गर्मी के दिनों में बोतल बंद पानी व जार की डिमांड हुई दोगुनी
जमशेदपुर (संजय प्रसाद) :
पूर्वी सिंहभूम जिले में बोतल बंद पानी का कारोबार तेजी से बढ़ रहा है. जिले में लगभग 300 से अधिक छोटे व सात से आठ बड़े प्लांट हैं. इनसे फिलहाल प्रतिदिन पांच लाख लीटर पानी की सप्लाई जिले के विभिन्न हिस्सों में की जा रही है. हालांकि ठंड के मौसम में पानी की खपत 250000 लीटर हो जाती है. छोटे प्लांटों की क्षमता 250 लीटर प्रति घंटे से लेकर 1000 लीटर तक की होती है. चूंकी छोटे प्लांटों को लगाने में काफी कम पूंजी लगती है, इसलिए जिले में इसके 300 से अधिक प्लांट हो गये हैं.गर्मी के दिनों में बिक्री बढ़कर हुई दोगुनी
गोलपहाड़ी निवासी किशोर गिरी ने वर्ष 2019 से पानी के कारोबार में हैं. इनके पास 1000 लीटर प्रति घंटा पानी परिष्कृत करनेवाला प्लांट है. वे 20 लीटर के जार में पानी बेचते हैं. वे बताते हैं कि इस व्यवसाय में पूरे परिवार को लगना पड़ता है. इसमें काफी मेहनत हैं. फिलहाल वे 500 लीटर प्रतिदिन पानी की आपूर्ति कर रहे हैं. ऑफ सीजन में यानी ठंड के दिनों में इसकी खपत लगभग आधी हो जाती है. उन्होंने बताया कि प्रति 20 लीटर के एक जार पर 10 रुपये का मुनाफा आता है. उन्होंने बताया कि इस कारोबार में आपकी मार्केटिंग अच्छी होनी चाहिए, अन्यथा इसका प्लांट लगाने से नुकसान भी हो सकता है. बाद में मशीन बेचनी पड़ सकती है.
प्लांट अधिक होने से कंपीटिशन अधिक
मानगो में स्प्रिंग ब्रांड से बोतल बंद पानी का कारोबार करने वाले संदीप काबरा बताते हैं कि वे 25 वर्षों से इस व्यवसाय में हैं, लेकिन अब जिले में कई ब्रांड के आ जाने से काफी कंपीटिशन है. पहले की तरह मुनाफा नहीं है.
छोटे से घर में भी लगाया जा सकता है प्लांट
पानी के छोटे प्लांटों का इंस्टॉलेशन करने वाले बागबेड़ा निवासी शिवम कुमार साहू बताते हैं कि यह प्लांट एक छोटे से 10 बाइ 10 के घर में भी लगाया जाता है. उन्होंने बताया कि 250 से 1000 लीटर प्रति घंटा उत्पादन करने वाला प्लांट लगाने में करीब 1.5 लाख रुपये से पांच लाख रुपये तक का खर्च आता है. यह प्लांट लगाकर आप 20 लीटर वाले जार में बेच सकते हैं.
बोतल बंद पानी का प्लांट लगाने में आता है 45 लाख खर्च
शिवम कुमार ने बताया कि एक लीटर वाले बोतल बंद प्लांट लगाने के लिए 40-45 लाख रुपये लग जाते हैं. जमीन व शेड पर अलग से खर्च करना पड़ता है. उन्होंने बताया कि जिले में सिर्फ सात से आठ बड़े प्लांट हैं. इनमें सिलड्रॉप, स्प्रिंग, एटलांटिक, सालिवा, नीरो आदि है.
प्लांट लगाने के लिए फूड लाइसेंस लेना जरूरी
लघु या कुटीर उद्योग के तहत पानी का प्लांट लगाने के लिए फूड लाइसेंस लेना होता है. यह ऑनलाइन या ब्लॉक से जाकर बनवाया जा सकता है. इसके अलावा इस व्यवसाय के लिए आइएसआइ प्रमाणपत्र, उद्योग आधार बनवाना पड़ता है. उद्योग आधार से बैंक से लोन लेने में सहूलियत होती है. बड़ा प्लांट लगाने के लिए रांची से फूड लाइसेंस व अन्य प्रक्रियाएं करनी पड़ती हैंपानी की उपलब्धता वाले स्थान पर ही लगायें प्लांट
वाटर प्यूरीफायर का उद्योग हमेशा वहीं लगाना चाहिए, जहां पानी की उपलब्धता अधिक हो. अगर नगर निगम के पानी का उपयोग करते हैं, तो इसके लिए निगम से अनुमति जरूरी होती है.वाटर प्लांट लगाने की अर्हताएं
वाटर यूनिट लगाने के लिए बीआइएस प्रमाण पत्र जरूरीफूड सेफ्टी ऑफिसर मंजर हुसैन ने बताया कि आर ओ बॉटलिंग यूनिट लगाने के लिए सबसे पहले बीआइएस विभाग से प्रमाण पत्र लेना पड़ता है. इसके बाद फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एफएसएसआइ) से लाइसेंस बनाना होगा. साथ ही प्लांट में आरओ लेब्रोटरी व पैकेजिंग यूनिट बनाना पड़ेगा, जिसकी जांच बीआइएस के अधिकारी करेंगे.श्रमिकों का मेडिकल फिटनेस प्रमाण पत्र जरूरी
मंजर हुसैन ने बताया कि वाटर प्लांट में काम करने वाले श्रमिकों का मेडिकल फिटनेस जरूरी है. क्योंकि प्लांट में काम करने वाले बीमार मजदूरों के कारण पानी दूषित न हो. श्रमिकों का मेडिकल फिटनेस प्रमाण पत्र किसी सरकारी अस्पताल से जारी किया गया हो. उन्होंने बताया कि वाटर यूनिट बैठाने के लिए नगरपालिका से एनओसी व ट्रेड लाइसेंस लेना जरूरी है.क्रिटिकल जोन में नहीं लगा सकते हैं वाटर प्लांट
फूड सेफ्टी ऑफिसर मंजर हुसैन ने बताया कि वाटर प्लांट क्रिटिकल जोन में नहीं लगा सकते हैं. इसके लिए सेंट्रल वाटर कमिशन ऑफ इंडिया ने देश के विभिन्न स्थानों, जिलों आदि में क्रिटिकल जोन बनाये हैं. वाटर प्लांट लगाने के पहले सेंट्रल वाटर प्लांट कमिशन ऑफ इंडिया के साइट पर जाकर सर्च कर देंख लें कि कहीं आपका क्षेत्र क्रिटिकल जोन में तो नहीं आ रहा है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है