झारखंड: जमशेदपुर शहर में जल संकट, ट्रीटमेंट के बाद भी पीने लायक नहीं है पानी, ये है वजह
नदियों का घटता जलस्तर व उसका प्रदूषण जमशेदपुर और आसपास के लोगों के लिए खतरे की घंटी बजा रहा है. नदी के प्रदूषण का स्तर इतना पहुंच चुका है कि इसका पानी ट्रीटमेंट के बाद भी पीने लायक नहीं बताया जा रहा है.
जमशेदपुर: टाटा कमांड एरिया में इस वर्ष पानी की आपूर्ति व्यवस्था चरमराई हुई है. कई जगहों से कीड़ा युक्त पानी निकलने की शिकायतें आ रही हैं. इस पर टाटा स्टील यूआइएसएल (पहले जुस्को) की ओर से बताया जा रहा है कि नदी में प्रदूषण ज्यादा होने व डिमना डैम में पानी का स्तर कम होने के कारण पानी की सप्लाई प्रभावित हो रही है. नदी का जलस्तर भी काफी नीचे चला गया है. जलस्तर कम होने के कारण बिरसानगर के मोहरदा जलापूर्ति के लिए भी पानी का उठाव नहीं हो पा रहा है. कई जगहों पर गंदगी इतनी ज्यादा है कि पानी काफी गंदा आ रहा है.
10 साल पहले सुवर्णरेखा नदी का जलस्तर पहुंच गया था 115.160 मीटर
सेंट्रल वाटर कमीशन के मुताबिक, बीते करीब 10 सालों में इतना नीचे पानी का स्तर नहीं गया. आंकड़ों के मुताबिक, सुवर्णरेखा नदी में 16 जुलाई तक पानी का स्तर 115.240 मीटर था, जबकि पिछले साल इसी अवधि में 115.700 था. सुवर्णरेखा का जलस्तर 11 साल पहले 115.160 हो गया था. यह अब तक का न्यूनतम जलस्तर था. वहीं, खरकई नदी का जलस्तर 16 जुलाई तक 124.790 मीटर रहा जबकि पिछले साल यह जलस्तर 123.670 था.
खतरनाक स्तर पर पहुंचा नदियों का प्रदूषण
नदियों का घटता जलस्तर व उसका प्रदूषण जमशेदपुर और आसपास के लोगों के लिए खतरे की घंटी बजा रहा है. नदी के प्रदूषण का स्तर इतना पहुंच चुका है कि इसका पानी ट्रीटमेंट के बाद भी पीने लायक नहीं बताया जा रहा है. बताया जाता है कि पानी में नाइट्रेट की मात्रा काफी अधिक है. जुस्को सामान्य तौर पर पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए प्रयासरत है, लेकिन इसको लेकर भी कई तरह की दिक्कतें पेश आ रही हैं.
पानी के ठहराव की वजह से फैल रही है जलकुंभी
कंपनी अधिकारिक तौर पर कहा गया है कि पानी की सफाई को लेकर टाटा स्टील यूआइएसएल तत्पर है. नदी में उत्पन्न जलकुंभी हटाने का कार्य कर रही है, साथ ही कीटाणुशोधन रसायनों की मात्रा बढ़ायी गयी है जिससे शुद्ध पानी की आपूर्ति की जाए, इसके आलावा पाइपलाइन फ्लशिंग की आवृत्ति बढ़ा दी गयी है. कंपनी के मुताबिक, पानी के ठहराव के कारण जलकुंभी उत्पन्न होने के की वजह से प्रदूषण बढ़ रहा है. इसके अलावा नदी का पीएच लेवल भी काफी ज्यादा है. पीएच 10 के करीब है, जबकि इसका मानक 7 है. प्रदूषण विभाग का मानना है कि इसके पानी का इस्तेमाल स्नान और इंडस्ट्रियल उपयोग के लिए ही किया जा सकता है. नदी से पानी के उठाव वाले एरिया में कीड़े की मात्रा काफी अधिक है.
चीफ इंजीनियर ने क्या बताया
चांडिल डैम के बायीं मुख्य नहर से घाटशिला व आसपास के किसानों के लिए पानी छोड़ा जायेगा. सोमवार को सुबह आठ बजे तक चांडिल डैम का जलस्तर 177.05 आरएल मीटर था. चीफ इंजीनियर चांडिल कॉम्प्लेक्स संजय कुमार के आदेश से दो क्यूमेक्स पानी सोमवार को बायीं मुख्य नहर में छोड़ा गया. चीफ इंजीनियर ने बताया कि पहली खेप में 3-4 दिनों में कुल 12 क्यूमेक्स पानी बायीं मुख्य नहर में छोड़ा जायेगा. चांडिल डैम में पानी कम है. बारिश भी कम हुई है. दो दिन पूर्व 176.90 आरएल मीटर जलस्तर था और वर्तमान में यह 177.05 आरएल मीटर है. चीफ इंजीनियर ने बताया कि इस साल सुवर्णरेखा बहुद्देश्यीय परियोजना में पूर्वी सिंहभूम के अलावा सरायकेला खरसावां जिले में 55 हजार हेक्टेयर में सिंचाई का लक्ष्य रखा गया है.
चांडिल डैम का जलस्तर 177.05 मीटर
चांडिल डैम का जलस्तर 16 जुलाई तक 177.05 मीटर था. पिछले साल यह 180 मीटर तक चला गया था. वहीं, आदित्यपुर समेत आसपास के इलाके में वाटरलेवल 12.25 फीट था. पिछले साल इसी अवधि में 15 फीट तक पहुंच गया था. डिमना डैम का जलस्तर इस साल 518.8 फीट है, जबकि पिछले यह साल 520 फीट था.
Also Read: Explainer: झारखंड की 30 हजार से अधिक महिलाओं की कैसे बदल गयी जिंदगी? अब नहीं बेचतीं हड़िया-शराब