15.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस: झारखंड के बच्चों का समय गुजर रहा मोबाइल पर, अभिभावकों से बात तक नहीं कर रहे

8 से 13 वर्ष तक के बच्चे का दो से तीन घंटे समय मोबाइल पर गुजर रहा है. जबकि 9 से 14 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों में कामलिप्सा का ग्राफ ढ़ाई गुना तेजी से बढ़ा है. 18 से 25 वर्ष आयुवर्ग के 72 फीसद युवा 5 घंटे मोबाइल पर बीता रहे हैं.

जमशेदपुर: मोबाइल और सोशल मीडिया के बढ़ते क्रेज से आम आदमी का व्यवहार बदल रहा है. बच्चे अपने अभिभावकों से बात नहीं कर रहे हैं. हिंसा की प्रवृत्ति में आश्चर्यजनक तरीके से वृद्धि हुई है. इंटरनेट से दूर करने वाले व्यक्ति और खेल के प्रति नफरत का भाव पैदा हो रहा है. 9 से 14 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों में कामलिप्सा का ग्राफ ढ़ाई गुना तेजी से बढ़ा है. 8 से 13 वर्ष तक के बच्चे का दो से तीन घंटे समय मोबाइल पर गुजर रहा है.

18 से 25 वर्ष आयुवर्ग के 72 फीसद युवा 24 घंटे में से करीब 5 घंटे का समय मोबाइल पर खर्च कर रहे हैं. कोल्हान विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ जेपी मिश्रा एंड टीम की ओर सेमानसिक स्वास्थ्य पर मोबाइल और सोशल मीडिया का प्रभाव विषय पर सैंपल सर्वे किया गया है. इसमें हैरान करने वाले नतीजे सामने आये हैं.

कुछ ऐसे किया गया अध्ययन :

मानसिक स्वास्थ्य पर यह अध्ययन झारखंड के चार जिलों को केंद्र में रखकर किया गया है. इसमें रांची, जमशेदपुर, पलामू और गढ़वा शामिल हैं.

नयी पीढ़ी की बदल रही आदतें, हिंसा की प्रवृति में वृद्धि

बच्चों का व्यवहार तेजी से बदल रहा है. हर दिन हमारे पर बहुत सारे अभिभावक आते हैं, जिनके बच्चे मोबाइल देखने के चक्कर में खाना नहीं खा रहे. यह बेहद चिंताजनक स्थिति है.

डॉ. अभिषेक मुंडू, बाल रोग विशेषज्ञ

सर्वे में आये परिणाम खतरे की तरह इशारा कर रहे हैं. इस पर विस्तृत अध्ययन की आवश्यकता है ताकि समय रहते हालात को संभाला जा सके.

डॉ. जेपी मिश्रा, पूर्व अध्यक्ष, मनोविज्ञान विभाग, केयू, चाईबासा

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें