जमशेदपुर, विकास श्रीवास्तव: जनवरी व फरवरी में बारिश नहीं होने का असर बस्ती इलाकों में दिखने लगा है. भू-जलस्तर सामान्य से 30 से 50 फुट नीचे जा चुका है. इसे लेकर टैंकर से पानी सप्लाई की मांग बढ़ गयी है. यही स्थिति रही, तो अप्रैल के अंत व मई से जुस्को पर अतिरिक्त एक लाख लीटर प्रतिदिन टैंकर से पानी सप्लाई की मांग बढ़ जायेगी. वर्तमान में टाटा स्टील यूआइएलएस शहर व कंपनी कमांड एरिया के 49,700 घरों में प्रतिदिन 213 एमएलडी (मिलियन लीटर प्रतिदिन) पानी की सप्लाई करता है.
इसके अतिरिक्त 20 से 30 हजार लीटर टैंकर से सप्लाई होती है. इसके अलावा अलग-अलग आयोजनों के लिए निजी तौर पर टैंकर से पानी की मांग रहती है. वहीं गर्मी में बागबेड़ा व अन्य कुछ बस्तियों में 60 से 70 हजार लीटर पानी टैंकर के माध्यम से सप्लाई होती है. वर्तमान स्थिति का आकलन लगाते हुए बताया जा रहा है कि यह मांग एक लाख लीटर तक पहुंच सकता है.
अवैध कनेक्शन, वाशिंग सेंटर और कुछ खटाल संचालक पानी की सबसे अधिक बर्बादी करते हैं. इससे खपत का लोड बढ़ रहा है. दूसरी ओर पानी खपत के मामले में शहर के लोग ज्यादा खर्चिला हैं. टाटा स्टील यूटिलिटि एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड की ओर से पिछले दिनों एक सर्वे रिपोर्ट के आधार पर दी गयी जानकारी के अनुसार राष्ट्रीय औसत से ज्यादा पानी की खपत शहर के लोग करते हैं. राष्ट्रीय औसत के अनुसार प्रतिव्यक्ति प्रतिदिन 130 लीटर पानी की खपत का आंकड़ा है, लेकिन वहीं जमशेदपुर शहर में यह 200 लीटर है. यानी शहर के प्रतिव्यक्ति 70 लीटर ज्यादा पानी का इस्तेमाल कर रहे हैं या दुरुपयोग कर रहे हैं.
जुस्को कंपनी के प्रवक्ता ने बताया कि नये कनेक्शन देने पर काम चल रहा है. कंपनी अपने लक्ष्य को पूरा करने पर पूरा जोर दे रही है. उन्होंने लोगों से जल संरक्षण का उपाय करने व जल का सदुपयोग करने की अपील की. कहा कि अगर बारिश नहीं हुई, टैंकर के पानी की डिमांड काफी बढ़ सकती है.
जुस्को पर पानी के नये कनेक्शन देने का लोड है. कई बस्ती व अपार्टमेंट एरिया में पाइप बिछाने व पानी आपूर्ति का आवेदन पड़ा है. इसमें से जिन इलाकों में कनेक्शन दिया जा सकता है, उसे लेकर वर्कआउट किया गया है. कंपनी ने 2025 तक 10 हजार नये कनेक्शन देने का लक्ष्य रखा है. इसमें भुइयांडीह, बाबूडीह व अन्य कुछ बस्ती शामिल है. इसमें अलावा बिरसानगर से सटे प्रकाशनगर, रॉक गार्डेन अपार्टमेंट व आसपास में पाइपलाइन बिछाने की मांग की गयी है.
शहर से सटे बस्ती एरिया जहां गर्मी आफत बन कर आती है. पानी को लेकर लोगों को मशक्कत करनी पड़ती है. इन इलाकों में बागबेड़ा, कीताडीह, मानगो का जवाहरनगर, शंकोसाई, उलडीह, पारडीह ऊपरी टोला, कुमरुम बस्ती, सोनारी, बागुनहातु, बाबूडीह, परसुडीह शामिल है. इन इलाकों मार्च में ही कुआं, चापाकल का जलस्तर सामान्य से नीचे चला जाता है. अप्रैल आते ही कुआं, चापाकल, सूख जाता है.
जुस्को के अनुसार टैंकर से सबसे अधिक पानी की आपूर्ति बागबेड़ा व आसपास की बस्तियों में होती है. गर्मी के दिनों में प्रतिदिन 10 हजार लीटर क्षमता वाले टैंकर का छह से सात बार फेरा लगता है. जो इस बार बढ़ने की आशंका है.
घरों तक जुस्को की सप्लाई पानी पहुंचे इसका दर्जनों बस्तियों और अपार्टमेंट के लोगों को इंतजार है. कई अपार्टमेंट व बस्तियों से जुस्को के पास आवेदन पड़े हुए हैं. जनप्रतिनिधियों ने भी नये क्षेत्रों में पाइप लाइन बिछाने का प्रपोजल दिया है. घोड़ाबांधा और मोहरदा जलापूर्ति योजना का संचालन भी जुस्को की ओर से किया जा रहा है. इन क्षेत्रों में भी लगभग 15 से 17 हजार घरों में जलापूर्ति हो रही है. इसके अलावे हजारों आवेदन जुस्को के पास पड़े हुए हैं. खड़ंगाझार और घोड़ाबांधा के लोग तो कई बार जुस्को कार्यालय का चक्कर लगा चुके हैं. लेकिन जुस्को की परेशानी है कि कैपेसिटी से अधिक कनेक्शन देने से आपूर्ति प्रभावित होगी.
जुस्को प्राथमिक तौर पर उन नयी बस्तियों में पहले नया कनेक्शन देगी जहां पाइप लाइन बिछा है या बिछाने का काम चल रहा है. वहीं नये आवेदनों या उन बस्तियों का सर्वे भी चल रहा है जहां पाइप लाइन बिछाने का प्रपोजल आया है. उन जगहों पर पाइप लाइन कैसे पहुंचेगा इसको लेकर हर स्तर पर सर्वे जारी है. पाइप लाइन बिछाना बड़ी चुनौती भी है.
जो लोग भाग्यशाली हैं उनके घरों में सरकार की तरफ से वाटर-सप्लाई का पानी आता है. देखा गया है कि अक्सर लोग लगभग मुफ्त में मिलने वाले इसे पानी को बहुत अधिक बर्बाद करते हैं. चूंकि ये पानी टाइम-टाइम से आता है, इसलिए कई बार लोग टोटी खुली छोड़ कर बाकी काम में व्यस्त हो जाते हैं और जब टाइम होता है, तो पानी बस यूं ही गिर कर बहता रहता है. इन लापरवाहियों की वजह से वे एक ही दिन में सैकड़ों लीटर पानी बर्बाद कर देते हैं.
छतों पर लगी टंकियों से पानी गिरकर बर्बाद होना आम बात है. हमें इसे रोकना होगा और इसके लिए सबसे सरल उपाय है कि हम अपनी टंकी को एक वाटर फ्लो अलार्म से जोड़ दें.
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दाढ़ी बनाते समय, ब्रश करते समय, सिंक में बर्तन धोते समय नल तभी खोलें, जब सचमुच पानी की ज़रूरत हो.
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गाड़ी धोते समय पाइप की बजाय बाल्टी व मग का प्रयोग करें, इससे काफी पानी बचता है.
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नहाते समय शॉवर की बजाय बाल्टी एवं मग का प्रयोग करें, इससे काफी पानी की बचत होगी.
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वाशिंग मशीन में रोज-रोज थोड़े-थोड़े कपड़े धोने की बजाय कपड़े इकट्ठा होने पर ही धोएं.
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ज्यादा बहाव वाले फ्लश टैंक को कम बहाव वाले फ्लश टैंक में बदलें. संभव हो, तो दो बटन वाले फ्लश का टैंक खरीदें. यह पेशाब के बाद थोड़ा पानी और शौच के बाद ज्यादा पानी का बहाव देता है.
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जहां कहीं भी नल या पाइप लीक करे, उसे तुरंत ठीक करवायें. इसमें काफी पानी बर्बाद होने से रोका जा सकता है.
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बर्तन धोते समय भी नल को लगातार खोले रहने की बजाय अगर बाल्टी में पानी भर कर काम किया जाए, तो काफी पानी बच सकता है.
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सार्वजनिक पार्क, गली, मोहल्ले में जहां कहीं भी नल की टोंटियां खराब हों या पाइप से पानी लीक हो रहा हो, तो तुरंत संबंधित व्यक्ति को सूचना दें. इसमें हजारों लीटर पानी की बर्बादी रोकी जा सकती है.
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बाग-बगीचों एवं घर के आस पास पौधों में पाइप से पानी देने की बजाय वाटर कैन द्वारा पानी देने से काफी पानी की बचत हो सकती है.