Jharkhand Flood News, हिमांशु गोप : झारखंड के कई हिस्सों में पिछले चार दिनों से हो रही मूसलाधार बारिश के कारण जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया है और लोग अपने घरों में कैद हो गए है. इधर लगातार बारिश के बीच सरायकेला-खरसवां जिला की स्वर्णरेखा नदी उफान पर है. स्वर्णरेखा नदी में पानी बढ़ने के कारण नदी से सटे खेत डूब गए है. जिससे धान के फसल भी डूब गए हैं. वही स्वर्णरेखा नदी के बढ़ते जलस्तर को देखते हुए मंगलवार दोपहर तक चांडिल डैम की 12 रेडियल गेट को खोल दिया गया.
चांडिल डैम खतरे के निशान के करीब
दोपहर तक चांडिल डैम का जलस्तर 182.35 मीटर पहुंच गया था. जिसको देखते हुए विभाग डैम के 13 रेडियल गेट में से 12 रेडियल को खोल दिया. जिसमें 7 रेडियल गेट को एक-एक मीटर, दो गेट दो-दो मीटर, एक गेट 2.15 मीटर, एक गेट 0.5 सेंटीमीटर, 1 गेट 15 सेंटीमीटर करके खोल दिया गया.
चांडिल डैम के दर्जनों विस्थापित गांवो में घुसा पानी
मंगलवार की सुबह तक झमाझम बारिश हुई. चांडिल डैम का जलस्तर काफी बढ़ने से ईचागढ़, पातकुम, कालीचामदा, कुम्हारी, उदाटांड़, ओड़िया, अंडा, मैंसाड़ा, बागसाई, लेप्सोडीह, बाबुचामदा, कारकीडीह, दुलमी, दयापुर, झापागोड़ा, बनगोड़ा, लावा, काशीपुर समेत दर्जनों घरों में डैम का पानी घुस गया. वही ईचागढ़-सिल्ली मार्ग व ईचागढ़ मुख्य मार्ग जलमग्न हो गया. इसके साथ ही आदि कई गांव में डैम का पानी घुस गया है.
सुरक्षित स्थान पर निकले विस्थापित
डैम का पानी घुसने से मजबूरन ग्रामीण घर के सामानों के साथ सुरक्षित जगह की तलाश में निकल पड़े. ईचागढ़ मुख्य सड़क पर करीब तीन फीट से उपर पानी बहने लगा है. उसी जलमग्न सड़क से जान जोखिम में डालकर लोग नाव, टीयुव के सहारे मोटरसाइकिल, साइकिल व चार पहिया बाहन से दिनभर आवाजाही करते रहे. उक्त ईचागढ़-सिल्ली मार्ग सिल्ली, सोनाहातू, मिलनचोक, टीकर, पश्चिम बंगाल के बाघमुंडी, सुइसा, तोडांग आदि जगह के लोग चांडिल, चौका व जमशेदपुर के लिए प्रतिदिन आना जाना करते हैं.
रात में अचानक घुसा पानी, बाल-बाल बची वृद्ध महिला
चांडिल डैम के विस्थापित गांव ईचागढ़ में लबालब पानी भर गया है. जिससे कई घरों में पानी घुस गया है. ईचागढ़ गांव की मुख्य सड़क में पानी भर गया है. लोगों के दुकानों में पानी घुस गया है. जिससे लोगों की व्यवसाय ठप हो गया है. लबालब पानी भरने से लोग अपने अपने सामान ट्रेक्टर व अन्य वाहनों से लोड कर सुरक्षित स्थान की ओर जा रहें है. उसी दौरन एक वृद्धा बह गई थी. जिसके बाद काफी मशक्कत से उसे बचाया गया. विस्थापितों ने टापू में रह कर रात गुजारा. मंगलवार सुबह को बाहर निकले तथा अपने सुरक्षित स्थान पर पहुंचे. विस्थापित परिवार के लोग पंचायत भवन, स्कुल भवन व अन्य सुरक्षित स्थान में शरण लेकर डेम की जलस्तर घटने की इंतजार कर रहें है.
182 मीटर से नीचे जलस्तर रखने की हुई थी बात, प्रशासन के आगे नहीं चली विधायक की बात
इस साल मानसून को लेकर बीते 26 जुन 2024 को चांडिल के अनुमंडल कार्यालय में अनुमंडल पदाधिकारी शुभ्रा रानी की अध्यक्षता में आपदा प्रबंधन की बैठक हुई थी. बैठक में 182 मीटर के नीचे 181.69 मीटर के करीब डैम का जलस्तर को लेकर सहमति हुई थी. आपदा प्रबंधन की बैठक में स्वर्णरेखा परियोजना के पदाधिकारी 181.69 मीटर डैम का जलस्तर रखने की बातें कही थी.
विधायक ने जताया रोष, लोगों ने कहा नहीं निभाई जिम्मेदारी
विधायक सबिता महतो ने विभाग को 181 मीटर से नीचे रखने का निर्देश दिया था. जिसके बाबजूद विभाग ने हरसाल की तरह इस साल भी चांडिल डैम के विस्थापितों को शारीरिक व मानसिक प्रताड़ित करने का काम किया है. विस्थापित ग्रामीणों ने कहा ईचागढ़ के विधायक सबिता महतो ने सैकड़ो विस्थापितो को डुबाने का काम की है. विधायक यदि समय रहते चांडिल डैम के रेडियल गेट को खुलवाने का काम करती तो सैकड़ों विस्थापितों को घर बच सकता था.
Also Read: Dhanbad News : मैथन डैम से छोड़ा गया 1 लाख क्यूसेक पानी, निचले इलाकों में आई आफत