेज के टॉपरों से एक बुक लिस्ट मिला था. उस बुक को फॉलो किया. मैंने इस परीक्षा के लिए कोई कोचिंग नहीं ली. सिर्फ टेस्ट सीरीज में हिस्सा लिया करती थी, ताकि खुद की तैयारी को परख सकूं.
सवाल : कितनी देर तक और किस प्रकार पढ़ाई करती थीं?
जवाब : मैंने पढ़ाई को घंटों में नहीं आंका. लेकिन यह कह सकती हूं कि काफी ज्यादा देर तक एक साथ कभी नहीं पढ़ाई करती थी. 3 घंटे पढ़ाई करने के बाद ब्रेक लेती थी. तीन से चार स्लॉट में पढ़ाई करती थी. मैंने एक काम सुनिश्चित किया था कि मैं अगर घंटे पढ़ती, तो उसमें छह घंटे नयी चीजें पढ़ती. दो घंटे रिवीजन करती, वहीं दो घंटे लिखने की प्रैक्टिस करती थी.
सवाल : बोर होने पर अगले स्लॉट की पढ़ाई के लिए खुद को कैसे तैयार करती थीं?
जवाब : मैं एक स्लॉट पढ़ाई करने के बाद मम्मी-पापा, दादा-दादी व छोटी बहन से बात करती थी. अगले स्लॉट में एक्सरसाइज करती थी तो उसके बाद वाले स्लॉट में कुछ दोस्तों से बात कर लेती थी.
सवाल : सोशल मीडिया पर कितनी एक्टिव हैं?
जवाब : मैंने जब सोचा कि मुझे सीरियस होकर तैयारी करनी है तो सबसे पहला काम किया ह्वाट्सएप को डिलीट कर दिया. मेरा किसी सोशल मीडिया पर कोई अकाउंट नहीं है. क्योंकि मुझे लगता है कि उसमें तैयारी करने वाले स्टूडेंट के लिहाज से काम कम समय की बर्बादी ज्यादा होती है.
सवाल : इस परीक्षा की तैयारी करने वाले स्टूडेंट्स को आप क्या संदेश देना चाहेंगी?
जवाब : मेरा मानना है कि इस परीक्षा में लगे रहने से हो जाता है. धैर्य बहुत ज्यादा चाहिए. कई बार आपको लगेगा कि नहीं होगा. समय निकल रहा है, कई लोग मिलेंगे जो ये सलाह देंगे कि नेट दे दो, कुछ अौर कर लो, नहीं होगा, लेकिन इन सब से ध्यान सिर्फ अौर सिर्फ भटकेगा ही. आप फोकस्ड होकर तैयारी करें. जितना पढ़ें, उतना ही रिवाइज करें, साथ ही हर दिन लिखने की प्रैक्टिस भी करें.
रिपोर्ट : संदीप सवर्ण, जमशेदपुर.