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2021 में भी नहीं मिल सकेगा पानी, 211 करोड़ लेकर एजेंसी ने खड़े किये हाथ, पढ़िए क्या है पूरा मामला

जमशेदपुर (कुमार आनंद) : छोटा गोविंदपुर व बागबेड़ा ग्रामीण जलापूर्ति योजना की लेटलतीफी को लेकर कार्य एजेंसी आइएल एंड एफएस ने प्रोजेक्ट छोड़ने का अल्टीमेटम पेयजल विभाग को दिया है. प्रोजेक्ट मैनेजर सुधांशु पात्रो ने 26 नवंबर को पेयजल एवं स्वच्छता प्रमंडल, जमशेदपुर को पत्र सौंपा है. अपने पत्र में बकाया भुगतान नहीं होने से वित्तीय स्थिति का हवाला देते हुए एजेंसी ने बैंक गारंटी रिन्यूअल नहीं करा पाने की मजबूरी बतायी है. एजेंसी की बैंक गारंटी लैप्स होने और उसके रिन्यूअल नहीं होने के कारण ही वर्तमान में एजेंसी को भुगतान पर रोक है. पेयजल विभाग ने इसके लिए विभाग से मार्गदर्शन मांगा था. अधीक्षण अभियंता शिशिर सोरेन ने 3 वर्ष का निर्धारित प्रोजेक्ट पांच वर्ष बाद भी अधूरा रहने और धीमी गति को लेकर एजेंसी को टर्मिनेट करने का नोटिस देने का आदेश दिया था.

By Prabhat Khabar News Desk | December 4, 2020 7:54 AM

जमशेदपुर (कुमार आनंद) : छोटा गोविंदपुर व बागबेड़ा ग्रामीण जलापूर्ति योजना की लेटलतीफी को लेकर कार्य एजेंसी आइएल एंड एफएस ने प्रोजेक्ट छोड़ने का अल्टीमेटम पेयजल विभाग को दिया है. प्रोजेक्ट मैनेजर सुधांशु पात्रो ने 26 नवंबर को पेयजल एवं स्वच्छता प्रमंडल, जमशेदपुर को पत्र सौंपा है. अपने पत्र में बकाया भुगतान नहीं होने से वित्तीय स्थिति का हवाला देते हुए एजेंसी ने बैंक गारंटी रिन्यूअल नहीं करा पाने की मजबूरी बतायी है. एजेंसी की बैंक गारंटी लैप्स होने और उसके रिन्यूअल नहीं होने के कारण ही वर्तमान में एजेंसी को भुगतान पर रोक है. पेयजल विभाग ने इसके लिए विभाग से मार्गदर्शन मांगा था. अधीक्षण अभियंता शिशिर सोरेन ने 3 वर्ष का निर्धारित प्रोजेक्ट पांच वर्ष बाद भी अधूरा रहने और धीमी गति को लेकर एजेंसी को टर्मिनेट करने का नोटिस देने का आदेश दिया था.

योजना की कुल प्राक्कलित राशि 237.21 करोड़ में से 211 करोड़ का भुगतान एजेंसी को किया जा चुका है. वर्तमान स्थिति में दोनों योजनाओं का शेष काम पूरा कर जलापूर्ति शुरू करना पेयजल विभाग की बड़ी चुनौती होगी. खासकर जब बागबेड़ा जलापूर्ति अब तक शुरू नहीं हो सकी है. वर्तमान एजेंसी को सौंपे गये 237.21 करोड़ के प्रोजेक्ट में योजना पूरा करने के बाद अगले पांच साल तक ऑपरेशन एंड मेंटेनेंस की भी जिम्मेदारी शामिल थी.

जुगसलाई विधायक मंगल कालिंदी ने छोटा गोविंदपुर जलापूर्ति और पोटका विधायक संजीव सरदार ने बागबेड़ा जलापूर्ति योजना में हुई गड़बड़ी की जांच और कार्रवाई की मांग मुख्यमंत्री से की है. विधायकों ने आरोप लगाया कि पूर्व सरकार में हुए बंदरबांट के कारण सरकार के करोड़ों रुपयों का भुगतान ठेकेदार को किया गया है. कमीशनखोरी व भ्रष्टाचार के कारण प्रोजेक्ट पांच साल बाद भी अधूरा है.

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बागबेड़ा में रेलवे की 33 बस्तियों में पाइप लाइन बिछा कर घर-घर पानी कनेक्शन देने व राइजिंग लाइन का काम भी अधूरा है. दोनों जलापूर्ति योजनाओं को तीन साल में पूरा करना था. हालांकि पांच साल बाद भी बागबेड़ा योजना में 35 फीसदी से अधिक और छोटा गोविंदपुर की योजना में 15 फीसदी काम शेष है. दोनों योजनाओं का वर्ष 2015 में तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास ने शिलान्यास किया था. वर्ष 2018 में प्रोजेक्ट पूरा होना था. विश्व बैंक के हाथ पीछे खींच लेने के बाद झारखंड सरकार के जल जीवन मिशन से इसका काम कराया जा रहा है. सबसे पहले वर्ष 2018 में एजेंसी को एक साल का एक्सटेंशन मिला. नौ बार डेडलाइन फेल होने के बाद एजेंसी को अंतिम डेडलाइन दिसंबर 2020 का दिया गया.

पेयजल कार्यपालक अभियंता (जमशेदपुर प्रमंडल) अभय टोप्पो ने कहा कि छोटा गोविंदपुर और बागबेड़ा ग्रामीण जलापूर्ति योजना का काम एजेंसी ने छोड़ दिया है. वरीय पदाधिकारी से मार्गदर्शन लेकर वैकल्पिक इंतजाम किये जा रहे हैं. आइएल एंड एफएस एजेंसी के विरुद्ध नियमानुसार कार्रवाई की जायेगी.

Posted By : Guru Swarup Mishra

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